May 24, 2024

Raag Ratlami BJP President – फूल छाप का मुखिया बनने के लिए जारी है खींचतान ; बडे साहब के फरमानों से जमीनखोरों की जान सांसत में……

-तुषार कोठारी

रतलाम। एक तरफ दीवाली की धूम है,तो दूसरी तरफ फूल छाप पार्टी में नए मुखिया की ताजपोशी को लेकर खींचतान मची हुई है। कहा जा रहा है कि दीवाली के पहले ही फूल छाप के नए मुखिया की ताजपोशी हो जाएगी। यही वजह है कि फूल छाप पार्टी का मुखिया बनने की चाहत रखने वाले तमाम नेता भारी दौड भाग में लगे है। दावेदार भी कई सारे है,इसलिए फूलछाप की खींचतान भी जोरदार है।

फूल छाप के मौजूदा मुखिया दो दो कार्यकाल निकाल चुके है। वैसे तो फूल छाप में जिले का मुखिया बनने की उम्र तय की जा चुकी है,लेकिन अभी वाले दरबार ने बडी चतुराई से अपनी बढती उम्र को छुपा लिया था और मुखिया की कुर्सी हासिल कर ली थी। फूल छाप के दूसरे नेता उनकी जनमकुण्डली भी निकाल लाए थे,लेकिन उपर वालों ने इस मुद्दे को ज्यादा भाव नहीं दिया और मामला ठण्डा पड गया था।

इसलिए पचास की उम्र पार कर चुके दावेदारों को लग रहा है कि अगर उनका दावा मजबूत रहा तो उम्र का चक्कर आडे नहीं आएगा। इसी वजह से दो तीन दावेदार उम्र गुजरने के बावजूद उम्मीदें लगाए बैठे है। फिलहाल फूलछाप पार्टी में नम्बर दो की हैसियत वाले एक नेताजी पहले भी उम्र पार करने के बावजूद जवानों के अध्यक्ष बन गए थे। इसलिए उन्हे उम्मीद है कि उम्र का लफडा उनके आडे नहीं आएगा। वैसे भी पचास से उनकी उम्र आठ नौ साल ही ज्यादा है।

मुखिया की कुर्सी हथियाने की चाहत वो नेताजी भी पाले बैठे है,जो पहले शहर सरकार का मुखिया बनना चाहते थे,और उन्होने बाकायदा खर्चा करके एक बडे अखबार में अपना टिकट फायनल हो जाने की खबर छपवा दी थी। ये अलग बात है कि फूल छाप वालों पर इस खबर का कोई असर नहीं हुआ था,और प्रथम नागरिक बनने का टिकट पार्टी ने वाटर पार्क वाले भैया को दे दिया था। शहर के दूसरे छोर से नेतागिरी करने वाले नेताजी को टिकट कटने से जोर का झटका लगा था। बडे टिकट के चक्कर में वे पार्षद भी नहीं बन पाए। अब उनकी नजर जिले के मुखिया की कुर्सी पर है। लेकिन उनकी दिक्कत ये है,कि वो इन्दौरी उस्ताद के चेले है और यहां जिले में आजकल उन्हे कोई भाव नहीं दे रहा है।

फूल छाप में अंदाजा ये भी लगाया जा रहा है कि मुखिया शहर से बाहर के किसी नेता को बनाया जाएगा। पिपलौदा के एक नेताजी का नाम इसमें लिया जा रहा है। लेकिन इन नेताजी की समस्या ये है कि ये दो बार बागी हो चुके है। हांलाकि इस बार तमाम बडे नेता इनके नाम पर सहमत होते दिखाई दे रहे है,लेकिन बागी हो चुके नेताजी को विश्वसनीयता का संकट है,इसलिए उपर वाले इनसे नाराज हो सकते है। इधर शहर के एक पहलवान भी इस पद को हासिल करने के लिए दण्ड पैल रहे है। पहलवान को अक्सर काली टोपी वालों का साथ मिलता रहा है। अगर काली टोपी वालों ने ज्यादा ताकत लगाई तो पहलवान का दांव भी चल सकता है।

