4 आदिवासी युवकों को आजीवन कारावास
मामला हत्या का, साक्ष्य मिटाने के भी दोषी
रतलाम। 4 जुलाई (इ खबरटुडे)। जिले के आदिवासी अंचल बाजना के ग्राम संगेसरा में 3 साल पहले हुए नाथू कटारा हत्याकांड में 4 आदिवासी युवक दोषी पाएं गए है। चतुर्थ अपर सत्र न्यायाधीश प्रियदर्शन शर्मा ने चारों को हत्या के आरोप में धारा 302/34 के तहत आजीवन कारावास और 1 हजार रुपए अर्थदंड तथा साक्ष्य मिटाने के आरोप में धारा 201 के तहत 5 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 500 रुपए के अर्थदंड से दंडित किया है।
न्यायालयीन सूत्रो ने बताया ने बताया कि दंडित किए गए आरोपियों के नाम रंगलाल पिता प्रभु डिंडोर (24), रायचंद्र पिता रंगू डिंडोर (22), बदिया पिता जग्गू डिंडोर (24) और धर्मा पिता देवा डिंडोर (35) सभी निवासी संगेसरा है। इन आरोपियों ने ग्राम के नाथू पिता माना कटारा की 16 सितंबर 2012 को कुल्हाड़ी, लट्ठ और बल्ले से मारपीट कर हत्या कर दी थी। बाजना पुलिस को 16 सितंबर को देर रात अमरु पिता नरू ने उसके काका नाथु की गुमशुदगी रिपोर्ट दर्ज कराई थी। तत्कालीन थाना प्रभारी दिनेश वर्मा ने दलबल के साथ रात्रि में ही नाथू की खोजबीन की लेकिन उन्हें वह नहीं मिला। पुलिस को खोजबीन के दौरान लालू के खेत में मक्के की फसल के पत्तों पर खून के ताजा दाग दिखे थे, लेकिन कोई घायल नहीं मिला था। दूसरे दिन सुबह ग्रामीणों ने बारजी के खेत में नाथू की लाश पड़ी होने की सूचना दी थी। पुलिस को नाथू के पुत्र मोहन ने ग्रामीणों ऐतरीबाई, बारजी आदि द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर आरोपियों द्वारा उसके पिता की हत्या करने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस ने इस पर आरोपियों को गिरफ्तार कर हथियार व खून से सने कपड़े बरामद कर न्यायालय में चालान पेश किया। न्यायालय ने सभी आरोपियों को अर्थदंड नहीं देने पर हत्या के आरोप में 6 माह और साक्ष्य मिटाने के आरोप में 3 माह का कारावास अतिरिक्त भुगताएं जाने के आदेश भी दिए है।