रतलाम

शहर में लाइलाज बीमारी को ठीक करने के नाम पर धोखाधडी करने वालों का गैैंग सक्रिय लेकिन पुलिस जुटी ठगों को बचाने में

रतलाम,25 मार्च (इ खबरटुडे)। शहर में इन दिनों लाइलाज बीमारी को ठीक करने के नाम धोखाधडी करने वालों का गैैंग सक्रिय है। धोखाधडी के शिकार बने एक व्यक्ति की सक्रियता के चलते गैैंग के एक सदस्य को पकड कर पुलिस को भी सौंप दिया गया,लेकिन इन ठगों केखिलाफ कार्यवाही करने की बजाय पुलिसकर्मी ठगों का बचाव करने में जुट गए।

धोखाधडी का शिकार बने व्यक्ति से एक लिखित शिकायत लेकर उसे थाने से टरका दिया गया। जब थाना प्रभारी से इस सम्बन्ध में पूछा गया तो उनका कहना था कि कोई अपराध नहीं हुआ है इसलिए कोई कायमी नहीं की गई है।

मामले की शुरुआत शनिवार 15 मार्च को सुबह उस वक्त हुई जब सैनिक कालोनी निवासी अंकित अग्र्रवाल को पावर हाउस रोड स्थित सब्जी नीलाम मण्डी के बाहर अनिल शर्मा नामक एक व्यक्ति मिला। अनिल शर्मा ने अंकित अग्र्रवाल को बताया कि उनके पैरों की वैरिकोज वैन्स की समस्या को एक डाक्टर कुणाल पटेल शर्तिया ठीक कर सकते हैैं।

अनिल शर्मा की बातों पर भरोसा करके अंकित अग्र्रवाल उस डाक्टर कुणाल पटेल से इलाज कराने को तैयार हो गए और डा. कुणाल पटेल के मोबाइल पर उनसे इलाज कराने के सम्बन्ध में बात की। डा. कुणाल पटेल ने कहा कि वे अगले दिन यानी 16 मार्च रविवार को अंकित अग्र्रवाल के घर पर आकर इलाज करेंगे।

रविवार 16 मार्च को डा. कुणाल पटेल अपने एक असिस्टेन्ट के साथ अंकित अग्र्रवाल के घर पर पंहुचा। उसने पैरों की नसों से खून निकालने की कुछ क्रियाएं की और इस कथित इलाज के लिए चालीस हजार रु.मांगे। बाद में उक्त व्यक्ति तीस हजार रु. लेने पर राजी हो गया और अंकित अग्र्रवाल से तीस हजार लेकर चलता बना।

इस कथित इलाज का जब कोई असर अंकित अग्र्रवाल को नहीं हुआ तब जाकर उसकी समझ में आया कि इलाज के नाम पर उसे ठग लिया गया है। जब उसने दोबारा डा. कुणाल पटेल के मोबाइल पर फोन लगाया तो फोन स्विच आफ मिला। इसके बाद अंकित अग्र्रवाल ने डा. से मिलवाने वाले अनिल शर्मा को काल किया तो उसका मोबाइल भी स्विच आफ मिला।

अपने साथ हुई ठगी की शिकायत लेकर अंकित अग्र्रवाल जब दीनदयाल नगर पुलिस थाने पर पंहुचा तो पहले तो पुलिसकर्मियों ने उसकी हंसी उडाई और बाद में एक साधारण लिखित शिकायत लेकर उसे थाने से टरका दिया गया।

कहानी यहां खत्म नहीं हुई। ठगी का शिकार बन चुके अंकित अग्र्रवाल को दोबारा से ठगने की कोशिश की गई। इस बार अंकित अग्र्रवाल को फिर से सब्जी नीलाम मण्डी के पास एक व्यक्ति मिला जिसने अपना नाम राजू अग्र्रवाल बताया और अंकित की वैरिकोज वैन्स की बीमारी शर्तिया ठीक कराने का दावा किया।

जैसे ही अंकित को ये पेशकश की गई,अंकित ने तुरंत ठगों को फंसाने की योजना बनाई और फिर से इलाज कराने को तैयार हो गया। इस बार अंकित को डा. सिद्धिकी का नाम और मोबाइल नम्बर दिया गया था। अंकित ने इस कथित डा. सिद्दिकी से इलाज कराने की बात की और डा. सिद्दिकी ने उसी तरह अंकित के घर पर विजीट कर इलाज करने की बात कही।