तो कुल मिलाकर फूलछाप में इस वक्त नेताओं की रस्साकशी चल रही है। बताया जाता है कि जिले के तीन माननीयों का राय इसमें सबसे बडा रोल निभाएगी। तीन माननीयों में से एक जो मास्साब से माननीय बने है,उनकी राय को वैसे भी ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता। अब बचे दो। दो में से शहर वाले भैयाजी का वजन ही ज्यादा माना जाता है। ऐसे में कहानी एक ही माननीय पर टिकी है। रतलाम वाले माननीय किसका साथ देंगे ये आने वाले दो चार दिनों में साफ हो जाएगा।

जमीनखोरों की जान सांसत में…

जिला इंतजामिया के बडे साहब जमीनखोरो को झटके पर झटके दिए जा रहे है। पहले उन्होने शहर की तमाम अवैध कालोनियों की जांच करवाकर डेढ सौ जमीनखोरो के खिलाफ एफआईआर करने फरमान जारी किया,तो दूसरे फरमान में बाकायदा जमीनों के सर्वे नम्बरों के साथ सौलह जमीनखोरों के नाम जारी कर दिए। बडे साहब यहीं नहीं रुके.मिशन कम्पाउण्ड की सरकारी जमीनों पर कब्जा लेने के लिए उन्होने जेसीबी भी चलवा दी। शहर के पंजा पार्टी वाले जेसीबी को रुकवाने पंहुचे,लेकिन इंतजामिया के अफसरों ने उनकी एक ना सुनी। आखिरकार पंजा पार्टी वालों ने झाबुआ वाले माननीय को बुलवा लिया। झाबुआ वाले माननीय इसी से खुश है कि कम से कम मिशन कम्पाउण्ड के बहाने उन्हे रतलाम में झांकी जमाने ाका मौका तो मिल गया वरना रतलाम में उनकी पूछपरख वैसे ही कम हो गई थी। पंजा पार्टी तमाम उठापटक के बावजूद बडे साहब के तेवर जस के तस है और इसी से जमीनखोरो की जान सांसत में पडी हुई है। पता नहीं इंतजामिया के बडे साहब अभी और क्या क्या झटके देंगे…?

ना नापतौल,ना क्वालिटी, जारी है जांच का खेल…..

खबर ये थी कि मिठाई की एक नामचीन दुकान से घटिया मिठाई खरीदने वाले ग्र्राहक ने क्वालिटी जांचने वालों को ढूंढ कर शिकायत दर्ज कराई। दुनियाभर की बहाने बाजी के बाद क्वालिटी जाचंने वाले अफसर दुकान पर पंहुचे तो दुकानदार ने काउण्टर पर रखी खराब हो चुकी मिठाई हटा दी और ग्र्राहक को उसके रुपए भी लौटा दिए। लेकिन सवाल ये है कि क्वालिटी जांचने वाले महकमे ने इतना सब कुछ हो जाने के बावजूद दुकानदार के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की। ठीक ऐसा ही आलम नाप तौल जांचने वालों का है। खबरें लगातार आ रही है कि सोना चांदी वाले तौलने में गडबडियां कर रहे है। लेकिन नापतौल का महकमा ग्र्राहकों को ठगी से बचाने का कोई जतन नहीं क रहा है। दोनो ही महकमे त्यौहार के मौसम में जांच जांच का खेल खेल रहे है,लेकिन कार्यवाही के नाम पर सिर्फ सिफर है। जानकारों का कहना है कि जांच का खेल सिर्फ त्यौहार मनाने के लिए है। जहां भी ये महकमे जांच के लिए जाते है,जांच के फौरन बाद दुकानदार त्यौहारी की निछावर चढा देता है और महकमे के अफसरों का त्यौहार मन जाता है।

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