December 23, 2024

Hats Off Congress : सब कुछ ख़त्म हो जाने के बाद भी दमखम दिखाते कांग्रेस प्रवक्ताओं के साहस को सलाम

RAHUL

-तुषार कोठारी

हाल में हुए तीन बडे चुनावों में से दो स्थानों पर कांग्रेस का अस्तित्व लगभाग समाप्त हो गया,लेकिन टीवी की बहसों में आने वाले कांग्रेस प्रवक्ता पूरे दम खम से कांग्रेस की सफलता गिनाने में लगे है। निश्चित ही उनके साहस को सलाम किया जाना चाहिए। वे इस बात से खुश है कि हिमाचल विधानसभा चुनाव जीतने के साथ वे राजस्थान और छत्तीसगढ की एक एक विधानसभा सीट का उपचुनाव भी जीते है और दूसरी तरफ इन उपचुनावों की कुल पांच विधानसभा सीटों में से भाजपा सिर्फ दो सीटें जीती है,जबकि तीन पर हार गई है। वे इससे भी खुश है कि उत्तरप्रदेश में मैनपुरी लोकसभा सीट का उपचुनाव भी भाजपा हार गई है। लेकिन उन्हें इस बात की कोई चिंता नहीं है की दो महत्वपूर्ण राज्यों में उनका अस्तित्व समाप्त होने की कगार पर जा पंहुचा है।

देश में पिछले आठ सालों में हुए दर्जनों चुनावों में कांग्रेस को लगातार पराजय पर पराजय मिल रही है। जब भी किसी चुनाव के परिणाम आने वाले होते है,कांग्रेस प्रवक्ताओं की तैयारी शुरु हो जाती है। उनका साहस देखिए कि वे जानते है कि अगले दिन आने वाले नतीजे उनके लिए शर्मनाक होंगे,लेकिन वे अपने वाक्पटुता से पराजय के दर्द को न सिर्फ नदारद कर देते है बल्कि चुनाव जीत रही भाजपा के मत प्रतिशत में एकाध प्रतिशत की कमी जैसे मुद्दों को उठाकर प्रसन्नता प्रदर्शित करने लगते है। अपने नेता की लगभग मूर्खता भरी बातों को सही साबित करने में भी वे कोई कोर कसर नहीं छोडते। दो महत्वपूर्ण राज्यों के विधानसभा चुनाव को छोडकर यात्रा निकाल रहे अपने नेता के चुनाव प्रचार में ना जाने तक को वे तर्कसंगत बताने में परहेज नहीं करते।

कई सारे लोगों के टीवी की बहसों में कांग्रेस प्रवक्ताओं को वक्तव्य सुनना आज सबसे बडा मनोरंजन का साधन बन चुका है। हाल ही में आए नतीजों के बाद अलग अलग टीवी चैनलों पर मौजूद कांग्रेस प्रवक्ताओं के वक्तव्य इतने मनोरंजक थे कि सुनने वालों को किसी जबर्दस्त कामेडी शो को देखने का आनन्द मिल रहा था।

कांग्रेस के पास ऐसे साहसी प्रवक्ताओं की पूरी फौज है। सुप्रिया श्रीनेत,अभय दुबे,गौरव वल्लभ,पवन खेडा,अखिलेश प्रताप सिंह,रोहन गुप्ता,अलोक शर्मा आदि ऐसे साहसी प्रवक्ता है,जो कांग्रेस की किसी भी अप्रिय स्थिति में कांग्रेस का बचाव करने को तैयार रहते है। हाल के चुनावों में दो महत्वपूर्ण राज्यों दिल्ली और गुजरात में कांग्र्रेस का अस्तित्व लगभग समाप्त हो चुका है। इतनी विकट परिस्थिति में भी ये प्रवक्ता, ऐतिहासिक रेकार्डतोड जीत दर्ज करने वाली भाजपा को तो गलत साबित करने की कोशिश करते ही है,जनादेश देने वाले मतदाताओं के जनादेश को भी गलत साबित करने में संकोच नहीं करते।

