October 7, 2024

Same Sex Marriage : सर्वोच्च न्यायलय समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से किया इंकार,सरकार कानून बनाने पर करे विचार

नई दिल्ली17अक्टूबर(इ खबर टुडे)। सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने भारत में एलजीबीटी समुदाय को शादी में समानता देने के अधिकार से मना कर दिया है । उन्होंने सरकार को निर्देश देते हुए कहा- इस मुद्दे पर कमेटी बनाकर एक कानून लागू करने के बारे में विचार करे। साथ ही उन्होंने निर्देश दिए कि उनके साथ किसी तरह का कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।

जेंडर के आधार पर शादी करने से नहीं रोका जा सकता: मुख्य न्यायाधीश

सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मंजूरी देने की मांग वाली याचिकाओं पर फैसला सुनाया। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सिर्फ किसी व्यक्ति को उसके जेंडर के आधार पर शादी करने से नहीं रोका जा सकता है। ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को व्यक्तिगत कानूनों सहित मौजूदा कानूनों के तहत शादी करने का अधिकार है। समलैंगिक जोड़े सहित अविवाहित जोड़े मिलकर एक बच्चे को गोद ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि कोर्ट इस मामले में कानून नहीं बना सकता, बल्कि सिर्फ इसकी व्याख्या और इन्हें लागू कर सकता है। सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 10 दिनों की सुनवाई के बाद 11 मई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

सर्वोच्च न्यायलय ने सरकार को दिए ये निर्देश

  1. केंद्र और राज्य सरकारें सुनिश्चित करें कि समलैंगिक जोडों के साथ भेदभाव न हो।
  2. लोगों को उनके प्रति जागरूक करें।
  3. उनकी सहायता के लिए हेल्पलाइन बनाएं।
  4. किसी बच्चे का सेक्स चेंज ऑपरेशन तभी हो, जब वह इसके बारे में समझने योग्य हो जाए।
  5. किसी को जबरन सेक्स प्रवृत्ति में बदलाव वाला हॉरमोन न दिया जाए।
  6. पुलिस ऐसे जोड़ों की सहायता करे।
  7. उन्हें उनकी मर्जी के खिलाफ परिवार के पास लौटने के लिए मजबूर न किया जाए।
  8. ऐसे जोड़ों के खिलाफ FIR प्राथमिक जांच के बाद ही दर्ज हो।

समलैंगिकों को अधिकार देने के लिए सरकार कमिटी बनाए

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह समलैंगिक विवाह में लोगों के अधिकार और पात्रता के निर्धारिण के लिए एक कमेटी बनाए। यह कमेटी समलैंगिकों को राशन कार्ड में एक परिवार के तौर पर दर्शाने पर भी विचार करे। इसके अलावा उन्हें जॉइंट बैंक अकाउंट, पेंशन के अधिकार, ग्रैच्युटी आदि में भी भी अधिकार देने को लेकर विचार किया जाए। कमेटी की रिपोर्ट को केंद्र सरकार के स्तर पर देखा जाए।

समलैंगिकों के साथ में आने पर प्रतिबंध नहीं लग सकता

चीफ जस्टिस ने कहा कि समलैंगिकों के साथ में आने पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं लग सकता। किसी विपरीत लिंग के संबंधों में ट्रांसजेंडर्स को मौजूदा कानून के तहत विवाह का अधिकार है। इसके अलावा अविवाहित जोड़े, यहां तक कि समलैंगिक भी साझा तौर पर बच्चे को गोद ले सकते हैं। कोर्ट ने केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को निर्देश दिया है कि वह समलैंगिकों के अधिकारों के लिए जागरुकता अभियान चलाएं और यह सुनिश्चित करें कि उन लोगों के साथ किसी तरह का भेदभाव न हो।

क्या थी याचिकाकर्ताओं की मांग?

सेम सेक्स मैरिज का समर्थन कर रहे याचिकाकर्ताओं ने इसे स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत रजिस्टर्ड करने की मांग की थी। वहीं, केंद्र सरकार ने इसे भारतीय समाज के खिलाफ बताया था। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल 20 याचिकाओं में याचिकाकर्ताओं का कहना है कि 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने संवैधानिक बेंच ने समलैंगिकता को अरध मानने वाली IPC की धारा 377 के एक्ट के एक पार्ट को खत्म कर दिया था।

You may have missed

Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds