आपसी रचनात्मक संवाद को बढ़ाएगा ‘सुनें-सुनाएं’, पहली बैठक 9 अक्टूबर को,दो रचनाओं की प्रस्तुति
रतलाम,06अक्टूबर(इ खबर टुडे)। हमारे दौर की संवादहीनता और रचनाशीलता के प्रति कम होती प्रवृत्ति को नया आयाम देने के उद्देश्य से शहर में रचनात्मक आयोजन “सुनें-सुनाएं “ की शुरुआत की जा रही है। शहर में रचनात्मक वातावरण को तैयार करने और लोगों के बीच स्वस्थ संवाद की परंपरा को कायम करने के उद्देश्य से यह रचनात्मक पहल की जा रही है।
रतलाम शहर में अभी कोई ऐसा संवाद स्थल नहीं है जहां बैठकर रचनात्मक विमर्श किया जा सके। साहित्यिक, सांस्कृतिक और कला क्षेत्र से जुड़ी चर्चा की जा सके । इसी कारण शहर में नई पीढ़ी के बीच रचनात्मकता का अभाव परिलक्षित हो रहा है । इसी की चिंता करते हुए शहर के रचनात्मक गतिविधियों से जुड़े बंधुओं ने ‘सुनें- सुनाएं’ के माध्यम से एक पहल की है। यह एक सजीव कार्यक्रम होगा, जो मासिक रूप से आयोजित किया जाएगा। इस आयोजन में कोई भी व्यक्ति अपनी रचनाओं का पाठ नहीं करेगा सिर्फ़ अपनी पसंद के किसी रचनाकार की रचना का ही पाठ करेगा।
आयोजन बहुत अधिक लंबी अवधि का नहीं हो, इसलिए आयोजन में पढ़ी जाने वाली रचना का निर्धारण पूर्व से ही किया जाएगा। इस आयोजन से किसी का भी अधिक वक़्त ज़ाया नहीं होगा, बल्कि हमें कुछ मिलेगा ही।यह आवश्यक नहीं कि उपस्थित हर व्यक्ति हर आयोजन में किसी रचनाकार की रचना को प्रस्तुत करें ही। सिर्फ श्रोता के रूप में भी इसमें शामिल हो सकते हैं ।
यह पूरी तरह अनौपचारिक एवं रचनात्मक आयोजन होगा। इसमें किसी भी तरह का आग्रह, दुराग्रह, पूर्वाग्रह भी नहीं होगा । ऐसे आयोजन में उपस्थिति से हमारे शहर का रचनात्मक वातावरण अधिक सारगर्भित हो सकेगा । यह केवल और केवल हमारे बीच रचनात्मक संवाद को बढ़ाने की एक विनम्र पहल है।
पहली बैठक – रविवार 9 अक्टूबर को
पढ़ने और पढ़ाने, सुनने और सुनाने के इस आयोजन की शुरुआत 9 अक्टूबर रविवार को होगी। रोटरी क्लब एनैक्सी (प्रथम तल), रतलाम पर प्रातः 10.45 बजे आयोजन स्थल पर एकत्रीकरण होगा।11.00 बजे कैलाश व्यास द्वारा डॉ.शिवमंगलसिंह सुमन की एक कविता का पाठ किया जाएगा। इसके बाद विष्णु बैरागी द्वारा व्यंग्यकार शरद जोशी के दो व्यंग्य सुनाए जाएंगे। 11.40 बजे से विमर्श और अगले आयोजन में सुनाई जाने वाली रचनाओं पर चर्चा होगी।12.00 बजे समापन होगा।
यह अनौपचारिक और समयबद्ध कार्यक्रम रहेगा। कार्यक्रम ठीक समय पर प्रारंभ करेंगे , फिर चाहे उपस्थिति कितनी भी हो। इसके ज़रिए हम समयबद्ध कार्यक्रम की परंपरा की भी शुरुआत करेंगे। ‘सुनें -सुनाएं’ ने शहर के सभी सुधिजनों से आग्रह किया है कि इसके माध्यम से शहर में पढ़ने, मिलने , बैठने, सुनने, सुनाने की परंपरा को अपनी उपस्थिति से सार्थक बनाएं।