भारत से तनातनी के बीच हाई अलर्ट पर ड्रैगन की सेना? चीनी राष्ट्रपति ने सैनिकों से कहा- युद्ध की करो तैयारी
नई दिल्ली,15 अक्टूबर(इ खबर टुडे)। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सीमा विवाद को लेकर भारत और चीन के बीच तनातनी जारी है। दुनिया की नजर में अच्छा बनने के लिए चीन, भारत के साथ शांति वार्ता की बात करता है, मगर हकीकत यह है कि वह भीतर ही भीतर युद्ध की भी तैयारी कर रहा है। चीन के नापाक इरादे उस वक्त सामने आ गए, जब चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपनी सेना से युद्ध के लिए तैयार रहने को कहा। साथ ही जिनपिंग ने चीनी सेना को हाई अलर्ट पर रहने को कहा है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मंगलवार को गुआंगडोंग के दक्षिणी प्रांत में एक सैन्य अड्डे का दौरा किया और सैनिकों को युद्ध की तैयारी करने को कहा। जिनपिंग ने पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी से कहा, ‘अपना पूरा दिमाग और ऊर्जा युद्ध की तैयारी पर लगाओ।’
सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, शिन्हुआ के हवाले से कहा गया है कि चाओझोउ शहर में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी मरीन कॉर्प्स के निरीक्षण के दौरान जिनपिंग ने सैनिकों से हाई अलर्ट मोड में रहने को कहा है। साथ ही उन्होंने चीनी सैनिकों को पूरी तरह से वफादार, बिल्कुल शुद्ध और भरोसेमंद रहने को भी कहा है।
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, चीन के राज्य गुआंगडोंग में शी जिनपिंग के पहुंचने का मुख्य उदेश्य शेनझेन स्पेशल इकोनॉमिक जोन की 40वीं वर्षगांठ के मौके पर भाषण देना था। चीन की अर्थव्यवस्था को दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने में इसका बड़ा योगदान रहा है।
चीन के राष्ट्रपति ने सेना से कहा, युद्ध और संकट के लिए तैयार रहें
चीनी राष्ट्रपति का यह सैन्य विजिट ऐसे वक्त में हुआ है, जब ताइवान और कोरोना की वजह से चीन और अमेरिका के बीच तनाव चरम पर है। साथ ही सीमा विवाद को लेकर भारत के साथ भी रिश्ते काफी तल्ख हैं। चीन और भारत ने सीमा पर फोर्स की तैनाती कर दी है। बता दें कि भारत और चीन के बीच कोर कमांडर स्तर की सात दौर की सैन्य वार्ता हो चुकी है। पिछली वार्ता सोमवार को करीब 12 घंटे चली थी।
एक भारतीय सैन्य अधिकारी ने कहा कि हालांकि चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने वार्ता के माध्यम से गतिरोध को हल करने की इच्छा दिखाई, लेकिन उसकी ओर से इसके लिए जमीन पर कोई स्पष्ट कदम नहीं उठाया गया है। भारत का कहना है कि पर्वतीय क्षेत्र में टकराव वाले बिंदुओं से सैनिकों की वापसी प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी चीन पर है। यह भी पता चला है कि चीनी प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार की वार्ता में सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया शुरू करने के लिए एक प्रस्ताव रखा था।