December 3, 2024

Omaxe City Fraud : कुख्यात भूमाफिया राजेन्द्र पितलिया का नया कारनामा,ओमेक्स सिटी के नाम पर फर्जीवाडा,रेरा ने आज तक नहीं दी ओमेक्स सिटी को कोई अनुमति

rajendra pitliya

रतलाम,24 अक्टूबर (इ खबरटुडे)। शहर के कुख्यात भूमाफिया राजेन्द्र पितलिया का नया फर्जीवाडा सामने आया है। राजेन्द्र पितलिया द्वारा रतलाम में देश की प्रतिष्ठित रियल एस्टेट कंपनी ओमेक्स के नाम से ओमेक्स सिटी रतलाम विकसित की जा रही है,जबकि वास्तविकता यह है कि भू संपदा विनियामक प्राधिकरण (रेरा) द्वारा रतलाम में ओमेक्स सिटी के नाम से किसी प्रोजेक्ट को अनुमति नहीं दी गई है। राजेन्द्र पितलिया द्वारा ओमेक्स सिटी के नाम का उपयोग कर रतलाम के नागरिकों को ठगा जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ समय से विभिन्न अखबारों में ओमेक्स सिटी रतलाम के विज्ञापन प्रदर्शित किए जा रहे हैैं। इतना ही नहीं पुराने बायपास पर डी मार्ट के पास विकसित की जा रही एक कालोनी के बाहर बाकायदा ओमेक्स सिटी के नाम से भव्य गेट भी बनाया गया है,जिससे कि हर देखने वाले को यह कालोनी ओमेक्स सिटी ही नजर आती है। लेकिन वास्तविकता इससे पूरी तरह अलग है।

वर्तमान नियमों के मुताबिक किसी भी कालोनाईजर को कालोनी विकसित करने के लिए अपना पूरा प्रोजेक्ट प्रदेश के भू संपदा विनियामक प्राधिकरण (रेरा) के सामने प्रस्तुत करना होता है और रेरा की अनुमति के बाद ही कालोनी के प्लाटों का विक्रय इत्यादि किया जा सकता है। रेरा की अनुमति मिलने के बाद ही कालोनी का प्रचार प्रसार भी किया जा सकता है। मजेदार बात ये है कि रेरा ने रतलाम में ओमेक्स सिटी के नाम से किसी प्रोजेक्ट को कोई अनुमति नहीं दी है। इतना ही नहीं ओमेक्स सिटी रतलाम के नाम से कोई आवेदन भी रेरा के समक्ष अब तक प्रस्तुत नहीं किया गया है। जब ओमेक्स सिटी रतलाम के नाम से रेरा में कोई आवेदन ही प्रस्तुत नहीं है,तो रेरा द्वारा ऐसी कोई अनुमति दिए जाने का तो कोई प्रश्न ही नहीं उठता है।

लेकिन इसके बावजूद बडे बडे विज्ञापन प्रदर्शित कर ओमेक्स सिटी रतलाम के प्लाट बेचे जा रहे हैैं और ग्राहक ओमेक्स सिटी का नाम सुनकर प्लाट खरीद रहे है। चौंकाने वाली बात यह है कि ओमेक्स सिटी रतलाम के विज्ञापनों में रेरा की जिन अनुमतियों का उल्लेख किया जा रहा है,वे अनुमतियां भी ओमेक्स सिटी रतलाम के नाम पर नहीं है। ओमेक्स सिटी रतलाम के विज्ञापनों में रेरा की तीन अनुमतियों का उल्लेख किया जा रहा है। ओमेक्स सिटी रतलाम के विज्ञापनों में रेरा अनुमति के नाम पर P-RTM-22-3697,P-RTM-22-3718 और P-RTM-22-3719 का उल्लेख किया जा रहा है,जबकि ये सभी अनुमतियां ओमेक्स सिटी के नाम से ना होकर शुभम पार्क-1,2 और 3 की अनुमतियां है,जो कि कुख्यात भू माफिया राजेन्द्र पितलिया की कालोनियां है। ऐसे में सवाल उठता है कि ये ग्राहकों के साथ सीधी धोखाधडी है या नहीं? इतना ही नहीं नगर निगम द्वारा कालोनी के विकास की जो अनुमति दी गई है,वह भी राजेन्द्र पितलिया को शुभम कंस्ट्रक्शंस के नाम पर ही दी गई है। विकास अनुमति में भी कहीं ओमेक्स सिटी का कोई उल्लेख नहीं है।

ओमेक्स सिटी रियल एस्टेट के क्षेत्र का एक बडा नाम है,जिसके द्वारा देश के कई बडे शहरों में टाउनशिप और कालोनी इत्यादि विकसित की गई है। ऐसी कंपनी के नाम का उपयोग कर कालोनी के भूखण्डों को बेचने का प्रयास पूरी बेशरमी के साथ किया जा रहा है। जानकार सूत्रों का कहना है कि भू माफिया राजेन्द्र पितलिया के अनेक घोटाले लोगों के सामने है,इसलिए इनके स्वयं के नाम से अगर वे कालोनी विकसित करते है तो खरीददारों को किसी ना किसी फर्जीवाड़े या गड़बड़ी का डर लगा ही रहता है और वे प्लाट खरीदने से बचते है।

ऐसी स्थिति में पितलिया का प्रोजेक्ट फेल होने की पूरी आशंका रहता है। इसी से बचने के लिए राजेन्द्र पितलिया ने धोखाधडी का ये नया तरीका इजाद किया कि देश की प्रतिष्ठित कंपनी के नाम का उपयोग कर अपनी कालोनी बनाई जाए ताकि कालोनी के प्लाट बेचने में कोई समस्या नहीं आए। राजेन्द्र पितलिया की इस धोखाधडी के सामने आने के बाद उम्मीद की जा रही है कि जिला प्रशासन इस पर कडी कार्यवाही करते हुए नागरिकों को इस धोखाधडी से बचाएगा।

इस पूरे मामले में बडा सवाल ये भी है कि ओमेक्स नामक कंपनी को इस तथ्य की जानकारी है या नहीं कि राजेन्द्र पितलिया द्वारा अपनी कालोनी शुभम पार्क को ओमेक्स सिटी रतलाम के नाम से बेचा जा रहा है। कहीं ऐसा तो नहीं ओमेक्स सिटी वालों को इस बात की भनक ही ना हो कि उनकी कंपनी के नाम पर रतलाम में धोखाधडी की जा रही है। किसी कालोनी के विकास और प्लाटों के विक्रय के लिए बनाए गए नियमों में कहीं ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि कोई कालोनाईजर अनुमति एक नाम से प्राप्त करें और कालोनी के प्लाट दूसरे नाम से विक्रय करें। लेकिन रतलाम में राजेन्द्र पितलिया धडल्ले से इस धोखाधडी में लगे हुए है। जिला प्रशासन जब इस की जांच करेगा तभी जाकर यह स्पष्ट हो सकेगा कि यह धोखाधडी कितनी बडी है।

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