December 24, 2024

एसडीएम के प्रश्रय में कटे 232 हरे वृक्ष

सूचना के बावजूद नहीं पहुंचे, जनसुनवाई में संभागायुक्त को ग्रामीण ने की शिकायत

उज्जैन,10 सितम्बर (इ खबरटुडे)। जिले की बड़नगर तहसील अंतर्गत ग्राम खरसोदखुर्द माँ भवानी माता रोड निर्माण के लिये ग्राम पंचायत खरसोदखुर्द में 232 वृक्षों की बलि चढ़ा दी है। वृक्षों की यह बलि एसडीएम को सूचना दिये जाने के बावजूद नहीं पहुंचने के कारण चढ़ गई। निश्चित तौर पर प्रश्रय के चलते ही यह मामला हुआ है। मामले को लेकर ग्रामीण सत्यनारायण पाटीदार ने मंगलवार को संभागायुक्त के समक्ष पहुंचकर जनसुनवाई में जाँच का आग्रह और कार्रवाई की मांग की है।


ग्राम पंचायत खरसोदखुर्द ने माँ भवानी माता रोड बनाने के लिये सरपंच सचिव के साथ ही राजस्व विभाग के सहयोग से घर-घर जाकर जनसहयोग राशि एकत्रित की थी। यह राशि पंचायत के खाते में जमा की गई। पटवारी व राजस्व निरीक्षक ने माताजी रोड का सीमांकन कर यंत्री से स्टीमेट बनवाया। यह स्टीमेट 4 लाख 92 हजार का बना। इसमें 9 मीटर चौड़ा 3 कि.मी. मार्ग बनाया जायेगा। इसके बावजूद सरपंच ने चौड़ाई 66 फीट से 100 फीट ली। किसानों के मेड़ों पर सैकड़ों हरे-भरे वृक्ष जेसीबी से जड़ से उखाड़कर लाखों की लकड़ी का गोलमाल कर दिया। गांव के सत्यनारायण पाटीदार ने पेड़ काटने के पूर्व 24 अप्रैल 2013 को एसडीएम बड़नगर को आवेदन देकर हरे-भरे पेड़ों की रक्षा का आग्रह किया गया। इसके बावजूद एसडीएम के समय पर नहीं आने से सैकड़ों पेड़ों की जान कथित विकास कार्य के नाम पर ले ली गई। अनुविभागीय अधिकारी के जाँच नहीं करने पर इस मामले में 30 अप्रैल को जनसुनवाई में कलेक्टर को आवेदन किया गया था। इस पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। आवेदन पत्र प्रस्तुति के 2 माह 19 दिन बाद तहसीलदार ने मौके पर आकर 232 कटे वृक्ष का पंचनामा ठूंठ के आधार पर बनाया है। मामले में मंगलवार को सत्यनारायण पाटीदार ने संभागायुक्त अरुण पाण्डेय के समक्ष उपस्थित होकर कथित विकास के नाम पर बेवजह दायरे में लेकर काटे गये पेड़ों के मामले में जाँच का पक्ष रखते हुए जिम्मेदारों के विरुध्द उचित कार्रवाई की मांग रखी है।
रक्षक ही भक्षक बने
जिले में वृक्षों की रक्षा की जिम्मेदारी जंगल क्षेत्र में वन विभाग की और राजस्व क्षेत्र में राजस्व अधिकारियों की बनती है। कथित विकास कार्यों के नाम पर इंदौर रोड, देवास रोड सहित कई मार्गों पर हजारों वृक्षों की बलि अब तक चढ़ा दी गई, जिसका परिणाम दुखद रहा है। इंदौर रोड के ठेकेदार ने अनुबंध के बावजूद अब तक वृक्ष नहीं रोपे। ऐसे ही कई उदाहरण सामने हैं। ग्रामीण क्षेत्र के एक मार्ग के लिये सैकड़ों वृक्षों का काटा जाना और तत्काल लकड़ी का स्थल से गायब होना शंका के दायरे में बन गया है। अनुविभागीय अधिकारी आवेदन के बावजूद कार्रवाई नहीं कर सके। यह लकड़कट्टों को प्रश्रय देने जैसा ही है। इसी तरह आगर रोड पर भी जैथल के नजदीक राजस्व क्षेत्र के सड़क से लगे एक दर्जन शमी के वृक्षों को काट दिया गया है। न तो वन विभाग और न ही राजस्व विभाग कार्रवाई के लिए अपना हाथ बढा पा रहा है। इससे जिले के पौध रोपण और वृक्ष बचाने की असलियत का खुलासा भी हो रहा है।

 

You may have missed

Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds