RSS Vijayadashmi : हिन्दुओ का दुर्बल रहना अपराध,दुनिया के हिन्दुओ को संगठित होना पड़ेगा- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विजयादशमी उत्सव में संघ प्रमुख डा.भागवत ने कहा ,यहाँ देखिये संघ प्रमुख का पूरा भाषण
नागपुर ,12 अक्टूबर (इ खबर टुडे)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के मुख्यालय में विजयादशमी का कार्यक्रम बड़े धूमधाम से मनाया गया । .इस खास मौके पर गणवेश धारी हज़ारो स्वयंसेवकों ने पथ संचलन निकाला। सर संघचालक डा. मोहन भागवत ने शस्त्र पूजन किया। विजय दशमी के मौके पर संघ प्रमुख मोहन भागवत आज स्वयंसेवकों को संबोधित किया है. अपने संबोधन में भागवत ने दुनियाभर के हिंदुओं से एकजुट होने की अपील की है। उन्होंने बांग्लादेश में हिंदुओं की हालत और भारत के खिलाफ फैलाए जा रहे नैरेटिव को समझाते हुए कहा, ‘आज के जमाने में दुर्बल और असंगठित रहना अपराध है, इसलिए खुद को बचाने के लिए संगठित रहना जरूरी है।” इसरो के पूर्व प्रमुख राधाकृष्णन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। .
नागपुर के रेशिमबाग मैदान में सुबह 7 बजकर 40 मिनट पर कार्यक्रम की शुरुआत हुई। वार्षिक संबोधन के दौरान संघ प्रमुख ने देश के कई मुद्दों पर अपनी राय रखी। उनके सम्बोधन की प्रमुख बाते इस प्रकार थी।
- बांग्लादेश से कोई बैर नहीं. बांग्लादेश को कौन भड़का रहा है, सब जानते हैं।
- बांग्लादेशी हिंदुओं की हालत खराब है. जहां-जहां हिंदू वहां बंटाधार हुआ।
- हिंदुओं को संगठित रहना होगा. संस्कार का निर्माण भी जरूरी।
- समाज की समस्याओं को सुधारना जरूरी।
- मनीषियों ने किसी के साथ भेदभाव नहीं किया. (जाति के आधार पर न बंटे…एकजुट रहें)
- वसुधैव कुटुंबकम को दुनिया मान रही है।
- कई शक्तियां भारत विरोधी ऐसे में दुर्बल और असंगठित रहना अपराध।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आज विजयादशमी कार्यक्रम पूरे देश में मना रहा है. संघ मुख्यालय नागपुर में इस कार्यक्रम को लेकर खास तैयारियां होती हैं. हर संघ सदस्य के लिए दशहरे का दिन बेहद खास होता है, क्योंकि विजयादशमी के दिन ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना हुई थी. संघ की स्थापना 1925 में दशहरा के दिन हुई थी. दशमी पर शस्त्र पूजन का विधान है… इस दौरान संघ के सदस्य पूरे विधि-विधान से शस्त्रों का पूजन करते हैं.
दशहरा के मौके पर नौ दिनों की उपासना के बाद 10वें दिन विजय कामना के साथ शस्त्रों का पूजन किया जाता है. विजयादशमी पर शक्तिरूपा दुर्गा, काली की पूजा के साथ शस्त्र पूजा की परंपरा हिंदू धर्म में लंबे समय से रही है. संघ की तरफ ‘शस्त्र पूजन’ हर साल पूरे विधि विधान से किया जाता है.
संघ का उद्देश्य भारतीय संस्कृति और नागरिक समाज के मूल्यों को बनाए रखना, समाज सेवा और सुधार के कार्य करना, आरएसएस की सबसे छोटी इकाई शाखा होती है, जहां स्वयंसेवक प्रतिदिन एकत्रित होकर शारीरिक प्रशिक्षण और धार्मिक अनुष्ठान करते हैं. वैसे बता दें कि सनातन धर्म के देवी-देवताओं की तरफ से धारण किए गए शस्त्रों का जिक्र करते हुए एकता के साथ ही अस्त्र-शस्त्र धारण करने की हिदायत दी जाती है.