सीएम के आश्वासन के बावजूद उज्जैन के स्वीकृत मास्टर प्लान को लेकर कांग्रेस एवं अखाड़ा परिषद ने मोर्चा खोला
उज्जैन31मई(इ खबर टुडे/ब्रजेश परमार)। महाकाल लोक में आंधी-तुफान के दौरान मूर्ति धराशाई होने के मामले में घिरी प्रदेश सरकार पर उज्जैन में एक और संकट गहरा गया है। उज्जैन के स्वीकृत मास्टर प्लान को लेकर कांग्रेस के साथ ही अखाड़ा परिषद ने सरकार को हासिए पर लेते हुए मोर्चा खोल दिया है।कांग्रेस और अखाड़ा परिषद के सवालों के पूर्व ही मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने अपने बयान में साफ कह दिया है कि उज्जैन के नए मास्टर प्लान से सिंहस्थ के आयोजन में कोई असुविधा उत्पन्न नहीं होनी चाहिये।आवश्यक होगा तो मास्टर प्लान में परिवर्तन किए जा सकतें हैं।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के आश्वासन के बावजूद कांग्रेस एवं अभा अखाड़ा परिषद ने उज्जैन के स्वीकृत मास्टर प्लान को लेकर आपत्ति ली है।इसे लेकर कांग्रेस की और से बुधवार को पत्रकारवार्ता लेकर मिडिया के समक्ष मुद्दे रखे गए।अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्री महंत रवींद्रपुरी महाराज ने भी आपत्ति ली है।
कांग्रेस की और से पूर्व मंत्री सज्जनसिंह वर्मा ने प्रेस को बताया कि उज्जैन शहर का मास्टर प्लान विगत दो दिवस पूर्व मध्य प्रदेश शासन ने स्वीकृत किया हैं। यहाँ मास्टर प्लान काफी विवादो एवं आपसी खिचतान के बाद स्वीकृत हो सका उक्त मास्टर प्लान 2035 पर आपत्ती / सुझाव कुल 483 प्राप्त हुए थे। इन आपत्तीयों में आपत्तीकर्ताओं ने आपत्तीया यह थीं कि सिंहस्थ 2016 में जिन स्थानों पर सिंहस्थ हेतु सेटेलाईट टाउनो का निर्माण किया गया था उन भूमियों को आवासीय नहीं किया जावें और भूमियों को सिंहस्थ हेतु आरक्षित रखा जायें। उक्त भूमियां पर सिंहस्थ मेला अधिनियम 1999 एवं 1955 की धारा 1 उपधारा (2) के तहत प्राप्त शाक्तियों का उपयोग करते हुए सेटेलाईट टाउन हेतु मेला क्षेत्र घोषित किया गया था। इस संबंध में मध्य प्रदेश राजपत्र में दिनांक 26 दिसम्बर 2014 को भी अधिग्रहण हेतु प्रकाशित किया गया था।
दाउदखेडी सेटेलाईट की भूमि आवासीय घोषित
वर्मा के मुताबिक सबसे ज्यादा उपयोगी सेटेलाईट टाउन जो की दाउदखेडी इन्दौर रोड पर स्थित था (सिंहस्थ बायपास) जिसमें कुल 148.679 हेक्टर भूमि अधिगृहित की गई थीं। शहर के समस्त सेटेलाईट टाउन हेतु कुल अधिगृहित भूमि 352.915 की गई थी। जिन्हे वर्तमान मास्टर प्लान में आवासीय कर दिया गया हैं, और किसी भी संत महात्मा राजनैतिक जनप्रतिनिधियो, समाज सेवियों, पत्रकार बंधुओ की आपत्तीयो को दरकिनार कर दिया गया।
जहां कभी सिंहस्थ नहीं लगा उनकी आपत्ति अमान्य
वर्मा ने कहा कि इसी के साथ शहरी क्षेत्र में सर्वाधिक आपत्ती पुराने रहवासी क्षेत्र जहाँ कभी सिंहस्थ नहीं लगा वहां के रहवासियों की आपत्ती थी कि हमारे क्षेत्रो को सिंहस्थ क्षेत्र से मुक्त किया जायें। इस तरह की आपत्ती संख्या 259 थी। इन आपत्तियों पर जिला कार्यालय एवं स्थानीय समिति ने निणर्य लिया की सिंहस्थ क्षेत्र की भूमि मुक्त करना जिला प्रशासन के क्षेत्राधिकार में नहीं होने से आपत्ती अमान्य कर दी गई। एक और जहाँ सिंहस्थ में सेटेलाईट टाउन स्थापित थे ग्राम दाउदखेडी सावरा खेड़ी जीवनखेडी की भूमियों को जो सिंहस्थ 2016 हेतु अधिगृहित कर इनके भू-स्वामीयों को मुआवजा भी दिया गया था वर्तमान मास्टर प्लान में उन्हें सिंहस्थ से हटाकर आवासीय कर दिया गया जो निन्दनीय हैं।
ये थे प्रमुख आपत्तिकर्ता
अ.भा. अखाडा परिषद् अध्यक्ष रविन्द्रपुरी महाराज महामण्डलेश्वर, अतुलेशानंद जी महाराज, रवि राय नेता प्रतिपक्ष, सोनू गेहलोत निगम अध्यक्ष भाजपा, महेश परमार विधायक, पारस जैन पूर्व मंत्री एवं विधायक भाजपा, सतीश मालवीय पूर्व विधायक भाजपा, सत्यनायाराण चौहान, महाराष्ट्र समाज, माली समाज, पत्रकार सोमानी, जयसिंह ठाकुर, सागर तिरवाल, उमेश चौहान अन्यो की प्रमुखआपत्तियां थी।
अखाड़ा परिषद हुआ मुखर हुआ
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं सचिव श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी श्री महंत रवींद्रपुरी महाराज ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से निवेदन किया है कि वह सनातन परंपरा के महान पर्व कुंभ मेला क्षेत्र को लेकर मास्टर प्लान में जो विसंगतियां है उसे दूर कराएं।मुख्यमंत्री मास्टर प्लान पर पुनः विचार करें । मास्टर प्लान 2035 मैं सिंहस्थ मेला क्षेत्र को कम करने और मेला क्षेत्र में कॉलोनियों की अनुमति देने के प्रस्ताव का नवीन मास्टर प्लान लागू होने के संबंध में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद 2 वर्ष पूर्व ही विरोध कर चुकी है। क्योंकि कुंभ मेला 2028 नजदीक आने वाला है और 2028 के कुंभ मेले में करोड़ों श्रद्धालुओं के आने की जहां संभावना है वहीं साधु-संतों के भी कई शिविर बढ़ते ही जा रहे हैं, ऐसे में मुख्यमंत्री उज्जैन के मास्टर प्लान 2035 में क्षेत्र को लेकर जो गड़बड़ियां की गई है उसे दूर करें और सुधार कर पुनः मास्टर प्लान लागू करें। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने कहा कि किसी भी नगर का मास्टर प्लान उस नगर के विकास की धुरी होता है और उसी से नए विकास कार्य क्षेत्र निर्माण कार्यों के द्वार खुलते हैं ऐसा ना हो कि अधिकारी सनातन परंपरा को ही नष्ट करते जाएं।