चीन ने भारत के लिए बजाई खतरे की घंटी, ब्रह्मपुत्र पर तिब्बत का सबसे बड़ा बांध शुरू
बीजिंग 13 अक्टूबर(इ खबरटुडे)। चीन ने तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर बनी अपनी सबसे बड़ी पनबिजली परियोजना- जम हाइड्रोपावर स्टेशन की सभी छह इकाइयों का समावेश मंगलवार को पावर ग्रिड में कर दिया गया. इस परियोजना से जल आपूर्ति में बाधा होने की आशंका पर भारत की चिंता बढ़ गई है. भारत को डर है कि संघर्ष के वक्त चीन इन बांधों से पानी छोड़ सकता है जिससे भारत में बाढ़ आने का गंभीर खतरा होगा.
डेढ़ अरब डॉलर का केंद्र
चीन के वुहान में स्थित प्रमुख चीनी पनबिजली ठेकेदार ‘चाइना गेझोउबा ग्रुप’ ने सरकारी समाचार एजेंसी ‘शिन्हुआ’ को बताया कि केन्द्र की सभी इकाइयों का समावेश पावर ग्रिड में करा दिया गया है और इससे डेढ़ अरब डॉलर के केन्द्र ने संचालन करना शुरू कर दिया.
तिब्बत से भारत आती है ब्रह्मपुत्र नदी
शन्नान प्रिफेक्चर के ग्यासा काउंटी में स्थित जम हाइड्रो पावर स्टेशन को जांगमू हाइड्रोपावर स्टेशन के नाम से भी जाना जाता है. यह ब्रह्मपुत्र नदी के पानी का इस्तेमाल करता है. ब्रह्मपुत्र नदी को तिब्बत में यारलुंग जांगबो नदी के नाम से जाना जाता है. यह नदी तिब्बत से भारत आती है और फिर वहां से बांग्लादेश जाती है.
क्यों खास है ये बांध .
इस बांध को विश्व की सबसे ज्यादा ऊंचाई पर बने पनबिजली केन्द्र के रूप में जाना जाता है. यह अपने किस्म की सबसे बड़ी परियोजना है जो एक साल में 2.5 अरब किलोवाट-घंटे बिजली उत्पादन करेगी. कंपनी ने कहा, ‘यह मध्य तिब्बत की बिजली की किल्लत दूर करेगी और बिजली की कमी वाले क्षेत्र में विकास लाएगी. यह मध्य तिब्बत का एक अहम उर्जा आधार भी है.’ शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार अधिकारियों ने कहा है कि जब गर्मियों में बिजली प्रचूर होगी तो उसके एक हिस्से का पारेषण पड़ोस के छिंगहाई प्रांत में किया जाएगा.
और भी बांध बना रहा है चीन
इस परियोजना की पहली इकाई ने पिछले साल नवंबर में अपना संचालन शुरू कर दिया था. जांगमू के अलावा चीन कुछ और बांध बना रहा है. इस बीच, चीन यह कह कर भारत की चिंताएं दूर करने की कोशिश कर रहा है कि ये ‘रन-ऑफ-द-रिवर’ परियोजनाएं हैं जिनका डिजाइन पानी के भंडारण के लिए नहीं किया गया है.
होनी चाहिए निगरानी
ब्रह्मपुत्र पर भारत के एक अंतर-मंत्रालय विशेषज्ञ समूह (IMEG) ने 2013 में कहा था कि ये बांध उपरी इलाके में बनाए जा रहे हैं. समूह ने निचले इलाकों में जल के प्रवाह पर इनके प्रभाव के मद्देनजर इनपर निगरानी का आह्वान किया था. समूह ने रेखांकित किया था कि तीन बांध- जिएशू, जांगमू और जियाचा एक दूसरे से 25 किलोमीटर के दायरे में और भारतीय सीमा से 550 किलोमीटर की दूरी पर हैं.
भारत की चिंता
वर्ष 2013 में बनी सहमति के अनुसार चीनी पक्ष ब्रह्मपुत्र की बाढ़ के आंकड़े जून से अक्टूबर के बजाय मई से अकटूबर के दौरान प्रदान करने में सहमत हुआ था. 2008 और 2010 के नदी जल करारों में जून से अक्तूबर के दौरान आंकड़े प्रदान करने का प्रावधान था. भारत को चिंता है कि अगर पानी बाधित किया गया तो ब्रह्मपुत्र नदी की परियोजनाएं, खास तौर पर अरूणाचल प्रदेश की अपर सियांग और लोअर सुहांस्री परियोजनाएं प्रभावित हो सकती हैं.