गुजरात चुनाव के नतीजों के बाद टीवी चैनलों पर चल रही बहस में लगभग सभी प्रवक्ता इसी लाइन पर चल रहे थे। गुजरात जैसे राज्य के मतदाताओं द्वारा कांग्रेस को पूरी तरह नकार दिए जाने पर वे ये तर्क दे रहे थे कि गुजरात में लोग परेशान है,मतदाताओं में भाजपा को लेकर नाराजगी भी है और भाजपा को मिले जनादेश का कोई महत्व नहीं है। एक प्रवक्ता कह रहे थे कि खुद प्रधानमंत्री और तमाम केन्द्रीय मंत्रियों को इतनी मेहनत करना पडी तब जाकर ये नतीजा आया है। अगर इतने सारे मंत्री मैदान में नहीं उतरते तो नतीजा कुछ और होता। प्रवक्ता ने यह भी जोडा कि आम आदमी पार्टी की मौजूदगी के कारण कांग्रेस को नुकसान हुआ है और आम आदमी पार्ट भाजपा की मदद के लिए ही आई थी। मजेदार बात ये है कि किसी भी प्रवक्ता ने एक बार भी ये नहीं कहा कि कांग्रेस को आत्मनिरीक्षण की जरुरत है या कांग्रेस परिणामो से कोई सबक लेगी।

कांग्रेस के ये साहसी प्रवक्ता उन तमाम बातों को उठाने में भी कोई दिक्कत नहीं महसूस करते,जिन्हे मतदाता पिछले कई चुनावों में अपने वोट के जरिये बार बार नकार चुके है। वे ध्रुवीकरण,नोटबंदी,जीएसटी और हिन्दू विरोध जैसे तमाम मुद्दों को बार बार सामने लाते है और खुश होते है कि उन्होने बहस के दौरान अपनी पार्टी को जमकर सही साबित किया।

ये अलग बात है कि टीवी की इन बहसों में ये अलग बात है कि टीवी की इन बहसों में ये अलग बात है कि टीवी की इन बहसों में ये अलग बात है कि टीवी की इन बहसों में कांग्रेस प्रवक्ताओं के बयान सुन कर टीवी के कई दर्शकों के मन में कांग्रेस के प्रति वितृष्णा और बढ जाती है,लेकिन आखिरकार प्रवक्ता वही बात कह रहे होते है,जो उनके नेता और पार्टी की तय गाइड लाइन होती है।

टीवी का एक सामान्य दर्शक अत्यन्त विपरित परिस्थिति मेंं कांग्रेस का बहादुरी से बचाव करते प्रवक्ता को देखकर उनके साहस को सलाम करने लगता है। प्रवक्ताओं की बातों से वह दर्शक कांग्र्रेस से भले ही नाराज हो जाए,लेकिन प्रवक्ता के साहस का सराहना जरुर करता है। गुजरात और दिल्ली जैसे शर्मनाक नतीजे आने पर एक सामान्य व्यक्ति को लगता है कि कोई भी प्रवक्ता अब किस तरह कांग्रेस का बचाव कर सकेगा। सामान्य व्यक्ति को लगता है कि इतनी विपरित परिस्थिति में तो प्रवक्ता खुद ही बहस में जाने से इंकार कर देंगे। लेकिन जब टीवी की स्क्रीन पर कांग्रेस प्रवक्ता पूरे दमखम के साथ बैठे नजर आते है और गले ना उतरने वाले अनूठे तर्क सामने रखकर जोर शोर से बहस करते है,तो सामान्य दर्शक न सिर्फ आश्चर्य चकित रह जाता है,बल्कि इन साहसी प्रवक्ताओं के साहस को भी सलाम करता है।

कांग्रेस नेतृत्व को निश्चित ही ऐसी प्रत्येक पराजय के बाद अपने साहसी प्रवक्ताओं को सम्मानित करना चाहिए क्योकि ये बहादुर प्रवक्ता ही है जो सब कुछ ख़त्म हो जाने के बावजूद भी कांग्रेस को देश की सबसे बड़ी और मजबूत पार्टी और अपने नेता को दुनिया का सबसे लोकप्रिय नेता बताते है। शायद इन्ही प्रवक्ताओं के तर्क सुनकर कांग्रेस का नेतृत्व भी खुद को इसी भ्रम में रखे हुए है। यही भाजपा के लिए सबसे बड़े फायदे की बात है।

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