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हरियाणा : जमीन खरीद-फरोख्त मामले में नया नियम, अब गड़बड़ियों पर लगेगी रोक

हरियाणा सरकार ने अब जमीन खरीद-फरोख्त मामले में नया नियम लागू कर दिया है। इसके बाद अब जमीन खरीद-फरोख्त मामले में गड़बड़ियां नहीं हो सकेंगी। ऐसा करने वाले अब नपे जाएंगे। यदि प्लाट के खरीददार ने समय पर जमीन की रजिस्ट्री नहीं करवाई तो उन्हें मौजूदा कलेक्टर रेट पर स्टांप शुल्क देना पड़ेगा। इससे लोग समय पर जमीन की रजिस्ट्री करवाएंगे और सरकार को राजस्व का नुकसान नहीं होगा।


बहुत बार ऐसा होता है कि जो लोग जमीन खरीद कर उनमें प्लाट काट देते हैं, वह जमीन की रजिस्ट्री नहीं करवाते थे। ऐसे में जमीन एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंच जाती थी, लेकिन उसकी रजिस्ट्री नहीं होती थी। ऐसे में रजिस्ट्री नहीं होने के कारण स्टांप ड्यूटी के रुप में जो राजस्व की आमदनी सरकार को होती थी, वह नहीं हो पाती थी। ऐसी जमीन कई बार बिक जाती थी, लेकिन जमीन की रजिस्ट्री बहुत बाद में होती थी। इस बीच जमीन तीन से चार बार बिक जाती थी। जब तक जमीन की रजिस्ट्री नहीं होती, तब तक सरकार को राजस्व नहीं मिलता है। ऐसे में सरकार को चूना लगता था। अब ऐसा नहीं होगा, जमीन की रजिस्ट्री एक नियमित समय में करवानी पड़ेगी। यदि इस दौरान रजिस्ट्री नहीं करवाई तो जितनी स्टांप ड्यूटी उस जमीन पर लगनी है, उतनी स्टांप ड्यूटी सरकार के पास जमा करवानी पड़ेगी।


बहुत बार होते थे विवाद
कई बार समय पर रजिस्ट्री नहीं करवाने के कारण विवाद भी होते थे। जब जमीन का मालिक रजिस्ट्री नहीं करवाता था, तो लंबे समय तक जमीन उसी के नाम रहती थी। ऐसे में जब तीसरा कोई व्य​क्ति जमीन खरीदता था, तो उसे रजिस्ट्री करवाने के लिए पहले मालिक के पास ही जाना पड़ता था। ऐसे में कई बार विवाद हो जाते थे। इस विवादों के बाद पुलिस थानों में मामले दर्ज होते थे और लोगों को अदालत तक के चक्कर काटने पड़ते थे। अब ऐसा नहीं होगा। समय पर रजिस्ट्री होने के कारण विवाद नहीं होंगे।


ऑनलाइन होगी रजिस्ट्री
अब सरकार ने निर्णय लिया है कि पासपोर्ट कार्यालयों की तर्ज पर रजिस्ट्री करवाने की सुविधा ऑनलाइन भी उपलब्ध करवाई जाएगी। प्रदेश में पूरी जमीन का ड्रेन सर्वेक्षण करके एक-एक इंच का ऑनलाइन रिकार्ड उपलब्ध है। इसे राजस्व विभाग ने कंप्यूटरीकृत भी कर दिया है। इससे जमीन मालिकों को बड़ी राहत मिली है। अब गड़बड़ी होने के कम चांस हैं। तहसील कार्यालय में जमीन का खसरा नंबर, मलकियत, विक्रय मूल्य, रकबा सभी कुछ ऑनलाइन रिकार्ड दर्ज है। ऐसे में जमीन के मामलों में अब घोटाले होने के चांस बहुत ही कम हैं।

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