November 23, 2024

Raag Ratlami CM : मामाजी के गुस्से का शिकार होने से बाल बाल बच गए शहर सरकार के बडे साहब

-तुषार कोठारी

रतलाम। वैसे तो सूबे के मामा एमएलए साहब के पुत्र और पुत्रवधु को आशीर्वाद देने के लिए आए थे,लेकिन मामा का आना हमेशा खास होता है। मामा आने वाले थे इसलिए फूल छाप के तमाम छोटे बडे नेता और शहर भर के खबरची चील गाडी के आने से पहले ही हवाई पïट्टी पर मौजूद थे।

मामा के आने पर खबरचियों को बडी खबर मिलने की उम्मीद रहती है,इसलिए खबरची मामा के आने और जाने के वक्त हवाई पïट्टी पर मौजूद रहते है,ताकि उन्हे मामा से बात करने का मौका मिल जाए। इसके अलावा मामा ने किसे कितना वेटेज दिया,इसकी जानकारी भी मिल जाती है।

वर्दी वाले और जिला इंतजामिया के अफसर भी पूरे ताम झाम के साथ मौजूद रहते है। हवाई पïट्टी के भीतर चुने हुए नेताओं को ही आने दिया जाता है। जो नेता भीतर पंहुच जाते है,वे बडे नेता होते है और जिन्हे बाहर रोक दिया जाता है,उन्हे लगता है कि उनकी हैसियत घट गई है।

इस बार भी मामा के आने पर फूल छाप के कुछ नेताओं को गेट पर ही रोक दिया गया। ये नेता खुद को बडा नेता मानते थे,लेकिन जब वर्दी वालों ने इन्हे रोका,तो इन्हे पता लचा कि ये बडे नेता नही ंहै। बहरहाल नेताजी की वर्दी वालों से बहस हुई और जब वर्दी वाले नहीं माने,तो नेताजी गुस्से से आगबबूला हो गए। उन्होने अपने ही मामा को काले झण्डे दिखाने की धमकी जारी कर दी। मामला गरमाने के बाद नेताजी को जैसे तैसे भीतर जाने दिया गया,लेकिन काले झण्डे दिखाने वाली बात रेकार्ड पर आ गई। अब नेताजी सफाई देते फिर रहे है कि उनका मतलब ये नहीं था। काले झण्डे की धमकी का मामला वायरल होने के बाद नेताजी को अपना भविष्य खतरे में दिखाई दे रहा है।

हवाई पïट्टी पर जब खबरचियों ने मामा को घेरा तो मामा ने खबरचियों के सवाल सुनने के बजाय अपने मन की हांक दी। मामा ने शहर को सौ फीसदी वैक्सीनेटेड होने पर शहर को अपनी ओर से बधाई दे डाली। लेकिन एक बडे खास मुद्दे के सवाल को मामा ने टाल दिया।

मामा जब कुछ महीनों पहले रतलाम आए थे,तो शहर सरकार के अफसरों ने शहर में रोजाना जलप्रदाय करने की घोषणा मामा के मुंह के करवा दी थी। चूंकि घोषणा मामा ने खुद की थी,इसलिए शहर के लोगों को उम्मीद बंधी थी कि अब नलों से रोजाना पानी आएगा। लोगों को लगा था कि हमेशा मक्कारी करने वाले शहर के अफसर और कर्मचारी शायद मामा की घोषणा का महत्व समझते हुए घोषणा को सही साबित करवा देंगे।

लेकिन शहर सरकार के बडे साहब ने इस मामले में नेताओं को भी मात दे दी। नेताओं को अक्सर घोषणावीर कहा जाता है। कहते है कि नेता,घोषणाएं करने में कभी पीछे नहीं रहते,लेकिन घोषणा पर अमल कभी नहीं करते। शहर सरकार के बडे साहब दूसरी बार शहर सरकार की जिम्मेदारी सम्हाले हुए है। पिछली बार भी मामा की नाराजी के चलते ही उन्हे रतलाम से जाना पडा था। लेकिन उन की फितरत पर कोई फर्क नहीं आया। मामा से घोषणा करवाने के बाद भी उन्होने ऐसी कोई कोशिश नहीं की,कि नलों से रोजाना पानी आने लगे। बस इसी से जुडा सवाल खबरचियों ने उठाया था। अगर मामा ने इस पर ध्यान दे दिया होता तो शहर सरकार के बडे साहब पर गाज भी गिर सकती थी। लेकिन मामा की बेख्याली के चक्कर में वो बाल बाल बच गए। बताते है कि इंतजामिया के बडे साहब ने मामा के जाने के बाद शहर सरकार के मुखिया को यह बात खुद बताई कि अगर मामा ने ध्यान दे दिया होता तो उनका निपटना लाजमी था।

मामा तो चले गए,लेकिन मुद्दा अभी जिन्दा है। मामा ने जनवरी में दोबारा रतलाम आने की बात कही है। वे जनवरी में मेडीकल कालेज के अस्पताल को शुरु करने के लिए आएंगे। वो बडा कार्यक्रम रहेगा इसलिए मामा रतलाम में ज्यादा देर तक रुकेंगे। इस बार तो वे इस मुद्दे पर ध्यान नहीं दे पाए,लेकिन अगली बार ऐसा होने की उम्मीद कम है। इस बात की उम्मीद भी बेहद कम है कि शहर सरकार के नाकारा अफसर मामा के आने के पहले नलों में रोजाना पानी दे पाएंगे। ऐसे में आगे क्या होगा,इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।

वैक्सीनेशन का रेकार्ड

देश में ओमिक्रोन की दहशत है,लेकिन शहर में अच्छी खबर है कि शहर के तमाम बाशिन्दे वैक्सीन का डबल डोज ले चुके है। शहर ने वैक्सीन के डबल डोज का रेकार्ड बनाया है और इसकी घोषणा खुद सूबे के मुखिया मामा ने की है। ताजा जानकारी के मुताबिक वैक्सीन के डबल डोज ले चुके लोग ओमिक्रोन के हमले से भी सुरक्षित रहने की अधिक संभावनाएं है। ऐसे में रतलाम के लोग पूरी उम्मीद रख सकते है कि अब रतलाम को कोरोना की दूसरी लहर जैसे डरावने दृश्य नहीं देखना पडेंगेे।

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