सरकार की मदद और सुविधाओं से आदिवासी प्रतिभाएँ चढ़ी परवान
135 आदिवासी विद्यार्थी पहले प्रयास में ही आईआईटी/जेईई (मेन्स) मे कामयाब
कट ऑफ से कहीं ज्यादा मार्क्स किये स्कोर
भोपाल 11 मई(इ खबरटुडे)। जबलपुर के संतोष कुमार और मंडल की गीता टेकाम दो ऐसे विशेष पिछड़ी जनजाति के विद्यार्थी हैं, जिन्होंने इस वर्ष आईआईटी/जेईई (मेन्स) में शानदार कामयाबी हासिल की है। इन्हीं के साथ 133 अन्य आदिवासी विद्यार्थी ने भी इस प्रतिष्ठापूर्ण प्रतियोगी परीक्षा में पहले ही प्रयास में सफलता पायी है। सबसे बड़ी बात यह है कि इन विद्यार्थियों ने आदिवासी वर्ग के विद्यार्थियों के लिये निर्धारित कट ऑफ से कहीं ज्यादा अंक अर्जित किये हैं। इनके कट ऑफ मार्क्स 44 निर्धारित हैं। कुल 135 विद्यार्थी में से अधिकतर ने 75 या उससे अधिक अंक अर्जित किये। यह सभी विद्यार्थी आदिम-जाति कल्याण विभाग द्वारा संचालित स्कूलों के हैं। यह स्कूल ज्यादातर अंदरूनी अंचलों में हैं। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मेन्स में सफल हुए इन विद्यार्थियों को 5000-5000 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि मंजूर की है।
इन सफल विद्यार्थियों को जिले में ट्रेक कर 12 केन्द्र पर आगामी परीक्षा जेईई (एडवांस) के लिये विशेष कोचिंग क्लास चलायी जा रही हैं। एक से 22 मई तक विशेषज्ञों द्वारा उन्हें विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
आदिवासी वर्ग के इन विद्यार्थियों की सफलता ने साबित कर दिया है कि मध्यप्रदेश के पिछड़े, आदिवासी और अंदरूनी क्षेत्रों में भी शिक्षा का प्रकाश फैल रहा है। वहाँ बच्चे शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहते हैं। इसी के अनुरूप सरकार भी उन्हें आवश्यक सुविधाएँ और मदद उपलब्ध करवा रही है, जिसके चलते उनकी प्रतिभा परवान चढ़ रही है।
मध्यप्रदेश सरकार ने आईआईटी/जेईई (मेन्स) प्रवेश परीक्षा के चयन में आदिवासी विद्यार्थियों का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिये विभिन्न स्तर पर कई नवाचार और प्रयोग किये हैं। इन बच्चों को पढ़ाने के लिये अतिथि शिक्षकों के चयन में कड़े मापदंड निर्धारित किये गये हैं। उनके अध्यापन और परफार्मेंस का नियमित मूल्यांकन किया जाता है। विद्यार्थियों की विज्ञान विषय मे अभिरूचि पैदा हो और उन्हें विज्ञान के सिद्धांतों को समझने में आसानी हो, इसके लिये सभी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में भौतिक विज्ञान, जीव विज्ञान, वनस्पति विज्ञान के लिये प्रयोगशालाएँ स्थापित की गई और वहाँ नियमित प्रयोग करवाये गये।
इसके अलावा बोर्ड परीक्षाओं की किताबों के साथ-साथ अन्य उच्च कोटि की संदर्भ पुस्तकों तथा प्रेक्टिस की व्यवस्था की गई। उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में पुस्तकालयों को अधिक सुदृढ़ बनाया गया। विद्यार्थियों को लायब्रेरी कार्ड जारी किये गये, जिससे वे लायब्रेरी की पुस्तकों का लाभ ले सकें। उन्हें विशेष रीडिंग मटेरियल भी उपलब्ध करवाया गया। राष्ट्रीय कोचिंग संस्थान FITJE, Fortune की अन्य परीक्षाओं में विद्यार्थियों को शामिल होने के अवसर उपलब्ध करवाकर नियमित अभ्यास करवाया गया। जिलों में किये गये प्रयासों की राज्य-स्तर पर निरंतर समीक्षा की गई। जिलों में अनेक नवाचार को प्रोत्साहित किया गया। इनमें मंडला जिले में ‘नवरत्न’ एवं ‘ज्ञानार्जन’ प्रोजेक्ट, डिंडोरी में ‘आकांक्षा’ प्रोजेक्ट, अनूपपुर जिले में ‘प्रयास’ तथा झाबुआ जिले में ‘स्टेप’ प्रोजेक्ट शामिल हैं। कलेक्टरों द्वारा चिन्हित विद्यार्थियों को प्रतिष्ठित कोचिंग संस्थानों में कोचिंग की सुविधा उपलब्ध करवायी गई।