November 22, 2024

Raag Ratlami Tiranga – सरकारी अभियान हुआ “असरकारी”,हर किसी पर छाया तिरंगे का उत्साह,अदलिया ने बनाई तिरंगे से दूरी

-तुषार कोठारी

रतलाम। पूरा देश तिरंगे रंग में झूम रहा है,तो रतलाम कैसे पीछे रह सकता है। शहर की हर गली,कालोनी,मोहल्ले में जिधर देखिए तिरंगा ही तिरंगा नजर आ रहा है। दोपहिया और चार पहिया वाहन भी शान से तिरंगा लगाकर घूम रहे है। उम्मीद से ज्यादा लोगों पर तिरंगे का उत्साह छाया हुआ है।

कुछ दिनों पहले जब मोदी जी ने हर घर तिरंगा अभियान की घोषणा की थी,तब किसी को भी ये उम्मीद नहीं रही होगी कि तिरंगे का ये सरकारी अभियान इतना असरकारी होने वाला है। अभियान की घोषणा होने के बाद सरकारी दफ्तरों में परंपरा के मुताबिक अफसरों ने मीटींगे चालू कर दी थी। सरकारी कारिन्दों को झण्डे बेचने के टार्गेट दिए जा रहे थे। अफसरों को लग रहा था कि दूसरे सरकारी अभियानों की तरह तिरंगा अभियान को भी कागजों पर पूरा करना पडेगा।

लेकिन जैसे जैसे तेरह तारीख पास आने लगी,सरकारी अभियान असरकारी होने लगा। देखते ही देखते झण्डों की दुकानों पर लोगों की भीड पडने लगी। दुकानों पर झण्डों की कमी होने लगी। जिनके मकान बडे थे,वे बडे झण्डे ढूंढ रहे थे। दुकानदारों के पास बडे आकार वाले झण्डे नहीं थे। शनिवार यानी तेरह तारीख से तिरंगे की रैलियों की शुरुआत हुई। पहले लगा था कि तिरंगा रैलियों के लिए सरकारी अमले और संस्थाओं को मेहनत करना पडेगी। लेकिन तिरंगे का असर इतना जबर्दस्त था कि लोग बिना किसी से पूछे ताछे ही रैलियां निकालने लगे।

याद कीजिए,गणेश विसर्जन और दुर्गा विसर्जन का समय। पूरे शहर में हर सडक पर गणेश या दुर्गा प्रतिमाओं के जुलूस नजर आते है और हर जुलूस में दर्जनों महिला पुरुष नाचते गाते चल रहे होते है। इन जुलूसों के लिए किसी को कोई तैयारी नहीं करना पडती लोग स्वत:स्फूर्त अपने अपने इष्ट के विसर्जन के लिए निकलते है। भारत के इतिहास में यह पहला मौका होगा,जब तिरंगे के लिए भी ठीक इसी तरह से लोग घरों से निकल रहे है। पन्द्ह अगस्त की तारीख एक दिन बाद आएगी,लेकिन शनिवार से शुरु हुए हर घर तिरंगा अभियान का असर शनिवार से ही सड़कों पर दिखाई देने लगा था। रविवार का दिन तो ऐसा गुजरा कि शहर के हर इलाके में हर सड़क पर लोगों के जत्थे तिरंगे हाथों में लेकर निकलते दिखाई दिए। महिला पुरुष बच्चे सब के सब तिरंगे के साथ उत्साह का प्रदर्शन करते नजर आ रहे हैैं।

तिरंगे के इस माहौल ने पूरी तरह साबित कर दिया है कि देश भर के साथ रतलाम के लोगों के दिलों में भी देश के लिए जबर्दस्त जज्बा है। अगर ये जज्बा ना हो तो केवल सरकारी कोशिशों से इस तरह का जबर्दस्त माहौल बन ही नहीं सकता। इस जोशोखरोश वाले देशभक्ति के माहौल को देखना भी जीवन की एक अनोखी उपलब्धि है।

अदलिया की तिरंगे से दूरी

तिरंगा अभियान में अपनी हिस्सेदारी दिखाने के लिए काले कोट वालों ने खबरचियों के साथ मिलकर राष्ट्रगीत के गायन का कायक्रम तय किया। काले कोट वालों ने इस कार्यक्रम के लिए शहर के चुने हुए माननीयों के साथ साथ फैसले सुनाने वाले अदलिया के माननीय विद्वान अधिकारियों को भी आमंत्रित किया था। काले कोट वालों को उम्मीद थी कि राष्ट्रगीत और तिरंगे के लिए देश के छोटे बडे सारे लोग एक समान है इसलिए नेताओं के साथ साथ न्याय देने वाले भी आएंगे। अदलिया के बडे साहब ने पहले तो कार्यक्रम के लिए हामी भर दी थी,लेकिन जब कार्यक्रम का समय आया तो साहब लोगों ने काम ज्यादा होने का बहाना बना दिया। अदालत के बाहर राष्ट्रगान हो रहा था,लेकिन अदलिया के साहब लोग अपने कमरों में काम कर रहे थे। लोग पूछ रहे है कि राष्ट्रगान के वक्त सावधान की मुद्रा में खडे होने का नियम क्या केवल आम लोगों के लिए है,न्याय देने वाले क्या इस नियम के परे है?

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