December 25, 2024

धोखाधडी से हासिल जमीन पर बने बोधि स्कूल में फीस के नाम पर भी बच्चों के साथ अत्याचार, फीस न दे पाने पर परीक्षा से वंचित किए जा रहे है बच्चे

bodhi

रतलाम,21 जनवरी (इ खबरटुडे)। धोखाधडी कर हासिल की गई जमीन पर संचालित हो रहे बोधि स्कूल के संचालन में भी गडबडियों की भरमार है। कोरोना काल में पूरे समय स्कूल बन्द रहे लेकिन स्कूल संचालक बच्चों से पूरी फीस वसूलने पर अडे हुए हैैं। इतना ही नहीं फीस नहीं दे पाने वाले बच्चों को परीक्षा से वंचित किए जाने की धमकियां दी जा रही है। बच्चों के अभिभावकों ने कलेक्टर को लिखित शिकायत प्रस्तुत कर स्कूल संचालक के विरुद्ध कार्यवाही करने का निवेदन किया है।
उल्लेखनीय है कि डोंगरे नगर मेंं जिस जमीन पर बोधि स्कूल का संचालन किया जा रहा है,उक्त भूमि भू माफिया राजेन्द्र पितलिया ने नगर निगम के तत्कालीन अधिकारियों से मिलीभगत कर रियायती दरों पर न्यू रतलाम पब्लिक स्कूल के नाम से अवंटित करवाई थी। न्यू रतलाम पब्लिक स्कूल नाम का स्कूल तो रतलाम में कभी चालू नहीं हुआ लेकिन इसी जमीन पर बोधि स्कूल चलने लगा। इस मामले में आर्थिक अपराध शाखा ने राजेन्द्र पितलिया समेत नगर निगम के तत्कालीन अधिकारियों के विरुद्ध धोखाधडी और भ्रष्टाचार का आपराधिक प्रकरण दर्ज किया है।
इसी बोधि स्कूल में पढने वाले बच्चों से मनमानी फीस वसूली जा रही है और फीस ना दे पाने पर बच्चों को परीक्षा से वंचित रखने की धमकिया दी जा रही है। इन बच्चों के अभिभाïवक बेहद परेशान है। अभिभावकों का कहना है कि कोरोना काल में स्कूल पूरी तरह बन्द रहा है। ऐसे मेंकई स्कूलों ने अभिभाïवकों को शिक्षण शुल्क में राहत देकर आपसी सहयोग की मिसाल कायम की है। लेकिन बोधि स्कूल संचालक केवल अपना मुनाफा कमाने की जिद पर अडे हुए है।
अभिभावïकों ने पूर्व में बोधि स्कूल संचालक को एक आवेदन देकर मांग की थी कि कोरोना के इस कठिन समय में उन्हे फीस से राहत दी जाना चाहिए। अभिभावको ने स्कूल के प्रबन्धक को दिए अपने पत्र में कहा था कि किसी भी स्कूल की ट्यूशनफीस में तीस से पचास प्रतिशत राशि अन्य सुविधाओं जैसे स्पोर्ट्स,लाईब्रेरी,कम्प्यूटर लैब इत्यादि की जुडी हुई होती है। लेकिन इसे अलग अलग नहीं दर्शाते हुए सबको ट्यूशन फीस मेंं ही जोड दिया जाता है।
अभिभावको ने बताया कि हाईकोर्ट ने कोरोना काल में स्कूल संचालकों को केवल ट्यूशन फीस लेने के निर्देश दिए है,लेकिन बोधि स्कूल के संचालक ट्यूशन फीस मेंजुडे हुए अन्य गतिविधि के शुल्कों को कम नहीं करते हुए पूरी ट्यूशन फीस ही वसूल रहे है और हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देने पर यही बता रहे है कि हाईकोर्ट ने ट्यूशन फीस लेने के निर्देश दिए है। स्कूल संचालक हाईकोर्ट के आदेश की मंशा को स्पष्ट तौर पर जानते हुए भी फीस में कमी नहीं कर रहे है। अभिभावकों ने बताया कि कोरोना काल में स्कूल पूरी तरह बन्द रहा है। स्कूल प्रबन्धन ने स्टाफ में भी कमी कर दी है और उनके वेतन भी कम कर दिए है। स्कूल बन्द रहने की वजह से प्रबन्धन का व्यय भी काफी घट गया है। ऐसे में बच्चों की फीस में कमी करना आवश्यक है।

अभिभावको ने कहा कि वे नो स्कूल नो फीस जैसे अभियान से अलग रह कर स्कूल प्रबन्धन की मदद कर रहे हैैं,लेकिन उनकी मांग है कि कोरोना काल को देखते हुए फीस में कमी की जाना चाहिए। अपने इस आवेदन में अभिभावकों ने यह भी कहा था कि स्कूल संचालक ने अद्र्धवार्षिक परीक्षा में एडमिट कार्य अनिवार्य कर दिया है,जबकि अद्र्धवार्षिक परीक्षा में कभी भी एडमिट कार्ड जारी नहीं किए जाते। ये एडमिट कार्ड सिर्फ फीस के लिए अभिभावकों पर दबाव बनाने के लिए जारी किए गए है। वैसे भी आनलाईन परीक्षा में एडमिट कार्ड की कोई जरुरत नहीं होती। जब भी कोई बच्चा या अभिभावक एडमिट कार्ड लेने स्कूल मेंआता है,तो स्कूल संचालक उस पर दबाव बनाकर उससे फीस ले रहे है और तभी उसे एडमिट कार्ड दिया जा रहा है।

स्कूल संचालकों से काफी अनुनय विनय करने के बाद भी बोधि संचालकों ने फीस में कोई कमी नही की,उलटे फीस ना दे पाने वालों को डराना धमकाना शुरु कर दिया। कोरोना काल में कई बच्चों के अभिभावकों की आर्थिक स्थिति खराब हो गई है और वे स्कूल की भारी भरकम फीस दे पाने में असमर्थ है,इसलिए आखिरकार अभिभावकों ने जिला शिक्षा अधिकारी और कलेक्टर को इस बारे में लिखित शिकायत प्रस्तुत की। लेकिन इस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई।

बोधि स्कूल में पढने वाले बच्चों के अभिभावको द्वारा गठित बोधि स्कूल पालक संघ ने गुरुवार को फिर से कलेक्टर गोपालचन्द्र डाड को आवेदन देकर बताया कि स्कूल संचालकों द्वारा बच्चों को पढाई के नाम पर सिर्फ एक से दो घण्टे आनलाईन पढाया जा रहा है,लेकिन शिक्षण शुल्क पूरा वसूला जा रहा है। फीस वसूली के लिए एडमिट कार्ड के नाम पर दबाव बनाया जा रहा है। अभिभावकों ने कलेक्टर से मांग की है कि वे इस मामले में स्कूल प्रबन्धन के विरुद्ध कडी कार्यवाही करते हुए फीस में कमी कराए जिससे कि बच्चे निर्बाध रुप से पढाई कर सके।

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