November 24, 2024

ब्रह्मोस से लैस सुखोई आज से करेंगे हिंद महासागर की निगहबानी, पाक-चीन के लिए होगा घातक

नई दिल्ली,20 जनवरी( इ खबर टुडे )। हिंद महासागर में चीन और पाकिस्तान की चाल को मात देने के लिए भारतीय वायुसेना ने अचूक हथियारों को तैनाती बढ़ा दी है। इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते दखल को रोकने के लिए तमिलनाडु के तंजावुर में ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस सुखोई लड़ाकू विमानों (SU-30 MKI) के पहले स्क्वॉड्रन को आज आधिकारिक रूप से तैनात कर दिया गया है।
सुपरसोनिक मिसाइल ब्रह्मोस से लैस सुखोई 30 एमकेआई विमानों के पहले स्क्वॉड्रन की तैनाती के दौरान चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और वायुसेना प्रमुख राकेश कुमार सिंह भदौरिया उपस्थित रहे। इस अवसर पर वायुसेना की सारंग टीम ने कई करतब दिखलाए। इस मिसाइल को विमान में फिट करने के लिए कई बदलाव भी किए गए हैं।

स्क्वॉड्रन को ‘टाइगर शार्क्स’ दिया गया नाम
सुखोई विमानों के इस स्क्वॉड्रन को टाइगर शार्क्स नाम दिया गया है। यह सुखोई का 12वां स्क्वॉड्रन है। इसके 11 अन्य स्क्वॉड्रन को चीन और पाकिस्तान से लगी सीमा पर नजर बनाए रखने के लिए पहले ही तैनात किया जा चुका है।

चीन-पाक के किसी भी आक्रामकता का देंगे करारा जवाब
ब्रह्मोस से लैस ये लड़ाकू विमान भारतीय सीमा की रक्षा करने के साथ ही चीन-पाक के किसी भी आक्रामकता का जवाब देने में सक्षम होंगे। इतना ही नहीं, ब्रह्मोस किसी एयरक्राफ्ट कैरियर को भी पल भर में तबाह करने में सक्षम है। इस मिसाइल की गति इतनी तेज है कि यह अपने दुश्मनों को जवाबी कार्रवाई करने से पहले ही उन्हें नेस्तनाबूत कर देगा।

ब्रह्मोस जल-थल-नभ से दागी जाने वाली पहली और इकलौती मिसाइल

बता दें कि ब्रह्मोस दुनिया की पहली ऐसी मिसाइल है जो धरती आकाश और जमीन से दागा जा सकता है। ऐसी मिसाइल अमेरिका और चीन के पास भी नहीं है। हाल के दिनों में हिंद महासागर में चीनी जहाजों की गतिविधियां बहुत बढ़ गई हैं। जिनपर अब आकाश से भारत के सुखोई विमान नजर रखेंगे।

वर्तमान में भारत और रूस इस मिसाइल की मारक दूरी बढ़ाने के साथ इसे हाइपरसोनिक गति पर उड़ाने पर भी काम कर रहे हैं। आने वाले दिनों में भारत और रूस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस की रेंज को 290 किलोमीटर से बढ़ाकर 600 किलोमीटर करने की दिशा में काम करेंगे। इससे न केवल पूरा पाकिस्तान इस मिसाइल की जद में होगा बल्कि कोई भी टारगेट पलभर में इस मिसाइल से तबाह किया जा सकेगा।

वायुसेनाध्यक्ष ने तंजावुर में पहले सुखोई-30 लड़ाकू विमान के स्क्वाड्रन को शामिल करने पर कहा, ‘यह दक्षिणी वायु कमान का हिस्सा होगा। वायु सेना की परिचालन क्षमता के दृष्टिकोण से यह हमारी शक्ति में बहुत बड़ा इजाफा है। इसमें मुख्य रूप से समुद्री भूमिका होगी और निश्चित रूप से अन्य सभी आक्रामक और रक्षात्मक भूमिकाएं होंगी जो कि विमान कर सकता है।’

ब्रह्मोस की खासियत…

ब्रह्मोस कम दूरी की रैमजेट इंजन युक्त, सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। इसे पनडुब्बी से, पानी के जहाज से, लड़ाकू विमान से या जमीन से दागा जा सकता है। ब्रह्मोस मिसाइल को दिन अथवा रात तथा हर मौसम में दागा जा सकता है। इस मिसाइल की मारक क्षमता अचूक होती है।

रैमजेट इंजन की मदद से मिसाइल की क्षमता तीन गुना तक बढ़ाई जा सकती है। अगर किसी मिसाइल की क्षमता 100 किमी दूरी तक है तो उसे रैमजेट इंजन की मदद से 320 किमी तक किया जा सकता है। रूस की एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया और भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने संयुक्त रूप से इसका विकास किया है। यह रूस की पी-800 ओंकिस क्रूज मिसाइल की प्रौद्योगिकी पर आधारित है।

ब्रह्मोस मिसाइल का नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मस्कवा नदी पर रखा गया है। इस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की गति ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना अधिक है। ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल ध्वनि के वेग से करीब तीन गुना अधिक 2.8 मैक गति से लक्ष्य पर प्रहार करती है। इसके दागे जाने के बाद दुश्मन को संभलने का मौका भी नहीं मिलता है।

हवा से सतह पर मार करने में सक्षम 2.5 टन वजनी ब्रह्मोस मिसाइल की मारक क्षमता 300 किलोमीटर है। इसके एयर लॉन्च वर्जन का परीक्षण लगातार चल रहा है। वायुसेना के सुखोई लड़ाकू विमान से इसके कई सफल फायर ट्रायल को आयोजित किया जा चुका है।

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