Holi: होली की इस गांव से हुई थी शुरुआत, 5000 साल पुराने महल आज भी दे रहे हैं गवाही
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Holi festival history: होली त्योहार की शुरुआत उत्तरप्रदेश के एक गांव से हजारों साल पहले हुई थी। होली पर्व 14 मार्च को मनाया जाएगा। होली पर्व पर हर कोई रंगारंग नजर आता हैं, लेकिन बहुत सारे लोगों को यह नहीं पता कि यह पर्व क्यों मनाया जाता है और यह पर्व कहां से शुरू हुआ।
पाठकों को बता दें कि होली पर्व 5000 साल मनाया जा रहा है। इस पर्व की शुरुआत उत्तर प्रदेश के हरदोई शहर गांव ककेड़ी से हुई थी।
पौराणिक कथा के अनुसार यह पर्व भगवान विष्णु और उनके परम भक्त प्रहलाद से जुड़ा हुआ है। हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु का कटर दुश्मन था और उसने भगवान विष्णु पर कई जुल्म किए और साजिश रची लेकिन हर में असफल हो जाता।
वहीं हिरण्यकश्यप का बेटा प्रहलाद भगवान विष्णु का भक्त था। इसके चलते हिरण्यकश्यप ने अपने बेटे को मारने के कई प्रयास किए। लेकिन हर बार भगवान विष्णु अपने भक्त प्रहलाद को बचा लेते थे।
प्रहलाद को बहन होलिका से मरवाने का किया प्रयास
हिरण्यकश्यप ने अपने बेटे प्रहलाद को मारने के लिए अपनी बहन होलिका को कहा। कथा के अनुसार होलिका को वरदान था कि वह आग में जलती नहीं थी। इसलिए एक दिन होलिका प्रहलाद तो गोदी में लेकर जलती हुई आग में बैठ गई।
इस पर भगवान विष्णु ने अपने शक्ति से प्रहलाद को बचा लिया और होलिका जलकर राख हो गई।
यह घटना होली पर्व की उत्पत्ति का कारण बनी। लोग इस घटना की खुशी में एक दूसरे को रंग लगाकर खुशी मनाई थी। उसी के बाद से यह परंपरा शुरू हो गई।
उसी दिन के बाद से होली पर्व लोग होली का दहन करते हैं।
बाद में भगवान विष्णु ने नृसिंह का अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का वध कर दिया था।
इस पर लोगों को ने खुशी जताई। आज भी हरदोई के ककेड़ी गांव में आज भी 5000 साल से भी पुराना नृसिंह भगवान मंदिर, प्रहलाद घाट, हिरण्यकश्यप के महल का खंडहर हैं।
उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले का पुराना नाम हरिद्रोही था. यह हिरण्यकश्यप की राजधानी थी.