सीएम कहें या पीएम, लोन बिना गारंटी के नहीं मिलेगा- बैंक प्रबंधक
ग्वालियर,15 दिसम्बर(इ खबरटुडे)। पीएम नरेन्द्र मोदी, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना और सीएम शिवराज सिंह चौहान, मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के जरिए शिक्षित बेरोजगारों को स्वयं का उद्यम लगाने के लिए बैंकों से लोन दिलाने का दावा कर रहे हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर इनके दावे खोखले ही नजर आते हैं।
विज्ञापनों में बताया गया है कि आप बैंकों में योजना के तहत लोन का आवेदन करें। बिना गारंटी आपको लोन मिलेगा। गारंटी सरकार देगी, लेकिन इन दावों की सच्चाई का पता चला कि प्राइवेट बैंक तो दूर देश के राष्ट्रीयकृत बैंक भी बिना गारंटी के लोन देने को तैयार नहीं हैं। आंकड़ों में बताया है कि जिले में इस वर्ष 33 बैंकों की विभिन्न शाखाओं द्वारा 22 करोड़ रुपए के लोन दिए जा चुके हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर गारंटी और व्यावसायिक अनुभव के बिना लोन देने से इनकार किया जा रहा है।
बैंक प्रबंधक- सरकार के कहने से क्या होता है
बैंक के डेढ़ करोड़ रुपए आवेदकों पर बकाया है। वे चुका नहीं रहे और सरकार सब्सिडी के नाम पर कुछ दे नहीं रही। तहसीलदार पिछले तीन साल से आरआरसी के नोटिस पर वसूली नहीं कर रहे हैं। ऐसे में बैंक क्या करें।
कौन सच्चा, बैंक या प्रशासन-
सरकारी योजनाओं में जिन आवेदकों को बैंक लोन देता है, उनका चयन जिला प्रशासन और उससे जुड़े विभाग करते हैं। इनके डिफॉल्टर्स का प्रतिशत 6 से 7 है। वहीं बैंकर्स जब स्वतंत्र रूप से लोन देते हैं तो उनका रिकवरी का प्रतिशत 16 तक पहुंच जाता है। यानी बैंकों को सरकारी योजनाओं में लोन दिलाने से ज्यादा घाटा तो उन्हें स्वतंत्र रूप से लोन देने पर हो रहा है।
बैंक प्रबंधक जानबूझकर लोगों को परेशान करते हैं
-बैंक प्रबंधक जानबूझकर लोगों को भ्रमित करने के लिए ऐसी बात कहते हैं कि सरकार सब्सिडी नहीं दे रही या हमारे तहसीलदार रिकवरी में सहयोग नहीं कर रहे। दरअसल ये लोग गरीब और जरूरतमंद लोगों को लोन देना ही नहीं चाहते हैं। बैंक प्रबंधक चाहते हैं कि लोन इनके ऐजेंटों के माध्यम से स्वीकृत हों, जिससे इनकी ऊपरी इनकम हो सके। मैंने बैंक प्रबंधकों के इस रवैये के खिलाफ सरकार को पत्र लिखा है। इसके साथ ही लगातार मैं इनसे लोन टारगेट की रिपोर्ट ले रहा हूं, ताकि जरूरतमंदों को तो हम अपनी सरकारी योजना में लोन दिला सकें।