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हरियाणा : विधायकों की बल्ले-बल्ले, कार या फ्लैट खरीदने के लिए मिलेगा सस्ता लोन

हरियाणा सरकार ने अपने विधायकों को बड़ी राहत देते हुए नए नियम बनाए हैं। अब कोई भी विधायक फ्लैट या कार खरीदने के लिए एक करोड़ रुपये तक का लोन सरकार से ले सकता है। इसके अलावा यदि विधायक को अपने मकान की मुरम्मत करवानी है तो वह 10 लाख रुपये तक का ऋण बहुत ही सस्ती ब्याज दरों पर ले सकेगा। हरियाणा के विधायकों को अब तक मकान के लिए 60 लाख रुपये और कार के लिए 20 लाख रुपये का ऋण मिलता था। अब नायब सैनी सरकार ने यह रा​शि बढ़ा दी है। वहीं विधायकों के आश्रितों के लिए सरकार ने मेडिकल सुविधा देने की भी घोषणा की है।


विधायक की मौत के बाद भी सुविधा
हरियाणा सरकार अब विधायक या पूर्व विधायक की मौत होने के बाद उसके ​आश्रित पति-पत्नी को सरकारी खर्च पर स्वास्थ्य सुविधाएं देगी। महंगाई को देखते हुए सरकार ने अब फ्लैट या कार खरीदने के लिए एक करोड़ रुपये की रा​शि की घोषणा की है। ऐसे में मकान व कार की रा​शि में 20 लाख रुपये की बढ़ोतरी की गई है। यह घोषणा बजट सत्र के अंतिम दिन संसदीय कार्यमंत्री महिपाल ढांडा ने की। उन्होंने सदन में दोनों संशोधन बिल रखे, जो सर्वसम्मति से पास हो गए।


अलग-अलग भी ले सकते हैं विधायक ऋण
महिपाल ढांडा ने बताया कि यह सब बढ़ती हुई महंगाई को देखकर किया गया है। कार व मकान की रा​शि में 20 लाख रुपये की बढ़ोती की गई है। यदि कोई विधायक फ्लैट खरीदता है तो उसे यह रा​शि दी जाएगी। कार या फ्लैट में से विधायक अपनी मर्जी से कोई भी चीज खरीद सकता है या फिर दोनों भी खरीद सकता है। उसे सरकार की तरफ से ऋण दिया जाएगा।


केवल चार प्रतिशत ब्याज
इन दोनों ही विधेयकों को सदन में रखने से पहले किसी भी विधायक से कोई चर्चा नहीं की गई ब​ल्कि दोनों विधेयक संशोधन अचानक सदन में रखे गए। पहले विधायकों को मकान के लिए 60 लाख रुपये और कार के लिए 20 लाख रुपये का ऋण मिलता था, जो अब बढ़ा दिया गया है। विधायकों को यह ऋण केवल चार प्रतिशत ब्याजदर पर ही मिलता है। इसकी सुविधा विधानसभा की तरफ से दी जाती है। इसके अलावा विधायक के आश्रितों को मेडिकल सुविधा भी पहले नहीं मिलती थी, जो मिलनी शुरू हो जाएगी।


अंतिम दिन छह विधेयक पारित
बजट सत्र के अंतिम दिन हरियाणा विनियोग (संख्या दो) विधेयक तथा हरियाणा (बंदी आदान प्रदान) निर्सन विधेयक समेत छह विधेयक हुए। विनियोग विधेयक में राज्य सरकार को दो लाख 58 हजार 339 करोड़ रुपये के भुगतान का अ​धिकार दिया गया। वहीं बंदी आदान प्रदान कानून को भी निरस्त कर दिया गया। पहले भारत व पाकिस्तान के बंदियों को आदान-प्रदान किया जाता था, अब महसूस किया गया कि इस कानून की कोई जरूरत नहीं है।

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