Success story:किसान परिवार से निकली दो बहनें बनी आईएएस और आईपीएस–पांच बार असफलता मिलने बाद छठी बार मिली सफलता

Success story: सुष्मिता और ईश्वर्या की कहानी युवाओं को उन्हें अपने सपने पूरे करने को प्रेरित करती है। उनकी कहानी दिखाती है कि अगर मन में ठान लो तो कुछ भी असंभव नहीं है। यह कहानी हमें सिखाती है कि जीवन में कितनी भी मुश्किलें क्यों न आएं, लगन, मेहनत और दृढ़ संकल्प से हमेशा सफलता मिलती है। इन दोनों बहनों ने अपने परिवार और समाज के लिए एक मिसाल कायम की है। सुष्मिता और ईश्वर्या एक छोटे से किसान परिवार से रिश्ता रखती थीं। उनके बचपन में पढ़ाई के लिए संसाधनों की कमी रही और आर्थिक तंगी का भी सामना करना पड़ा। 2004 में आई सुनामी के दौरान उनके घर तबाह हो गया था।
मुश्किलों के बावजूद नहीं मानीं हार
सुनामी की त्रासदी ने दोनों बहनों को तोडऩे की बजाय और मजबूत बनाया। इससे उनका हौसला और ज्यादा बुलंद हो गया। सभी मुश्किलों के बावजूद, दोनों बहनों ने हार नहीं मानी। अपनी कड़ी मेहनत और लगन से उन्होंने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास की और आईएएस और आईपीएस अफसर बनीं। दोनों बहनों में से छोटी बहन ईश्वर्या ने पहले सफलता हासिल की। उन्होंने साल 2018 में सिविल सेवा परीक्षा पास की और 628वीं रैंक हासिल की। उन्हें रेलवे अकाउंट्स सर्विस (आरएएस) की सेवा मिली लेकिन ईश्वर्या अपनी रैंक से संतुष्ट नहीं थीं इसलिए उन्होंने फिर से परीक्षा देने का फैसला किया।
सुष्मिता को छठी बार में पाई सफलता
दूसरी तरफ ईश्वर्या की बड़ी बहन सुष्मिता को यूपीएससी परीक्षा में कई असफलताओं का सामना करना पड़ा। वह अपने पहले पांच प्रयासों में परीक्षा पास नहीं कर पाईं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। आखिरकार सुष्मिता ने छठे प्रयास में साल 2022 में उन्हें सफलता मिली। उन्होंने 528वीं रैंक हासिल करके आंध्र प्रदेश कैडर की आईपीएस अफसर का पद हासिल किया। वर्तमान में वह दक्षिणी राज्य के काकीनाडा जिले में असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस (एएसपी) के पद पर कार्यरत हैं।
यूपीएससी में पाया 44वीं रैंक
साल 2019 में ईश्वर्या ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा फिर से दी और 44वीं रैंक हासिल की। मात्र 22 साल की उम्र में वह तमिलनाडु कैडर की आईएएस अफसर बनीं। वर्तमान में वह तमिलनाडु के तूतीकोरिन जिले में एडिशनल कलेक्टर (विकास) के पद पर कार्यरत हैं।