महागीत की रचना का उद्देश्य सीधे मार्ग पर चलने की प्रेरणा देना
कुरान पर आधारित महागीत “ईश्वर प्रेरणा” के लेखक पंडित मुस्तफा आरिफ से चर्चा
रतलाम,29 फरवरी (इ खबरटुडे)। वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक पंडित मुस्तफा आरिफ आजकल कुरान शरीफ पर आधारित 10 हज़ार पदों के हिंदी महागीत “ईश्वर प्रेरणा” की रचना मे व्यस्त है जिसे विश्व रेकार्ड संगठन ने विश्व की सबसे बड़ी ईश स्तुति “हम्द घौषित किया है। इस हेतु पंडित मुस्तफा को एपीजे अब्दुल कलाम सम्मान से सम्मानित किया गया है। 18 खंडो मेे लिखे जा रहे इस महागीत के 8400 पद पूर्ण हो चुके है। 2008 से लिखे जा रहे इस ईश स्तुति (हम्द) का कार्य इस वर्ष के अंत तक पूर्ण होने की संभावना है। भारत के 250 विश्विध्यालयों को इसकी प्रतियां निशुल्क भेंट की जायेगी।
रतलाम मेे जन्में पंडित मुस्तफा भारत शासन की पत्रिका सदभाव्ना संदेश के प्रधान संपादक एवं श्री अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधान मंत्रित्व काल मेे सामाजिक न्याय मंत्रालय मेे प्रेस सचिव रहै है। तत्पश्चात केन्या में डायरेक्टर मिडिया के पद पर कार्य कर चुके है। अटलजी पर लिखी गई उनकी 131 कविताओं का संकलन “धरती पर है अटल महान” देश विदेश में चर्चित रहा। साम्रदायिक सौहाद्र के लिये पंडित मुस्तफा आरिफ उज्जैन की महाकालेश्वर मंदिर समिति से संबद्घ रहे। अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज ने उन्हें पंडित व परशुराम श्री की उपाधी से सम्मानित किया।
इस प्रतिनिधि से चर्चा करते हुए पंडित मुस्तफा आरिफ ने बताया जिहाद और आतंकवाद को लेकर जो भ्रांती है उसे दूर किया जाना ज़रूरी है। कुरान शरीफ जिहाद के नाम पर आतंकवाद का समर्थन नहीं करता है। जिहाद का मतलब अल्लाह के संदेश को जन जन तक फैला कर सदकार्यों के लिये मनुष्यों को प्रेरित करना है। जबकी ईश्वर धरती पर आतंक फैलाने वालो को पसंद नहीं करता वो नर्क के भागीदार होंगे। पंडित मुस्तफा के अनुसार कुरान शरीफ प्राणीयों के कल्याण व मानवीय एकता के माध्यम से एक ईश्वर की उपासना के लिये प्रेरित करता है। इस बात को स्थापित करता है कि सृष्टी के निर्माण में एक ही ईश्वर की भूमिका है। इसलिये यह कहावत सार्थक है कि एक साधे सब मिले सब साधे सब जाय।
पंडित मुस्तफा ने कहा की कुरान और भागवद दोनो ही ग्रंथ कर्मकांडी है। महागीत का उद्देश्य कुरान शरीफ की उपयोगिता समस्त मानव के लिये है न की जाति विशेष जाति के लिये। कुरान शरीफ के मार्ग पर चलकर एक ईश्वर की पउपासना के माध्यम से सृष्टी का कल्याण संभव है। पंडित मुस्तफा ने 1972 में तब रतलाम के ओध्योगिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिये अभियान चलाया था जब उनके पिता श्री अकबर अली आरिफ रतलाम के विधायक चुने गये थे। वे रतलाम के पिछड़ेपन से आज भी दुखी है। उनका मानना है कि सभी सामाजिक संस्थाएं यदि एक मत होकर प्रयास करे तो रतलाम के औद्योगिक और व्यवसायिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिये शासन व प्रशासन को जागृत किया जा सकता है। पंडित मुस्तफा आज के देश में बनाए जा रहे असहिष्णुता के कृत्रिम वातावरण से व्यथित है और कहते है कि उन्हें भी विश्व के अनेक देशों के भ्रमण का अवसर मिला है। इसलिए वे अपने अनुभव से कह सकते है कि भारत में सहिष्णुता, समन्वय व सहनशीलता का जो वातावरण है वह विश्व के किसी भी देश में नहीं है। बल्कि यह सब विशेषताएं हमारे देश की संस्कृति प्रधान नेसर्गिक गुण है, जिसे कोई भी बाहरी ताकत नुकसान नहीं पहुंचा सकती है।