ये कैसी सिंहस्थ की चिंता?
न मास्टर प्लान, न मेला अधिकारी
हर प्रोजेक्ट में कहीं न कहीं अड़चन
उज्जैन 11 मई(इ खबरटुडे)। उज्जैन की आन-बान और शान सिंहस्थ मेला। बोलने में सबकी चिंता। कर्म में किसी का कोई टारगेट नहीं। हर प्रोजेक्ट कहीं न कहीं उलझन में है। एक दर्जन के लगभग ब्रिज अधूरे पड़े हैं। सड़कों का जाल जंजाल बन रहा है। इससे भी बड़ी स्थिति तो यह है कि न मास्टर प्लान फायनल हो पाया है और न ही सिंहस्थ मेला अधिकारी की जिम्मेदारी किसी को सौंपी गई है। आखिर सिंहस्थ कैसे निर्विघ्न संपन्न होगा?
प्रत्येक 12 वर्ष में उज्जैन में आयोजित होने वाला सिंहस्थ मेला इस बार भी बेहतर तरीके से आयोजित करने के लिये सरकार एक हजार करोड़ से अधिक का खर्च करेगी। इसके लिये कई सारे प्रोजेक्ट हैं। धरातल पर लाने की तैयारी कई वर्ष पूर्व से शुरु हो चुकी है। कागजों में आंकड़े रखे गए हैं। हालत यह है कि कागजी आंकड़े अब पुराने हो गये हैं। प्रोजेक्ट की लागत बढ़ गई है। प्रशासनिक स्तर पर कार्रवाइयां कागजी घोड़ों पर दौड़ाई जा रही है। धरातल पर सबकुछ बिखरा-बिखरा सा नजर आ रहा है। वर्ष 2014 और वर्ष 2015 के 6 माह वर्षाकाल के निकाल दिये जायें तो कुल जमा सिंहस्थ आयोजन को 14 माह शेष बचे हैं। जनवरी 2016 से सिंहस्थ का बिगुल बज जायेगा। संत सेना का आगमन शुरु हो जायेगा। सिंहस्थ कार्यालय को भूमि आवंटन की कार्रवाई शुरु करना होगी। ऐसे में निर्माण कार्य कैसे पूर्ण हो पाएंगे? इसकी चिंता अब हर स्तर पर शहरी वरिष्ठों को सताने लगी है।
मास्टर प्लान अब भी पैकेट में
सिंहस्थ के लिये राज्य शासन ने मास्टर प्लान बनाने की तैयारी करीब चार वर्ष पूर्व की थी। इसके लिये राय शासन की एक संस्था को जिम्मेदारी दी गई। शासन की संस्था ने एक अन्य संस्था को प्लान बनाने का जिम्मा सौंपा। प्रशासनिक मशीनरी के साथ संबंधित संस्था ने कई दौर की बैठक की। विचार लिये गये। शहर के बुध्दिजीवियों के साथ प्लान पर चर्चा की गई। इसके बावजूद मास्टर प्लान अब भी धरातल पर नहीं आया है। मास्टर प्लान अब भी पैकेट में बंद है। जिम्मेदार विभागों से इस मास्टर प्लान की कमी को लेकर अधिकारियों का फीडबेक शेष है।
सबसे बड़ी कमी मेला अधिकारी की
सिंहस्थ आयोजन में जानकार बता रहे हैं कि सबसे बड़ी कमी मेला अधिकारी की नियुक्ति न होना है। वर्तमान में नगर निगम आयुक्त सिंहस्थ के लिये बनी समिति के सचिव हैं। संभागायुक्त इसके अध्यक्ष हैं। भोपाल से भी कई सारे मामले देखे जा रहे हैं। स्थानीय स्तर पर निर्माण कार्यों की गति बनाये रखने के लिये संभागायुक्त समीक्षा बैठक ले रहे हैं। निर्माणों का निरीक्षण भी किया जा रहा है। इसके बावजूद निर्माण कार्य अटके पड़े हैं। खुद सिंहस्थ मेला प्राधिकरण का भवन प्रशासनिक कमजोरियों के चलते अटक गया है।
कई सारे प्रोजेक्ट शुरु होना शेष
सिंहस्थ 2016 के लिये कई सारे प्रोजेक्ट अभी शुरु होना शेष है। पुलिस विभाग की मांग अनुसार रामघाट के नजदीक निर्माण किये जाने वाला प्रोजेक्ट धरातल पर नहीं है। सुरक्षा की दृष्टि से किये जाने वाले कई निर्माण धरातल पर नहीं उतरे हैं। रेलवे ओव्हर ब्रिज अधर में अटक गये हैं। जीरो पाइंट ब्रिज का रेलवे वाला हिस्सा राज्य शासन को बनाना है। इसके लिये अभी टेंडर फायनल नहीं हुआ है। एलिवेटेड पाथ-वे का निर्माण शुरु नहीं हुआ है। ऐसे ढेरों प्रोजेक्ट हैं।