Raag Ratlami Railway Station -रेलवे स्टेशन पर है दुनियाभर की बदइंतजामी ,लगातार हो रही है रतलाम की बदनामी,आखिरकार फूलछाप को मिल गया युवा अध्यक्ष
-तुषार कोठारी
रतलाम। जमाने से रतलाम की पूछ परख रेलवे के कारण रही है। पिछले कुछ समय से रेलवे वालों के ध्यान में आया कि रतलाम के रेलवे स्टेशन को विकसित किया जाना चाहिए ताकि देश के दूर दराज इलाकों से रतलाम आने वाले और रतलाम से गुजरने वाले लोगों को ये एहसास हो सके कि रतलाम वास्तव में बडी जगह है। इसी के चलते स्टेशन पर बडे भारी बदलाव किए गए। लेकिन इन तमाम बदलावों के बावजूद स्टेशन की बदइंतजामी,रतलाम की बदनामी का कारण बनी हुई है।
रतलाम स्टेशन पर रुकने वाली किसी ट्रैन से जब यात्री प्लेटफार्म पर उतरता है,तो उसे लगता है कि वाह,ये कोई बडी जगह है। लम्बा चौडा प्लेटफार्म नजर आता है। लेकिन जैसे ही वह इस प्लेटफार्म की सुविधाओं का लाभ उठाने की कोशिश करता है,उसे एहसास हो जाता है कि ये बस दिखने की ही बडी जगह है। सुविधाओं के नाम पर जीरो है। सेव के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध रतलाम के स्टेशन पर अवैध रुप से बिकने वाली सेव जब यात्री खरीदता है,तो इस घटिया सेव को खाने के बाद उसे रतलामी सेव पर गुस्सा आता है। यही नहीं खान पान के स्टाल पर बिकने वाले खाद्य पदार्थों की घटिया क्वालिटी भी रतलाम की इज्जत उतारने वाली साबित होती है।
लेकिन अगर किसी यात्री को रतलाम में ही रुकना है,तो वह प्लेटफार्म से सीधे बाहर निकलता है। बाहर निकलते ही स्टेशन का विशाल सर्कुलेटिंग एरिया और हवा में लहराते विशालकाय राष्ट्रीय ध्वज को देखकर उसे लगता है कि वाह..,किसी बडी जगह पंहुच गए है। लेकिन बडप्पन का यह एहसास जल्दी ही हवा हो जाता है। बाहर निकलते ही,जैसे ही कोई यात्री आटो या मैजिक की सवारी लेने पंहुचता है, तो उसे एहसास होता है कि वह किसी बडी जगह पर नहीं पंहुचा है,बल्कि किसी छोटे से देहात में पंहुच गया है,जहां ना तो कोई नियम है,ना कोई कायदा।
मैजिक में सवारियों को भेड बकरियों की तरह ठूंस दिया जाता है। आटो वाले मनमाना किराया वसूलने को तैयार रहते है। ना किसी आटो में मीटर है,ना कोई तय किराया। आटो मैजिक वाले यात्रियों के साथ बदतमीजी करने में भी पीछे नहीं रहते।
पिछले दिनों रेलवे के मजिस्ट्रेट साहब अचानक स्टेशन पंहुच गए थे। उनके निरीक्षण में तमाम गडबडियां सामने आई। ये तक पता चला कि आटो वालों से अवैध रुप से पार्किंग चार्ज वसूला जा रहा है,जिसका खामियाजा आखिर में यात्रियों को भुगतना पडता है।
इतना सबुकछ सामने आ चुका है,लेकिन निरीक्षण के वक्त किए गए जुर्माने के अलावा व्यवस्था को स्थाई रुप से ठीक करने के लिए कुछ नहीं किया गया। जिन खान पान वालों र जुर्माना किया गया,उन्होने जुर्माने के नुकसान की भरपाई के लिए अगले दिन से क्वालिटी और घटिया कर दी। स्टेशन के बाहर की जा रही अवैध वसूली फिर से बदस्तूर जारी हो गई।
किसी जमाने में रेलवे स्टेशन पर आटो के लिए प्री पैड बूथ हुआ करता था। जब से स्टेशन का नवनिर्माण हुआ,प्रीपैड की व्यवस्था समाप्त कर दी गई। शहर का यातायात अमला पूरे शहर में नजर आता है,लेकिन रेलवे स्टेशन पर कभी दिखाई नहीं देता।
कुल मिलाकर रतलाम रेलवे स्टेशन के भीतर और बाहर की तमाम बातें पहली बार रतलाम आने वाले के मन में रतलाम की बेहद बुरी छबि बनाने के लिए पूरी तरह सक्षम है। यहां आने वाला कोई व्यक्ति यहां आने के बाद शहर की अच्छी छबि लेकर नहीं जाता। रतलाम की देश भर में हो रही इस बदनामी से फिलहाल तो किसी को कोई फर्क पडा हो ऐसा नजर भी नहीं आता। ना तो जन प्रतिनिधि और ना ही रेलवे और प्रशासन के अफसर,किसी को भी इस बात से कोई दिक्कत नहीं है। वैसे तो रेलवे ने रेल उपभोक्ताओं की एक सलाहकार समिति भी बना रखी है और इसमे कई सारे नेता शामिल है। लेकिन इस समिति ने भी कभी इन मुद्दों की चिन्ता नही की। कुल मिलाकर रतलाम की बदनामी का यह सिलसिला लगातार जारी है।
आखिरकार मिल गया युवा अध्यक्ष
फूलछाप पार्टी की युवा ईकाई की जिम्मेदारी सम्हालने के लिए कई सारे दावेदार जोर आजमाईश में लगे हुए थे। जोर आजमाईश का नतीजा था कि लम्बे समय से युवा ईकाई बिना अध्यक्ष के ही चल रही थी। फूल छाप की जानकारी रखने वालों के मुताबिक आखरी वक्त की जोर आजमाईश में कुल तीन दावेदार बचे थे। तीनों ही शहर के थे। फूल छाप वाले तय नहीं कर पा रहे थे कि जिम्मेदारी किसे दी जाए। तीनों दावेदारों के लिए अलग अलग नेता लगे हुए थे। लेकिन आखिर में चली काली टोपी वालों की। काली टोपी वालों के असर में फूल छाप पार्टी ने दो दावेदारों को अंगूठा दिखाते हुए तीसरे को जिम्मेदारी सौंप दी। इस जिम्मेदारी पर ये युवा नेता कितना खरा उतर पाएगा ये आने वाला समय बताएगा।