May 2, 2024

सरयू पार मस्जिद की बात मान लें मुस्लिम, वरना 2018 में बना देंगे राम मंदिर के लिए कानून: स्वामी

नई दिल्ली,22 मार्च(इ खबरटुडे)। राम मंदिर-बाबरी मस्जिद मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की आपसी सुलह की पेशकश के अगले दिन बुधवार को भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी का बड़ा बयान आया है। स्वामी ने ट्वीट किया है कि मुस्लिम सरयू नदी पार मुस्जिद का उनका प्रस्ताव मान लें, अन्यथा 2018 में राज्यसभा में भाजपा का बहुमत होगा और तब कानून बनाकर राम मंदिर बनाने का रास्ता साफ कर दिया जाएगा।

स्वामी ने अपने दूसरे ट्वीट में लिखा, 1994 में सुप्रीम कोर्ट ने जिस हिस्से को रामजन्मभूमि करार दिया है, वहां रामलला विराजमान हैं और उनकी रोज पूजा हो रही है। क्या कोई उनका वहां से हटा सकता है?

मालूम हो, मंगलवार को स्वामी की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राम मंदिर बहुत संवेदनशील मुद्दा है और इसका हल कोर्ट के बाहर बातचीत के जरिये निकाला जाना चाहिए। चीफ जस्टिस ने तो यहांं तक कहा कि यदि जरूरत होती है तो सुप्रीम कोर्ट भी मध्यस्थता करने को तैयार है।

सुप्रीम कोर्ट के इस प्रस्ताव के बाद अलग-अलग तरह की प्रतिक्रियाएं आईं। सरकार ने जहां स्वागत किया, वहीं बाबरी एक्शन कमेटी ने इसे ठुकरा दिया।

वहीं हिंदू महासभाहिंदू महासभा के वकील हरिशंकर जैन का कहना है कि समझौते का सवाल ही नहीं उठता क्योंकि जमीन रामलला विराजमान की है। जमीन देवता में सन्निहित होती है, इसलिए देवता की जमीन का समझौता कोई व्यक्ति या संगठन नहीं कर सकता।

पक्षकार हाशिम अंसारी के पुत्र इकबाल अंसारी के वकील एमआर शमशाद का कहना है कि किसी भी दीवानी मुकदमे में कोर्ट के बाहर समझौते से मामला सुलझाने का विकल्प रहता है। लेकिन अगर कहा जाए कि मस्जिद के लिए कहीं और जमीन ले ली जाए तो इसे समझौता नहीं कहा जा सकता।

विवाद का खुद फैसला करे कोर्ट : दारुल उलूम

अयोध्या विवाद मामले में पक्षकारों को सुप्रीम कोर्ट की सलाह पर दारुल उलूम समेत कई उलमा ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को ही इस मसले पर निर्णय लेने का अधिकार है। अब इस मसले पर समझौते की बातचीत का कोई औचित्य नहीं रह गया है। सुप्रीम कोर्ट को अपना फैसला सुना देना चाहिए।

दारुल उलूम के मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नौमानी ने कहा कि देश का मुसलमान मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के साथ है। इसलिए, जब तक बोर्ड का कोई निर्णय नहीं आ जाता, सभी को खामोशी से इंतजार करना चाहिए। जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि पहले भी बातचीत के जरिए समझौते की बात कई बार हो चुकी है, लेकिन कोई हल नहीं निकला। समझौते से कोई हल निकलेगा भी नहीं।

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