उत्साहित कांग्रेस में पदों के इंतजार में हताश कार्यकर्ता ।
-चंद्र मोहन भगत
यह शाश्वत सच है कि डूबती कांग्रेस को भारत जोड़ो यात्रा से राहुल गांधी ने सींच कर फिर से कांग्रेस को जनमत में देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी मानने का दर्जा दिला दिया । कांग्रेस के हताश पदाधिकारियों क्षत्रप नेताओं और कार्यकर्ताओं तक में ऊर्जा का संचार कर दिया है । राहुल गांधी की इस यात्रा से सिर्फ कांग्रेसी ही नहीं देश के जनमानस को भी सरकार के खिलाफ अपने साथ जोड़ लिया और इन बातों का भाजपा सरकार पर भी असर दिखने लगा है । राहुल गांधी के साथ जनमानस अपने आप आया था उन्हें बुलाया नहीं गया था ना ही बुलाया जा सकता था पर सभी ने देखा भारत जोड़ो यात्रा में ऐसा हुआ। इसके उलट देशभर के कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को तो इस यात्रा में अपनी सहभागिता दिखाना ही थी अपने राष्ट्रीय नेता के साथ ऐसा ही भारत जोड़ो यात्रा में देखा गया था। इस यात्रा से बने देश के राजनीतिक वातावरण में कांग्रेसियों का जोश फिर से हाई होता गया और वर्तमान समय में जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं वहां के सर्वे अभी तो कांग्रेस की जनसाख को अधिक होना ही बता रहे हैं ।नतीजा भी यही आएगा या विपरीत यह समय बताएगा !
कांग्रेस संगठन के पदाधिकारियों के चेहरे से लेकर रुतबे तक पर इसका असर बढ़ता हुआ देखने को मिल रहा है। बाहरी आवरण ऐसा ही सार्वजनिक प्रस्तुत किया जा रहा है कांग्रेस के क्षत्रप नेताओं के दौरा कार्यक्रम में कार्यकर्ताओं की भीड़ भी इन नेताओं के मुगालते को हाइट देती जा रही है । ऐसा करना उनकी मजबूरी भी है क्योंकि जनसाख का पैमाना अलग और पार्टी के ही कार्यकर्ता का अलग है। सालों से दशकों से आस लगाए कार्यकर्ता क्षत्रप नेताओं के दौरों में इसलिए हाजिरी दे रहे हैं कि बहुत से संगठन के खाली पदों पर बीते समय की मेहनत और पार्टी के प्रति समर्पण के कारण आसीन होना चाहते हैं।
राहुल की भारत जोड़ो यात्रा के बाद राष्ट्रीय से लेकर जिला संगठनों तक आमूलचूल परिवर्तन की बयार चल पड़ी है । इसी बयार में जमीनी कार्यकर्ताओं की उम्मीद जागी हुई है कि जिला ग्रामीण शहर ब्लाक उपबलाक वार्ड व अन्य सहयोगी शाखाओं में भी पदासीन हो जाएंगे ! राहुल की यात्रा के बाद भी निचले स्तर पर ऐसा होता नहीं आ रहा है । विधानसभा चुनाव के दिन प्रतिदिन घटते जा रहे हैं पर कांग्रेस के जमीनी कार्यकर्ता आज भी भीड़ बढ़ाकर ही नेताओं के सामने अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए हताशा के दौर से गुजर रहे हैं । पद भी खाली पड़े हैं अब अनेकों बार कार्यकर्ताओं को आश्वस्त भी किया गया है । अब वातावरण यह बनने लगा है जिला ब्लॉकों में कि पहले क्षत्रप नेताओं का दौरा हो जाए फिर पदाधिकारियों की घोषणा की जाएगी ?
इस तरह के वातावरण से कार्यकर्ताओं में हताशा और अधिक बढ़ने लगी है क्योंकि अब बड़े नेताओं के चुनावी दौरे शुरू हो गए हैं ऐसे में बड़े नेताओं का लगातार दौरा होते रहेंगें तब तक क्या छोटे पदाधिकारियों को के नामों की घोषणा को रोका जाएगा ? जमीनी कार्यकर्ताओं को चुनाव के पहले पदनाम देकर उत्साहित करने की बजाय हताशा की ओर क्यों धकेला जा रहा है ! जबकि सत्ताधारी भाजपा लगातार खाली संगठन व अन्य पदों पर मनोनयन कर जमीनी कार्यकर्ताओं का उत्साह वर्धन कर रही है । प्रदेश कांग्रेस संगठन अगर ऐसे ही शिथिल बने रहा तो हताश कार्यकर्ता दक्षिण के राज्यों जैसी सफलता प्रदेश कांग्रेश को नहीं दिला पाएंगे…!