Raag Ratlami Local Election : गली गली में गानों की गूंज, मोहल्लो मोहल्लों तक पंहुची वोटों की अपील,आखरी हफ्ता बताएगा कौन कितने पानी में
-तुषार कोठारी
रतलाम। शहर के प्रथम नागरिक को चुनने के लिए अब महज 10 दिनों का वक्त बाकी है। सूबे की दोनो प्रमुख पार्टियां अब तक घर घर जाकर वोटरों को रिझाने की कोशिशों में लगी है,लेकिन चुनावी संग्राम में रैली और भाषणों का सिलसिला अब तक चालू नहीं हुआ है। राजनीति का गुणा भाग लगाने वाले अब तक ये हिसाब नहीं लगा पा रहे है कि आखिर ऊंट किस करवट बैठेगा। सारा हिसाब किताब आखरी हफ्ते की जोर आजमाईश पर टिका है,जब दोनो पार्टियों की असल रणनीति सामने आने लगेगी। आखरी हफ्ता शुरु होने ही वाला है,और अब जल्दी ही ये राज सामने आने लगेंगे कि पार्टियां कौन कौन से दांव चलने वाली है। इस दौरान गली गली में चुनावी गाने गूंज रहे है। तमाम हिट फिल्मी गानों की तर्ज पर वोटरों को रिझाया जा रहा है। वोटों की अपीले मोहल्ले मोहल्ले में घूम रही है।
बीते हफ्ते में पंजा पार्टी और फूल छाप दोनो के ही दावेदार गली गली बस्ती बस्ती मतदाताओं के घर घर पंहुचकर अपना चेहरा दिखाते रहे। बीच में एक बार बारिश हो गई तो पंजा पार्टी के प्रत्याशी ने बारिश में भी सक्रियता दिखाकर वोटरों से सम्पर्क किया। फूल छाप वाले प्रत्याशी भी पीछे क्यो रहते,उन्होने भी बारिश में मतदाताओं के बीच घूमने के फोटो जारी कर दिए।
लेकिन पंजा पार्टी के प्रत्याशी ने नई नई घोषणाएं करके थोडी बढत जरुर हासिल कर ली। पहले तो उन्होने वेतन भत्ते नहीं लेने की घोषणा कर मारी। फूल छाप वाले इसमें पीछे रह गए। वे इस दमदार घोषणा का दमदार दवाब दे पाते इससे पहले पंजा पार्टी के प्रत्याशी ने गरीब व्यवसाईयों से की जाने वसूली को रोकने की घोषणा कर डाली। जानकारों के मुताबिक सोशल मीडीया पर चल रहे संग्राम में भी पंजा पार्टी प्रत्याशी ने बढत बना ली है।
लेकिन दूसरी तरफ फूल छाप वालों को अपने मैनेजमेन्ट और संगठन पर भरोसा है। फूल छाप के पास कारकूनों की लम्बी फौज है,जो बूथ बूथ तक तैनात है। इसके अलावा फूल छाप वालों को “मामाजी” और दूसरे बडे नेताओं पर भी बडा भरोसा है कि उनके आने से हवा तेजी से बदलेगी। जबकि इस मामले में पंजा पार्टी की हालत नाजुक है। पंजा पार्टी के बडे नेताओं की हालत पहले से पतली है। “दिग्गी राजा” पर आजकल पंजा पार्टी को भरोसा नहीं रहा। आजकल तो पंजा पार्टी वाले खुद ही कहते है कि “दिग्गी राजा” का आना वोट काट सकता है। पंजा पार्टी के “नाथ” की हैसियत भी वोट दिलाने जैसी नहीं है। इसके अलावा कोई बडा नेता पंजा पार्टी के पास नहीं है। ऐसे में पंजा पार्टी प्रत्याशी को जो कुछ करना है अपने बलबूते ही करना है।
बहरहाल पंजा पार्टी प्रत्याशी पूरे दम खम से मैदान में मौजूद है और अब तक तो पूरी बराबरी से फूल छाप को टक्कर देते हुए नजर आ रहे है। आने वाले हफ्ते में तस्वीर साफ होती दिखेगी कि कौन कितने पानी में है।
पानी ने बढाई फूल छाप की चिन्ता
चुनावी दौर में जहां लोग यह पता करने में लगे है कि “कौन कितने पानी में है”,वहीं पानी यानी बारिश ने फूल छाप की चिन्ता बढा रखी है। फूल छाप को जानने समझने वालों का कहना है कि फूल छाप के बडे नेता और खासकर मामाजी इस खेल में गेमचेन्जर की भूमिका निभाएंगे। इसीलिए फूल छाप ने प्रचार के आखरी दौर में “मामाजी” का रोड शो करने की योजना बना रखी है। लेकिन मानसून के सक्रिय होने और बारिश आने की भविष्यवाणी ने फूल छाप वालों की चिन्ता को बढा दिया है।
चिन्ता ये है कि जिस दिन “मामा जी” का रोड शो होने वाला होगा,अगर उस वक्त बारिश आ गई तो पूरा रोड शो धुल जाएगा और अगर रोड शो धुल गया तो फूल छाप के पक्ष में बनने वाली हवा भी नहीं बन पाएगी। चिन्ता सिर्फ यही नहीं है। मतदान वाले दिन भी अगर बारिश ने असर दिखा दिया तो फूल छाप के लिए हालात चिन्ताजनक हो सकते है। इसलिए फूलछाप वाले भगवान से यही प्रार्थनाएं कर रहे है कि कम से कम ऐसे दिनों में बादल ना बरसे,जब फूल छाप वाले वोटों की बारिश कराने की कोशिश कर रहे हो।
लौट के बुद्धु………….
ये पुरानी कहावत है “लौट के बुद्धु घर को आए।” इन दिनों सियासत की बातें करने वाले इस कहावत का कुछ ज्यादा ही जिक्र करते हुए दिखाई दे रहे है। इसके पीछे वजह वो नेताजी है,जो कुछ वक्त पहले तक फूल छाप का मीडीया विभाग सम्हाला करते थे,लेकिन टिकट ना मिलने की नाराजगी में निर्दलीय हो गए थे। नेताजी ने पहले तो कई दिनों तक सोशल मीडीया पर “मेरा क्या गुनाह था” कैम्पेन चलाया। लेकिन जब इस कैम्पेन को कोई तवज्जोह नहीं मिली तो परचा दाखिल कर दिया और नामवापसी करने से भी इंकार कर दिया। एकाध हफ्ते तक निर्दलीय रहने के बाद नेताजी के समझ में आ गया कि इससे कुछ होना जाना नहीं है,उलटे बंद मुट्ठी खुल जाएगी और खाक की हो जाएगी। आखिरकार नेताजी ने फूल छाप को समर्थन देने का एलान कर दिया। भैयाजी के साथ फोटो खिचवाकर नेताजी ने तमाम खबरचियों को इस बात की जानकारी भी दे दी कि उन्होने फूल छाप का समर्थन कर दिया है। बस तभी से उस कहावत का जिक्र ज्यादा हो रहा है।