आतंकी थी इशरत जंहा, बेगुनाही का कोई सबूत नहीं,17 साल बाद कोर्ट ने बरी किया तीन पुलिस अधिकारियो को
अहमदाबाद,31 मार्च (इ खबरटुडे)। गुजरात के इशरत जहां एनकाउंटर मामले में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने घटना के 17 साल बाद दिए अपने फैसले में इशरत जंहा को आतंकी करार दिया है। कोर्ट ने तीन पुलिस अधिकारियों को बरी कर दिया है। क्राइम ब्रांच के ये तीन अधिकारी जीएल सिंघल, तरुण बरोत (रिटायर्ड) और अनाजू चौधरी हैं जिन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया गया। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इशरत जहां लश्कर-ए-तैयबा की आतंकी थी और उसकी बेगुनाही के कोई सबूत नहीं है। उसके आतंकी होने सम्बन्धी खुफिया रिपोर्ट को नकारा नहीं जा सकता है।
सीबीआई की विशेष अदालत ने 2004 में इशरत जहां कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में न्यायाधीश वीआर रावल ने सिंघल, बरोत और चौधरी के आरोप मुक्त करने के आवेदन को मंजूरी दे दी। सीबीआई ने 20 मार्च को अदालत को सूचित किया था कि राज्य सरकार ने तीनों आरोपियों के खिलाफ अभियोग चलाने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया है।
अदालत ने अक्टूबर 2020 के आदेश में टिप्पणी की थी उन्होंने (आरोपी पुलिस कर्मियों) ‘आधिकारिक कर्तव्य के तहत कार्य’ किया था, इसलिए एजेंसी को अभियोजन की मंजूरी लेने की जरूरत है।
क्या है इशरत जहां एनकाउंटर मामला?
15 जून 2004 को मुंबई के नजदीक मुम्ब्रा की रहने वाली 19 साल की इशरत जहां गुजरात पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में मारी गई थी। इस मुठभेड़ में जावेद शेख उर्फ प्रनेश पिल्लई, अमजदली अकबरली राणा और जीशान जौहर भी मारे गए थे।
पुलिस का दावा था कि मुठभेड़ में मारे गए चारों लोग आतंकवादी थे और गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या करने की योजना बना रहे थे।हालांकि, हाई कोर्ट की गठित विशेष जांच टीम इस निष्कर्ष पर पहुंची कि मुठभेड़ फर्जी थी, जिसके बाद सीबीआई ने कई पुलिस कर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज किया।