मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष और विधायकों को चेतन्य काश्यप ने भेंट की ‘एक संसदीय क्षेत्र-एक मेडिकल कालेज’ पुस्तक
रतलाम 22 दिसम्बर (इ खबरटुडे)। विधायक चेतन्य काश्यप ने भोपाल में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान और विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम को ‘एक संसदीय क्षेत्र-एक मेडिकल कालेज’ पुस्तक भेंट की। यह पुस्तक प्रदेश के सभी 230 विधायकों को भी वितरित की गई है। यह एक नीति पत्र है। इस पुस्तक को श्री काश्यप ने गहन शोध एवं अध्ययन के बाद स्वयं तैयार किया है और इसका प्रकाशन काश्यप फाउण्डेशन द्वारा किया गया है। इस पुस्तक में मेडिकल कालेज खोलने एवं डाक्टरों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के बारे में वैज्ञानिक आधार पर तर्कपूर्ण विवेचना की गई है ।
श्री काश्यप ने इस अवसर पर कहा कि एक मेडिकल कॉलेज सिर्फ एक शैक्षणिक संस्थान ही नहीं बल्कि एक सेवा संस्थान भी है। इस दोहरी भूमिका के कारण इसकी स्थापना का वैज्ञानिक आधार होना चाहिए ताकि अधिक से अधिक लोग इससे लाभान्वित हो सकें। मेडिकल कॉलेजों के प्रसार पर करीब से नज़र डालने से मेडिकल कॉलेजों के असमान वितरण का पता चलता है और यह महसूस होता है कि केवल मेडिकल कॉलेजों की संख्या में वृद्धि करने से समस्या का समाधान नहीं होगा, बल्कि मेडिकल कॉलेजों की स्थापना के लिए उपयुक्त क्षेत्र का निर्धारण करना भी एक अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य है। इस पृष्ठभूमि के साथ यह संभवतः पहला व्यापक अध्ययन है, जिसमें संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों को जनसंख्या और भौगोलिक दृष्टि से जुड़े क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाली सर्वाेत्तम व्यवहार्य इकाई के रूप में लिया गया है।
यह रिपोर्ट नीतिगत अनुशंसा के साथ-साथ उचित कार्रवाई की आवश्यकता के संबंध में ठोस सुझाव प्रदान करती है।
विधायक श्री काश्यप ने कहा कि नीति-पत्र में देश के प्रत्येक संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में कम से कम एक मेडिकल कॉलेज स्थापित करने का सुझाव दिया है, क्योंकि यह स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी वाले क्षेत्रों तथा भौगोलिक दृष्टि से संबंद्ध क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाऐं प्रदान करेगा एवं उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समूह द्वारा सुझाए गए 25 लाख की आबादी पर एक मेडिकल कॉलेज के लक्ष्य को प्राप्त करेगा।
श्री काश्यप ने बताया कि अध्ययन यह भी सुझाव देता है कि प्रवेश और नियुक्ति दोनों स्तरों पर स्थानीय क्षेत्र के योग्य छात्रों को प्राथमिकता दी जाये जिससे उन्हें उस क्षेत्र में सेवा देने का उत्साह भी अधिक रहेगा एवं वे सहजता से ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में सेवाएं प्रदान करेंगे। इससे देश में डॉक्टर- जनसंख्या अनुपात की विसंगति को दूर करने में मदद मिलेगी।