December 24, 2024

लोन मोरेटोरियम: अगर कोरोना काल में भी चुकाई थी किस्त, तो बैंक देंगे कैशबैक

RBI1

नई दिल्ली,24 अक्टूबर(इ खबर टुडे )। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कोरोना वायरस महामारी के समय में ग्राहकों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए उन्हें छह महीनों के लिए लोन मोरेटोरियम की सुविधा दी थी। इस दौरान जो लोग वित्तीय रूप से ईएमआई का भुगतान करने में असमर्थ थे, उन्होंने इसका लाभ उठाया।

वहीं कई लोगों ने मोरेटोरियम अवधि के दौरान भी नियमित रूप से किस्त चुकाई है। अगर आपने भी इस दौरान किस्तों का भुगतान किया है, तो ये खबर आपके लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। केंद्र सरकार ने लोन के ब्याज पर ब्याज माफी संबंधी दिशानिर्देशों को मंजूरी दे दी है। 

इनको मिलेगा लाभ
जिन कर्जदारों के ऊपर 29 फरवरी 2020 तक कुल ऋण दो करोड़ रुपये से अधिक नहीं था, वे सभी योजना का लाभ उठाने के लिए पात्र होंगे। यानी यह राहत सभी कर्जदारों को मिलेगी, चाहे उन्होंने किस्त भुगतान से छह महीने की दी गई छूट का लाभ उठाया हो, या नहीं। जिन ग्राहकों ने मोरेटोरियम का लाभ नहीं उठाया था, उन्हें भी बैंक से कैशबैक मिलेगा।

इस योजना के तहत आवास ऋण, शिक्षा ऋण, क्रेडिट कार्ड बकाया, वाहन कर्ज और MSME के लिए लिया गया कर्ज और खपत के लिए लिया ऋण कवर होगा। दो करोड़ रुपये तक के ऋण वाले छोटे व्यवसायों और व्यक्तिगत उधारकर्ताओं को यह भुगतान किया जाएगा। 

कैसे होगी भुगतान की गणना?
इस स्कीम के तहत कर्जदारों को छह महीने के सिंपल लोन इंट्रेस्ट में डिफरेंस का लाभ मिलेगा। ऋणदाताओं में बैंक, सहकारी बैंक, हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां और माइक्रोफाइनेंस संस्थान शामिल हैं।आसान भाषा में समझें, तो कर्ज पर छह महीने के लिए दी गई मोहलत के दौरान संचयी ब्याज यानी ‘ब्याज पर ब्याज’ और साधारण ब्याज के बीच अंतर के बराबर राशि का भुगतान सरकार करेगी।

शुक्रवार को वित्त मंत्रालय ने सभी आरबीआई-विनियमित ऋणदाताओं को कहा था कि, अगर किसी उधारकर्ता ने मोरेटोरियम का लाभ नहीं उठाया और किस्त का भुगतान समय पर किया है, तो बैंक से उन्हें कैशबैक मिलेगा। 

क्या है मामला?
ब्याज पर ब्याज मामले को लेकर केंद्र सरकार ने शुक्रवार को अपने फैसले के बारे में पूरी जानकारी दी, जिसमें कैशबैक की भी बात कही गई थी। दरअसल, मोरेटोरियम अवधि के ईएमआई के भुगतान को लेकर कई सवाल उठे हैं। सुप्रीम कोर्ट में ब्याज पर ब्याज का मामला पहुंचा। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिए हलफनामे में कहा कि वह मोरेटोरियम अवधि (मार्च से अगस्त तक) के दौरान ब्याज पर ब्याज को माफ करने के लिए तैयार हो गई है। सरकार के सूत्रों ने ब्याज की माफी की लागत करीब 6,500 करोड़ रुपये आंकी थी।

शीर्ष अदालत ने 14 अक्तूबर को केंद्र को निर्देश दिया था कि वह कोविड-19 महामारी के मद्देनजर रिजर्व बैंक की किस्तों के भुगतान से छूट की योजना के तहत दो करोड़ रुपये तक के कर्ज पर ब्याज माफ करने के बारे में शीघ्र निर्णय ले। 

You may have missed

Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds