May 8, 2024

‘इज्जत बचाऊं या नौकरी, जहां जाती हूं वहां रखी जाती है शर्त…?

भोपाल। केंद्र सरकार ने महिलाओं को यौन उत्पीड़न जैसे मामलों से छुटकारा दिलाने के लिए जो कानून बनाया है, उसकी केंद्रीय श्रमिक शिक्षा बोर्ड के भोपाल ऑफिस में ही धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। यहां काम करने वाली कनिष्ठ श्रेणी लिपिक भारती (पीड़िता के अनुरोध पर नाम परिवर्तित) ने आरोप लगाया है कि उनके रीजनल डायरेक्टर आरएस माथुर और तत्कालीन यूडीसी चंद्रशेखर कदम ने पहले उनके ऊपर यौनाचार के लिए दवाब डाला और जब विरोध किया तो मानसिक प्रताड़ना देने लगे।

भारती ने इस पूरे मामले की शिकायत केंद्रीय श्रमिक शिक्षा बोर्ड के निदेशक अरविंद कुमार दर्वे को की, तो उन्होंने लिखित में शिकायत न करने की सलाह देते हुए जांच और कार्रवाई करने का आश्वासन दिया। इसके बाद जांच भी की गई, लेकिन भारती को इंसाफ के बजाय नौकरी से निकाले जाने की धमकियां मिलने लगीं। इसके बाद जब भारती ने बोर्ड के अध्यक्ष अशोक सिंह को लिखित शिकायत की तो उचित कार्रवाई करने के बजाय मेमोरेंडम थमा दिया गया। इसमें तीन दिन के भीतर भारती से जवाब मांगा गया कि उन्होंने उच्च अधिकारी से सीधे पत्राचार कैसे कर लिया? सरकारी प्रक्रिया का पालन क्यों नहीं किया?

आखिर कौन करेगा भारती का इंसाफ

भारती के अनुसार वे बोर्ड के भोपाल जोनल ऑफिस में लिपिक के पद पर कार्य करती हैं। भारती को 28 अक्टूबर 2011 को दोपहर में रीजनल डायरेक्टर आरएस माथुर ने कॉल करके तत्काल ऑफिस आने को कहा। जब भारती ने कहा कि वो ऐच्छिक अवकाश पर है तो माथुर ने कहा कि अगर आज ऑफिस नहीं आईं तो नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा। आखिर भारती ऑफिस पहुंची तो वहां आरएस माथुर के साथ तत्कालीन यूडीसी चंद्रशेखर भी मौजूद थे।

दोनों ने भारती से कहा कि उसके खिलाफ मिनिस्ट्री से कोई गोपनीय पत्र आया है और तुम्हें तत्काल नौकरी से निकाले जाने के आदेश हैं। जब भारती ने वह गोपनीय पत्र मांगा तो दोनों ने ही दिखाने से मना कर दिया। सवाल यह है कि आरएस माथुर रीजनल के हेड हैं, जबकि भारती जोनल ऑफिस में पदस्थ हैं। भारती के अधिकारी नागपुर में बैठते थे। इसलिए माथुर को भारती से सवाल करने का कोई अधिकार नहीं था। यदि पूछताछ करना भी थी तो फिर भारती को उनके खिलाफ आया गोपनीय पत्र क्यों नहीं दिखाया गया।

जांच की तो प्रतिवेदन क्यों नहीं बनाया

घटना के तत्काल बाद भारती ने नागपुर मुख्यालय के डायरेक्टर अरविंद कुमार दर्वे को मोबाइल पर पूरी जानकारी दी तो उन्होंने जांच का आश्वासन देकर लिखित शिकायत करने से मना कर दिया। इसके बाद जांच करने दर्वे 20 नवंबर 2011 को भोपाल आए। यहां उन्होंने ऑफिस में काम करने वाले चारों शिक्षा अधिकारी और क्षेत्रीय निदेशक समेत अलग-अलग लोगों से बात की।

जांच पड़ताल के बाद आरएस माथुर ने अपनी गलती मानी और माफी मांगी। ऐसे में यह तो साफ हो ही जाता है कि आरएस माथुर और चंद्रशेखर कदम ने मिलकर भारती को मानसिक प्रताड़ना दी। लेकिन अरविंद कुमार दर्वे ने भी भारती से मामला खत्म करने को कहा।

सवाल यह है जब यह बात साबित हो गई थी तो फिर आरएस माथुर और चंद्रशेखर को कारण बताओ नोटिस क्यों जारी नहीं किया? अरविंद कुमार दर्वे ने क्यों लिखित शिकायत करने से इंकार किया?

बिना जांच मेमोरेंडम क्यों भेजा गया?

भारती ने 4 अप्रैल 2012 को केंद्रीय श्रमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष अशोक सिंह को लिखित शिकायत की। लेकिन इसका उल्टा असर हुआ। भारती को मेमोरेंडम भेजा गया। इसमें मुख्य रूप से अन्य अधिकारियों को छोड़ सीधे-सीधे वरिष्ठ अधिकारी को शिकायत करने पर एतराज जताया गया। ऐसे आठ बिंदुओं का जवाब मांगा गया। भारती ने भी बिना देरी किए सभी बिंदुओं के जवाब लिखकर 12 अप्रैल 2012 को एक पत्र बी.वी. रमेश बाबू सहायक निदेशक केंद्रीय श्रमिक शिक्षा बोर्ड नागपुर के नाम भेज दिए हैं। इसमें उन्होंने स्पष्ट किया है कि उन्होंने सीधे शिकायत क्यों की?

सवाल यह है कि शिकायत के बावजूद जब डायरेक्टर स्तर पर भारती पक्षपात की शिकार हो रही थी तो वह अध्यक्ष के अलावा किसको शिकायत करती? अधिकारियों ने बिना उसका पक्ष जाने आखिर किस आधार पर नोटिस जारी किया। जबकि किसी भी शिकायत के बाद पहले उसकी जांच कराई जाती है और फिर कार्रवाई की जाती है।

आरोपी को जांच के अधिकार कैसे मिले?

नागपुर कोतवाली में 11 अप्रैल 2012 को नागपुर श्रमिक शिक्षा बोर्ड कार्यालय की एक वरिष्ठ लिपिक महिला ने शिकायत दर्ज कराई। उक्त महिला ने जिन लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, उनमें बोर्ड के निदेशक अरविंद कुमार दर्वे भी शामिल हैं। इन सभी पर महिला ने मानसिक प्रताड़ना और यौनाचार के लिए दबाव डालने के आरोप लगाए हैं।

सवाल यह है कि जब अरविंद कुमार दर्वे खुद आरोपों के घेरे में हैं तो भारती की जांच उन्हें किस आधार पर सौंपी गई? आखिर दिल्ली स्थित केंद्रीय श्रमिक बोर्ड से क्यों जांच नहीं कराई जाती?

मोबाइल पर किए भारती को मैसेज

भारती के मोबाइल पर चंद्रशेखर कदम ने इस तरह मैसेज भी किए, लेकिन न तो ये जांच अधिकारियों ने देखे और न ही आला अफसरों ने।

2011 में तो हद हो गई

बोर्ड में 3 साल हो गए हैं। शुरूआत से छेड़छाड़ होती रही, लेकिन अक्टूबर 2011 में हद हो गई। शिकायत की पर इंसाफ नहीं मिला। अब मैं किसके पास गुहार लगाऊं? जहां जाती हूं अधिकारी अपनी शर्त रखने लगते हैं। – भारती (परिवर्तित नाम), पीड़िता, लिपिक केंद्रीय श्रमिक शिक्षा बोर्ड जोनल ऑफिस, भोपाल
ये आरोप सरासर झूठे हैं
ये आरोप सरासर झूठे हैं। दरअसल उस महिला के खिलाफ एक शिकायत मेरे पास आई थी। जिसकी जांच करने के लिए मैंने उन्हें बुलाया था। शिकायत मेरे पास आई थी तो मैंने जांच शुरू कर दी। इस बारे में मैंने दर्वे साहब को भी बता दिया था। आप उनसे बात कर लीजिए। – आर.एस. माथुर रीजनल डायरेक्टर, केंद्रीय श्रमिक शिक्षा बोर्ड आंचलिक निदेशालय, भोपाल

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