मध्य प्रदेश

मध्यप्रदेश : अब पुलिस अधीक्षक कर सकेंगे जिलों के अंदर डीएसपी के तबादले

मध्यप्रदेश में अब पुलिस को लेकर नियमों में कुछ बदलाव होने की संभावना है। पुलिस मुख्यालय की तरफ से गृह विभाग को एक प्रस्ताव भेजकर जिलों में डीएसपी की ड्यूटी लगाने का अ​धिकार पुलिस अधीक्षक को देने की मांग की है। यदि यह प्रस्ताव गृह विभाग लागू कर देता है तो फिर पुलिस अधीक्षक जिले में किसी भी डीएसपी किसी भी क्षेत्र में तैनात कर सकता है। हालांकि यह नियम लागू होना मु​श्किल लग रहा है क्योंकि इस नियम को लेकर पुलिस विभाग के अ​धिकारी दो धड़ों में बंट गए हैं। कुछ इसका समर्थन कर रहे हैं तो कुछ इसका विरोध भी कर रहे हैं। अभी तक गृह विभाग ही डीएसपी की पो​स्टिंग का स्थान निर्धारित करता है।


पुलिस मुख्यालय की तरफ से जो प्रस्ताव भेजा गया है, उसके अनुसार गृह विभाग डीएसपी को केवल जिला अलॉट करेगा। गृह विभाग यह सुनि​श्चित करेगा कि डीएसपी को किस जिले में लगाना है। जिले में डीएसपी के आने के बाद उसको जिले के किस हिस्से में लगाना है, यह तय करने का पुलिस अधीक्षक का होगा। पुलिस अधीक्षक ही यह तय करेंगे कि डीएसपी को जिला मुख्यालय पर लगाना है या फिर किसी तहसील या उपमंडल में। इसका फैसला पुलिस अधीक्षक अपने विवेक से ले सकेंगे।


दो धड़े में बंटे अ​धिकारी
इस प्रस्ताव के विरोध में पुलिस के ही कुछ अ​धिकारी सामने आ गए हैं। वरिष्ठ अ​धिकारी इस कदम का समर्थन कर रहे हैं क्योंकि उनको अपने हिसाब से काम करवाने में आसानी होगी, जबकि 2015 से लेकर 2015 बैच के अ​धिकारी इसका विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इससे तानाशाही का माहौल बनेगा। पुलिस अधीक्षक का फैसला पक्षपातपूर्ण हो सकता है।


तेज गति से कार्य होने का हवाला
पुलिस मुख्यालय द्वारा नई व्यवस्था को लागू करने के पीछे तर्क दिया गया है कि इससे कार्य तेज गति से हो सकेगा। पुलिस मुख्यालय से पुलिस अधीक्षक को डीएसपी और एसडीओपी स्तर के अ​धिकारियों के तबादले की अनुमति प्राप्त करनी पड़ती है। ऐसे में काफी समय लग जाता है। यदि पुलिस अधीक्षक को ही यह अ​धिकार मिल जाएं तो यह प्रक्रिया तेजी से होगी। इससे काम में भी तेजी आएगी और पुलिस अ​धिकारी क्राइम कंट्रोल पर अ​धिक प्रभावी काम कर सकेंगे।


कानून व्यवस्था में होगा सुधार
नए नियम के तहत कानून व्यवस्था सुधार का भी पक्ष रखा गया है। एक जिले में पांच से सात डीएसपी स्तर के अ​धिकारी होते हैं। बड़े जिलों में यह संख्या दस तक हो जाती है। ऐसे में कानून व्यवस्था में सुधार के लिए इन अ​धिकारियों को पुलिस अधीक्षक अपनी इच्छा के अनुसार जहां जरूरत होगी, वहीं लगा सकेंगे। अ​धिकारियों ने तर्क दिया है कि यह कदम जिलों में कानून व्यवस्था में सुधार लाएगा। इससे पुलिस व्यवस्था और बेहतर होगी।


सोशल मीडिया में पहुंचा विवाद
अ​धिकारियों के दो धड़ों में बंटने के कारण यह विवाद सोशल मीडिया तक पहुंच गया है। कुछ अ​धिकारियों ने बिना हस्ताक्षर के एक ज्ञापन भी सरकार को भेजा है। यह ज्ञापन सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। ज्ञापन में कहा गया है कि यदि नई व्यवस्था लागू होती है तो इसे कम से कम आईजी स्तर तक बढ़ाया जाए। इससे निष्पक्षता बनी रहेगी। वहीं विरोध करने वाले अ​धिकारियों का कहना है कि इससे राजनीतिक हस्तक्षेप ज्यादा बढ़ जाएगा। इससे पुलिसिंग की गुणवत्ता भी प्रभाव होगी। पुलिस अधीक्षक को बोलकर राजनीतिक लोग अपने चहेतों का तबादला करवा सकेंगे।

Back to top button