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खरीफ फसल: रेतीली मिट्टी में कपास की बिजाई का सही समय, व कौन सा बीज बोना चाहिए, जाने पूरी जानकारी

हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश के ऐसे क्षेत्र जहां पर रेतीले मिट्टी है, जहां टिब्बे बनने की अधिक संभावना रहती है। वहां कपास की बिजाई मार्च महीने के दूसरे पखवाड़े से अप्रैल के पहले सप्ताह तक कर दें। केवल उन्नत किस्में ही बोएं। बीटी कपास की बिजाई अप्रैल माह से मई के आखरी सप्ताह तक करें। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर काम्बोज ने बताया कि देसी कपास की बिजाई के लिए एचडी-432, संकर किस्म एएएच-1 व अनुमोदित की गई बीटी संकर किस्में ही लगाएं।

कपास की बिजाई बैड पर भी की जा सकती है व रेतीली भूमि में कपास की बिजाई ड्रिप द्वारा भी की जा सकती है। कपास की बिजाई अगर संभव हो तो पूर्व से पश्चिम की तरफ की जाए तो अन्य दिशाओं में बीजी गई कपास के मुकाबले अधिक पैदावार होती है।

पांच किग्रा बीज प्रति एकड़ डालें, कतार से कतार की दूरी 67.5 सेमी रखें

बीज का उपचार करें। देसी कपास के लिए पांच किलोग्राम बीज प्रति एकड़ डालें। ड्रिल द्वारा बीजने के लिए यदि रोएं उतरा बीज न मिले तो छह किग्रा. प्रति एकड़ रोएंदार साधारण बीज को पहले बारीक मिट्टी, गोवर या राख में रगड़ लें। इससे ड्रिल से बीज एकसार निकलें। बीटी कपास की बिजाई के लिए कतार से कतार की दूरी 67.5 सेमी, पौधे से पौधे की दूरी 60 सेमी या कतार से कतार की दूरी 100 सेमी व पौधे से पौधे की दूरी 45 सेमी रखें। देसी कपास में 22 केजी प्रति एकड़ यूरिया 45 दिन बाद डालें। 22 किग्रा. प्रति एकड़ यूरिया खाद 75 दिन बाद डालें। हाईब्रिड कपास में बिजाई के समय 50 किग्रा. यूरिया, 150 केजी सिंगल सुपर फास्फेट, 40 किग्रा. म्यूरेट ऑफ पोटाश व 10 किलोग्राम जिंक सल्फेट ड्रिल करें। इसके बाद 50 किलोग्राम यूरिया बिजाई के 45 दिन बाद व 50 किलोग्राम यूरिया बिजाई के 75 दिन बाद डालें।

अच्छे फुटाव के लिए 3-5 जुताइयां करें

कपास से बढ़िया फुटाव को खेत की तैयारी सही से करें। पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें। जरूरतनुसार 3-5 जुताइयां कर खेत को अच्छे से तैयार करें। कपास की बिजाई के समय खेत में बत्तर का होना जरूरी है। इसके लिए खेत में अच्छा पलेवा करें। गीले बत्तर में दो जुताइयां करके सुहागा लगाएं व खेत को एकसार कर लें।

दीमक वाले एरिया में बीजोपचार के बाद करें बिजाई

कपास अनुभाग के अध्यक्ष डॉ. करमल सिंह ने बताया कि बिजाई के बाद स्टॉम्प 30 पैडीमिघालीन का 2 लीटर प्रति एकड़ के हिसाब से 250-300 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने से सांठी, सांवक खरपतवारों पर नियंत्रण हो जाता है। छिड़काव के समय खेत में नमी होनी चाहिए। दीमक की समस्या पर 10 मिली. क्लोरपायरीफॉस 20 ईसी. व 10 मिली पानी को मिलाकर एक केजी बीज का इससे उपचार कर बिजाई करें। बिना रोएं उतारे बीज को बोने के काम में लें तो बुवाई से पहले एल्युमिनियम फास्फाइड की 3 ग्राम की टिकिया से प्रति घनमीटर स्थान के हिसाब से 48-72 घंटे तक धूमित करें।

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