ऐतिहासिक फैसले सुनाने के लिए हमेशा याद किए जाएंगे चीफ जस्टिस रंजन गोगोई
नई दिल्ली,16 नवंबर (इ खबरटुडे)।भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई रविवार को औपचारिक रूप से रिटायर हो जाएंगे। चीफ जस्टिस के रूप में उनका कार्यकाल करीब साढ़े 13 महीने का रहा। इस दौरान उन्होंने कुल 47 फैसले सुनाए, इनमें से कई फैसले ऐतिहासिक रहे, इन फैसलों के लिए उनको हमेशा ही याद किया जाएगा।
इनमें अयोध्या विवाद, तीन तलाक, चीफ जस्टिस का दफ्तर आरटीआई के दायरे में, सरकारी विज्ञापन में नेताओं की तस्वीर पर पाबंदी लगाने जैसे फैसले शामिल थे। इसके अलावा तीन तलाक पर भी किया गया फैसला शामिल है। उन्होंने अक्टूबर 2018 में भारत के 46वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी।
असम में हुआ था जन्म
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई का जन्म 1954 में असम में हुआ था। वो पूर्वोत्तर के पहले ऐसे व्यक्ति हैं जिन्हें भारत का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया। उनके पिता केशब चंद्र गोगोई असम के मुख्यमंत्री रहे।
कानून में करियर
गोगोई 1978 में गुवाहाटी बार एसोसिएशन में शामिल हुए। उन्होंने मुख्य रूप से गुवाहाटी हाई कोर्ट में अभ्यास किया। 28 फरवरी, 2001 में गुवाहाटी हाई कोर्ट के स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुए। 9 सितंबर 2010 को उन्हें पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया गया। 12 फरवरी, 2011 को उन्हें पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। 23 अप्रैल, 2012 को गोगोई सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए।
सख्त न्यायाधीश
जस्टिस रंजन गोगोई एक सख्त जज के तौर पर जाने जाएंगे। साल 2016 में जस्टिस गोगोई ने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज मार्कंडेय काटजू को अवमानना का नोटिस भेज दिया था। अवमानना नोटिस के बाद जस्टिस काटजू सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए और उन्होंने फेसबुक पोस्ट के लिए माफी मांगी।
यही नहीं वह उस का पीठ का हिस्सा रहे, जिसने लोकपाल अधिनियम को कमजोर करने के सरकार के प्रयासों को विफल कर दिया था। वह उस पीठ का भी हिस्सा रहे जिसने कोर्ट की अवमानना के लिए कोलकाता हाई कोर्ट के न्यायाधीश सी एस कन्नन को भी पहली बार जेल में डाल दिया।