कपास की खेती : सिंचाई की जरूरत कम, उत्पादन अच्छा

यदि आप कपास की खेती करना चाहते हैं तो आपके लिए यह उचित समय है, जब आप कपास की बिजाई कर सकते हैं। एक एकड़ में यदि आप कपास की अच्छी किस्म लगाते हैं तो आपको 80 से लेकर 90 हजार रुपये की पैदावार हो सकती है। इसके लिए आपको अच्छी तरह से खेत करने, बीज उपचार करने तथा कीटनाशकों का सही इस्तेमाल करना होगा। कपास की खेती के लिए सबसे उपयुक्त बात है कि इसमें पानी की सिंचाई बहुत कम करनी पड़ती है। इसलिए जिन क्षेत्रों में पानी की सिंचाई के बहुत कम संशाधन हैं, वहां पर कपास की खेती की जा सकती है।
भारत में लगभग 55 लाख किसान कपास की खेती बड़े पैमाने पर करते हैं। एक क्विंटल कपास की कीमत आठ से नौ हजार रुपये होती है। इस फसल का 12 क्विंटल तक प्रति एकड़ उत्पादन हो सकता है। ऐसे में यह आप इससे अच्छी कमाई कर सकते हैं।
पानी की जरूरत कम
भारत में महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, उत्तरप्रदेश तथा तमिलनाडू में भी कपास की खेती की जाती है। इस फसल को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती, इसलिए इसे सूखी जमीन पर भी उगाया जा सकता है। इसमें केवल छह प्रतिशत पानी ही सिंचाई के लिए प्रयोग किया जाता है। यदि पैदावार की बात करें तो गुजरात में सबसे ज्यादा पैदावार कपास की होती है। यह एक व्यावसायिक फसल है जो गुजरात के बाद महाराष्ट्र और पंजाब में भी बड़े पैमाने पर उगाई जाती है।
जल निकासी वाली जमीन
कपास की खेती के लिए ऐसी जमीन होनी चाहिए, जहां से पानी की निकासी तुरंत हो सके। इसके अलावा यह काली मिट्टी में ज्यादा पैदा होती है। इसके लिए गर्म जलवायु ज्यादा अच्छी रहती है। कपास के पौधे की गहराई 25 सेंटीमीटर से कम नहीं होनी चाहिए। गर्म जलवायु के लिए इसे अप्रैल से मई तक बोया जाता है। इस फसल को तैयार होने में 180 दिन तक का समय लग जाता है।
कपास की महत्वपूर्ण किस्में
कपास का अच्छा उत्पादन लेने के लिए आपको इसकी अच्छी किस्मों की जरूरत होगी। इसलिए अपनी मिट्टी के अनुसार ही कपास की किस्मों की बिजाई अपने खेत में करनी चाहिए।
RCH134BT किस्म बहुत ही अच्छी है। यह अच्छी पैदावार देने वाली बीटी किस्म है। यह किस्म सुंडी और अमेरिकन सुंडी विरोध है। यह सबसे कम 160 दिन में तैयार हो जाती है। इसकी साढ़े 11 क्विंटल तक पैदावार प्रति एकड़ हो सकती है। यह एक अच्छे रेशे वाली किस्म है, जिसमें अच्छा वजन होता है। इसमें से साढ़े 34 प्रतिशत तक रुई तैयार हो जाती है।
RCH 317BT भी एक बीटी किस्म है। यह किस्म धब्बेदार सुंडी और अमेरिकन सुंडी को पनपने नहीं देती। यह फसल भी 165 दिन में चुगाई के लिए तैयार हो जाती है। इस किस्म की औसतन पैदावार साढ़े 10 क्विंटल के आसपास होती है। इसमें से 34 प्रतिशत तक रुई निकलकर तैयार हो जाती है।
MRC 6301BT उच्च पैदावार वाली बीटी किस्म है। यह किस्म भी 165 दिन में तैयार हो जाती है। इसकी औसतन पैदावार 10 क्विंटल प्रति एकड़ यानी 25 मण के आसपास होती है। इस कपास में भी 34.7 प्रतिशत रुई निकलती है। वहीं MRC 6304BT किस्म भी एक एकड़ में 10 क्विंटल से ज्यादा पैदावार देती है। यह भी धब्बेदार सुंडी और अमेरिकन सुंडी को पैदा नहीं होने देती। इसमें से 35.2 प्रतिशत तक रुई का उत्पादन होता है।
अंकुर 651 किस्म तेले और पत्ता मरोड़ की रोधक है। यह किस्म 170 दिन में चुगाई के लिए तैयार होती है। यह किस्म नर्मा गेहूं के फसली चक्र के अनुकूल है। इसकी औसतन पैदा सात क्विंटल प्रति एकड़ है। इसमें से 35.2 प्रतिशत रुई का उत्पादन होता है।
Whitegold एक हाइब्रिड किस्म है। यह पत्ता मरोड़ बीमारी की रोधक है। यह किस्म 180 दिन में पककर तैयार हो जाती है। प्रति एकड़ यह फसल 6.5 क्विंटल निकलती है। इसकी रुई की क्षमता 30 प्रतिशत है।