November 22, 2024

बेटियों की जन्मदर बढाने के लिए करों में राहत और निवेश योजना का सुझाव

महापौर शैलेन्द्र डागा ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र

रतलाम,१६ मई (इ खबरटुडे)। आमिर खान द्वारा सत्यमेव जयते के पहले एपिसोड में कन्या भ्रूण हत्या और कन्याओं का घटती दर का मुद्दा उठाए जाने के बाद से देश भर में इस मुद्दे को लेकर जागरुकता का माहौल बना है। रतलाम के महापौर शैलेन्द्र डागा ने बेटियों को बचाने और कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए बेटियों के नाम पर आयकर में छूट देने का अनूठा सुझाव दिया है। श्री डागा ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को एक पत्र लिखकर कहा है कि लडकियों की जन्मदर में वृध्दि के लिए अतिरिक्त निवेश की सुविधा प्रदान की जाना चाहिए।

श्री डागा ने अपने पत्र में कहा है कि कन्या भ्रूण हत्या और परिवारों में कन्याओं के साथ होने वाले भेदभाव की जड में आर्थिक कारण महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। महंगाई के इस दौर में कन्याओं को पाल पोस कर बडा करना और उनका विवाह करना आज के समाज में एक कठिन समस्या है। इससे निजात पाने के लिए ठोस उपाय जरुरी है।
श्री डागा ने प्रधानमंत्री को सुझाव दिया है कि जिस परिवार में बेटी का जन्म हो,उस परिवार को बेटी के नाम पर अतिरिक्त निवेश(बचत) की सुविधा दी जाए तो यह एक सार्थक प्रयास होगा। उन्होने कहा कि वर्तमान में शासन द्वारा कई सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है,लेकिन इसके अतिरिक्त बेटी पैदा करने वाले माता-पिता,उससे जुडे परिवार के अन्य सदस्य जैसे दादा-दादी,नाना-नानी आदि जो भी बेटी के नाम पर निवेश (बचत) करें,उस निवेश(बचत) को पूर्णत: कर मुक्त की सुविधा प्रदान की जाना चाहिए। यह निवेश उस बेटी के नाम पर ही होना चाहिए। एक हजार से एक लाख रुपए की राशि प्रति वर्ष उस बेटी के नाम पर निवेश की जाना चाहिए। यह निवेश बेटी की आयु अठारह वर्ष होने तक किया जाए,तो बेटी के वयस्क होने तक उसकी पढाई लिखाई या विवाह के समय उत्पन्न होने वाली आर्थिक समस्याओं का समाधान हो सकेगा। यह सुविधा परिवार में एक से अधिक पुत्रियां होने पर भी समान रुप से प्रत्येक बेटी के नाम पर होने वाले निवेश पर दी जाना चाहिए। परिवार अपनी आर्थिक स्थिति के हिसाब से बेटियों के नाम पर निवेश करने के लिए प्रोत्साहित होंगे और इससे बेटियों को बडा संरक्षण मिल सकेगा।
श्री डागा ने अपने पत्र में कहा है कि बेटियों के नाम पर किए जाने वाले निवेश(बचत) को कर से पूर्णत: मुक्त रखा जाए और इसे पुत्री की किसी भी आयु में प्रारंभ करने की सुविधा होनी चाहिए। निवेश की यह सुविधा बेटी की आयु अठारह वर्ष होने तक रखी जाए।
श्री डागा ने अपने पत्र में कहा है कि इसके अलावा पीपीएप एकाउन्ट,नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट(एनएससी) इत्यादि में भी बेटियों के लिए विशेष सुविधा दी जाना चाहिए। बैंक व बीमा कम्पनियों को भी बेटियों के जन्म को प्रोत्साहन देने के लिए विशेष योजनाएं बनाना चाहिए। शासन चाहे तो बाण्ड के रुप में भी कोई नई योजना बेटियों को लिए प्रस्तुत कर सकता है। इस तरह की योजनाओं में होने वाले निवेश की सुविधाओं का लाभ सिर्फ बेटियों के लिए होना चाहिए। इससे निश्चित ही हर जाति हर धर्म का व्यक्ति अपनी आय व आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए एक हजार रु. से लगाकर एक लाख रु.तक का निवेश(बचत)प्रति वर्ष अपनी पुत्री के लिए करेगा तो इससे समाज में न सिर्फ कन्याओं की स्थिति सुदृढ होगी बल्कि इससे कन्याओं के जन्म को भी प्रोत्साहन मिलेगा। यह कदम हमारे सम्पूर्ण समाज के लिए नीव का पत्थर साबित होगा।
महापौर शैलेन्द्र डागा ने प्रदानमंत्री से आग्रह किया है कि समाज की इस ज्वलन्त समस्या के निराकरण के लिए जल्दी ठोस कदम उठाए। यदि निवेश की इस अनूठी योजना को शासन द्वारा लागू किया जाता है तो इससे न सिर्फ बेटियों के मान सम्मान की रक्षा होगी बल्कि माता-पिता की समस्याओं का भी यथार्थ के धरातल पर निराकरण हो सकेगा,साथ ही सही मायने में बेटियां वरदान बन सकेगी। इस प्रकार की योजनाओं के माध्यम से माता-पिता अपनी बेटियों को बोझ नहीं समझेंगे,वहीं बेटियों की शिक्षा-दीक्षा और विवाह जैसे सभी काम आर्थिक अभाव के कारण रुकेंगे नहीं।

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