November 24, 2024

क्या बागी बदलेंगे पार्टियों की किस्मत ?

निगम चुनाव काउण्ट डाउन – 11 दिन शेष

नगर निगम चुनाव के मतदान में अब 11 दिन बचे है। निगम महापौर पद के लिए भाजपा कांग्रेस में सीधा मुकाबला होने से दोनो ही प्रत्याशी और पार्टियां पूरी ताकत झोंकने की तैयारियों में जुट गई है। इससे ज्यादा रोचकता तो वार्ड पार्षद के चुनाव में दिखाई देने वाली है। निगम के 49 वार्डो में कुल 171 उम्मीदवार मैदान में है।
पार्षद पद के लिए दाखिल किए गए 171 प्रत्याशियों और वार्डों का विश्लेषण किया जाए तो पता चलता है कि शहर के 49 वार्डो में से मात्र 12 वार्ड ऐसे है,जहां भाजपा और कांग्रेस के बाच सीधी लडाई है। इन वार्डों में कोई निर्दलीय प्रत्याशी नहीं है। शेष बचे 37 वार्डों में बहुकोणीय संघर्ष है। इनमें से भी 12 वार्ड ऐसे है,जिनमें दोनो प्रमुख पार्टियों के प्रत्याशियों के अलावा केवल एक निर्दलीय प्रत्याशी है। अर्थात 12 वार्डों में त्रिकोणीय संघर्ष है और 25 वार्डों में बहुकोणीय संघर्ष है।
चुनावी चख चख शुरु होने के साथ ही अब तमाम नेताओं की नजरें बागियों पर टिक गई है। नामवापसी के पहले तक दोनो ही पार्टियों के वरिष्ठ नेता बागियों को समझाने में जूटे हुए थे। नाम वापसी के बाद अब इन 37 वार्डों के अधिकृत प्रत्याशियों की धडकनें बढी हुई है। हर तरफ यही सवाल है कि क्या बागी पार्टियों की किस्मत बदल सकते है?
इस सवाल का जवाब हर कोई ढूंढ रहा है।
अब तक की राजनीतिक उठापटक को देखा जाए तो लगता है कि बागियों की यह तादाद कोई भी बडा उलटफेर करने में सक्षम है।
भाजपा के बागियों में वार्ड क्र.33 से निगम अध्यक्ष दिनेश पोरवाल,वार्ड क्र.3 से भाजपा नेता राजेश पाण्डेय,वार्ड क्र 13 से पूर्व पार्षद गोपाल परमार, वार्ड क्र.7 से पूर्व पार्षद बलवीर सिंह सोढी जैसे बडे नाम है। ये लोग उलटफेर करने में सक्षम है। यदि बागियों की चल निकली तो भाजपा के लिए खतरे की घण्टी हो सकती है।
दोनो ही पार्टियां अपने बागियों को अनुशासनात्मक कार्यवाही की धमकियां दे रही है। हांलाकि बागी जानते है कि आजकल राजनीति में पार्टियां नेताओं से ज्यादा अवसरवादी है। नेता जानते है कि यदि वे निर्दलीय तौर पर चुनाव जीत गए तो उनके सारे गुनाह माफ कर दिए जाएंगे और पार्टी उन्हे माथे पर बैठा लेगी। बागियों को समझाने गए दोनो पार्टियों के नेताओं को यही जवाब भी मिले। भाजपा में अधिकृत प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड रहे प्रेम उपाध्याय,गोविन्द काकानी,अरुण राव पिछले दिनों तक बागी ही थे,लेकिन जैसे ही समय बदला वे सब बागी से निष्ठावान हो गए। इसी तरह कांग्रेस में कांग्रेस अध्यक्ष विनोद मिश्रा मामा खुद पिछले निगम चुनाव में बागी थे,लेकिन इस चुनाव में वे ही टिकट बांट रहे थे।

You may have missed