Birds Survey : बर्ड्स सर्वे को लेकर गंभीर नहीं है वन विभाग, प्रतिभागियों को सूचना तक नहीं मिली बर्ड्स सर्वे की
भोपाल/रतलाम,2 फरवरी (इ खबरटुडे)। प्रदेश की जैवविविधता को संरक्षित करने के उद्देश्य से वन विभाग द्वारा पिछले कुछ वर्षों से शौकिया बर्ड्स वॉचर्स साथ मिलकर बर्ड्स सर्वे के कार्यक्रम शुरु किए गए हैैं। लेकिन वर्तमान में वन विभाग इन कार्यक्रमों को लेकर पूरी तरह लापरवाह नजर आने लगा है। प्रदेश में इसी महीने तीन चार अलग अलग क्षेत्रों में बर्ड्स सर्वे के कार्यक्रम घोषित किए गए हैैं, लेकिन वन विभाग में इन कार्यक्रमों के प्रति कतई गंभीरता नजर नहीं आ रही। बर्ड्स सर्वे में शामिल होने के इच्छुक प्रतिभागियों को अब तक सर्वे के लिए चयनित किए जाने की सूचना तक नहीं दी गई है।
फरवरी माह में प्रदेश के कान्हा राष्ट्रीय पार्क,मुरैना और श्योपुर के घडियाल पार्क और गांधीसागर राष्ट्रीय उद्यान में बर्ड्स सर्वे आयोजित किए जा रहे है। ये सभी सर्वे फरवरी माह में आयोजित किए गए हैैं। वन विभाग ने इन कार्यक्रमों में शामिल होने के इच्छुक बर्ड्स वाचर्स से आनलाइन आवेदन आमंत्रित किए थे। इसके लिए देशभर के बर्ड्स वाचर्स द्वारा आनलाइन आवेदन प्रस्तुत भी किए गए। प्रक्रिया के मुताबिक आनलाइन प्रस्तुत किए गए आवेदनों में से उपयुक्त प्रतिभागियों का चयन कर उन्हे शीघ्रातिशीघ्र चयन किए जाने की सूचना भेजी जानी चाहिए, ताकि वे निर्धारित बर्ड्स सर्वे स्थल तक पंहुचने का कार्यक्रम बना सके।
बर्ड्स सर्वे में अब महज एक सप्ताह का समय शेष बचा है, परन्तु वन विभाग द्वारा अब तक चयनित बर्ड्स वाचर्स को उनका चयन किए जाने की सूचना नहीं भेजी गई है। बर्ड्स वाचिंग का शौक रखने वाले तमाम लोग इस सरकारी लेतलाली से परेशान है। कई सारे बर्ड्स वाचर्स मध्यप्रदेश के बाहर से दूरस्थ स्थानों से आने के इच्छुक है,लेकिन सरकारी लेतलाली की वजह से वे अपने आने का कार्यक्रम तय नहीं कर पा रहे है। समय कम रहने से रेलवे रिजर्वेशन इत्यादि भी उन्हे मिल नहीं पाएगा और वे इच्छा होने के बावजूद बर्ड्स सर्वे में शामिल नहीं हो पाएंगे।
क्या होता है बर्ड्स सर्वे
वन्य प्राणियों से जुडे विषयों की जानकारी रखने वाले विशेषज्ञों के मुताबिक वन विभाग द्वारा वन्य प्राणियों की गणना का कार्य तो विभाग के प्रशिक्षित कर्मचारियों से करवाया जाता है,परन्तु जैव विविधता संरक्षण के लिए पक्षियों का सर्वे आवश्यक होता है। पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों की जानकारी एकत्रित करने के लिए वन विभाग का अमला पर्याप्त नहीं होता। इसके लिए वन विभाग ने कुछ वर्षो से शौकिया बर्ड्स वाचर्स के सहयोग से बर्ड्स सर्वे के कार्यक्रम प्रारंभ किए है। दो दशकों से बर्ड्स वाचिंग से जुडे और बर्ड्स वॉचिंग ग्रुप के संस्थापक राजेश घोटीकर ने बताया कि बर्ड्स सर्वे का कार्य एक विस्तारित अभियान होता है इसमें पक्षी विज्ञानी भी शामिल होते है यह कार्य अकेले वन विभाग के बस का नहीं है। लेकिन जैव विविघता संरक्षण के लिए यह अत्यन्त आवश्यक है। इसी को देखते हुए बर्ड्स वाचिंग ग्रुप और इसी प्रकार की अन्य संस्थाओं और देश के अनेक प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानियों के प्रयासों से वन विभाग ने पिछले कुछ वर्षों से प्रदेश के अलग अलग क्षेत्रों में बर्ड्स वाचर्स के सहयोग से बर्ड्स सर्वे के कार्यक्रम प्रारंभ किए है। शुरुआती सालों में तो वन विभाग इसके प्रति गंभीर था, परन्तु अब इस महत्वपूर्ण अभियान की उपेक्षा की जाने लगी है। वन विभाग द्वारा बर्ड्स सर्वे के कार्यक्रमों का ना तो व्यापक प्रचार प्रसार किया जाता है और ना ही इसमें शामिल होने वाले प्रतिभागियों को सूचना दिए जाने की ठीक से चिंता की जाती है, जबकि बर्ड्स सर्वे में शामिल होने वाने पक्षी प्रेमी स्वयं का धन और समय खर्च कर वन विभाग का सहयोग करते हैैं।
अधिकारियों को देंगे निर्देश-आलोक कुमार
वन विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक(वन्य प्राणी) आलोक कुमार का कहना है कि प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर करवाए जा रहे बर्ड्स सर्वे,स्थानीय स्तर पर आयोजित किए जाते हैैं। इसमें राज्य प्रशासन की कोई भूमिका नहीं है। लेकिन यदि बर्ड्स सर्वे को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है,तो सम्बन्धित अधिकारियों को इस बारे में दिशा निर्देश जारी किए जाएंगे।