अंकित ने अपने बडे भाई और कुछ मित्रों के साथ इस डा. सिद्धिकी को घेरने की योजना बनाई। डा. सिद्धिकी को इस बार अंकित ने अपने भाई के घर पर बुलवाया। डा. सिद्दिकी ने ठीक उसी तरह का इलाज करने की शुरुआत की जैसे पहले डा. कुणाल पटेल ने किया था। अंकित और उसके साथियों ने उसी समय डा. सिद्धिकी को पकड लिया।

जैसे ही अंकित और उसके साथियों ने ठग डाक्टर सिद्धिकी को पुलिस थाने ले जाने की बात कही,सिद्धिकी हाथ जोडकर माफी मांगने लगा। इतनी ही नहीं उसने अंकित को रुपए लेकर मामले को रफा दफा करने की बात कही। यहां तक कि वह पुलिस थाने नहीं ले जाने पर लाखों रुपए तक देने को राजी हो गया।

अंकित अग्र्रवाल को उम्मीद थी कि जब वह ठग को ले जाकर पुलिस को सौंपेगा तो पुलिस अधिकारी उसकी सराहना करेंगे। लेकिन थाने पर पंहुचकर उसकी उम्मीदों पर पानी फिर गया। पुलिस अधिकारी ठग सिद्धिकी से पूछताछ करने की बजाय अंकित को ही डराने धमकाने लगे। पुलिस अधिकारियों का कहना था कि सिद्धिकी ने तो कोई इलाज किया ही नहीं और उसने कोई रकम ली ही नहीं तो अपराध भी नहीं हुआ है।

पुलिसकर्मियों ने अंकित को कहा कि जब कोई अपराध ही नहीं हुआ है तो उक्त सिद्धिकी को गिरफ्तार कैसे किया जा सकता है। अंकित ने कहा कि सिद्दिकी ने भी ठीक वही तरीका अपनाया था,जैसा डा. कुणाल पटेल ने अपनाया था। इससे साफ जाहिर होता है कि यह ठगी करने वालों की गैैंग है जो शहर में सक्रिय है। लेकिन पुलिस वालों ने अंकित की कोई बात नहीं सुनी। उससे दोबारा एक लिखित शिकायत लेकर उसे टरका दिया गया।

दीनदयाल नगर थाने के थाना प्रभारी रवीन्द्र डंडोतिया भी ठग का बचाव करते नजर आए। अंकित और उसके साथी सिद्दिकी को सुबह के वक्त थाने ले गए थे। इसके कई घण्टों बाद जब इ खबरटुडे ने टीआई दण्डोतिया से इस बारे में पूछताछ की तो उनका कहना था कि इस घटना में कोई अपराध तो हुआ नहीं है।

टीआई का कहना था कि उक्त सिद्दिकी तो पुरानी पारंपरिक तरीके से एग्जिमा जैसी बीमारियों का इलाज करता है और इसके लिए फेरी लगाता है। जब टीआई से पूछा गया कि क्या उक्त व्यक्ति के पास इलाज करने की कोई डिग्र्री है तो टीआई साहब का कहना था कि कोई डिग्र्री नहीं है।

बिना किसी डिग्र्री के किसी व्यक्ति का इलाज करना भी गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है,लेकिन दीनदयाल नगर थाने के टीआई साहब को शायद इस तथ्य की जानकारी नहीं है। टीआई साहब का कहना था कि मामले की जांच की जा रही है अगर अपराध होने का कोई तथ्य सामने आएगा तो मामला दर्ज किया जाएगा।

ठगी का प्रयास करने वाले डा. सिद्धिकी को थाने पर पंहुचने के कई घण्टों बाद भी टीआई साहब को उसका पूरा नाम तक नहीं पता था। जब इ खबरटुडे ने उक्त डा. सिद्दिकी का पूरा नाम पूछा तो टीआई साहब का कहना था कि उन्हे नाम नहीं मालूम है। यहां तक कि पुलिस ने उक्त व्यक्ति के दस्तावेजों की जांच तक नहीं की।

दीनदयाल नगर पुलिस की कार्यशैली देखिए कि ठगी के शिकार बने अंकित अग्र्रवाल द्वारा उनके साथ हुई ठगी में लिप्त व्यक्तियों को मोबाइल नम्बर और सीसीटीवी फुटेज के फोटो भी पुलिस को उपलब्ध कराए थे। लेकिन पुलिस ने इस बारे में किसी तरह की कार्यवाही करने की जरुरत नहीं समझी। दोबारा ठीक उसी तरह से ठगी का प्रयास किए जाने पर भी पुलिस ठगी के बचाव में ही खडी नजर आई।

पुलिस की इस कार्यप्रणाली के चलते इस बात की आशंका भी जोर पकडने लगती है कि ठगों की गैैंग ने कहीं पुलिस से ही हाथ तो नहीं मिला लिया है।

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