अंतिम चरण में चुनावी तैयारियां तेज,भाजपा,राष्ट्रवाद और सुरक्षा के भरोसे तो कांग्रेस को परंपरागत मतदाताओं का भरोसा
रतलाम,14 मई (इ खबरटुडे )। लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण में होने वाले चुनाव में अब कुछ ही दिन बचे है। आखरी सप्ताह में प्रत्याशियों और पार्टियों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए स्टार प्रचारकों की आमसभाएं और मतदाताओं से घर घर जाकर संपर्क की रणनीति पर काम किया जा रहा है। आदिवासी अचंल की रतलाम लोकसभा सीट पर भाजपा व कांग्रेस दोनों ही अपनी अपनी जीत के दावे कर रही हैं।
इस बार के मुकाबले को बेहद कडा माना जा रहा है। कांग्रेस ने एक बार फिर से वर्तमान सांसद कांतिलाल भूरिया को मैदान में उतारा है,तो भाजपा ने अपनी पालिसी को बदलकर झाबुआ से विधानसभा का चुनाव जीते गुमानसिंह डामोर पर दांव लगाया है। वैसे तो इस सीट पर कुल नौ प्रत्याशी भाग्य आजमा रहे हैं,लेकिन मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही है।
दोनो ही प्रत्याशी अपनी अपनी रणनीति पर आगे बढ रहे है। भाजपा प्रत्याशी आंतकवाद के खिलाफ की गई सर्जिकल स्ट्राइक,एयर स्ट्राइक,राष्ट्रवाद और मोदी जी के नाम पर अपना अभियान चला रहे हैं तो कांग्रेस प्रत्याशी कांतिलाल परंपरागत तरीकों से प्रचार में जुटे है। दोनो ही पार्टियों द्वारा स्टार प्रचारकों की सभाएं कराई जा चुकी है। भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सभा रतलाम में हो चुकी है,तो उसी दिन कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा की भी सभा हो चुकी है। दोनो बडे नेताओं की सभाओं के बाद गली मोहल्लो और चौराहों पर चुनावी चर्चाएं जोर पकडने लगी है।
प्रचार अभियान के नजरिये से देखा जाए तो आतंक के खिलाफ की गई कार्यवाही का शहरी इलाकों में खासा असर है,वहीं आदिवासी अंचलों में इस मुद्दे का असर थोडा कम है। हांलाकि आदिवासी अंचलों की नई शिक्षित युवा पीढी पर सर्जिकल स्ट्राइक जैसी बातों का असर नजर आ रहा है। लेकिन वरिष्ठ मतदाताओं पर इसका असर ज्यादा नहीं है। यही कारण था कि कांग्रेस नेता प्रियंका वाड्रा ने अपनी सभा में अपनी दादी इंदिरा गांधी के नाम पर वोट की अपील की। जबकि प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों की कर्जमाफी नहीं होने और कांग्रेस की झूठी घोषणाओ जैसे मुद्दों पर जोर रखा।
रतलाम झाबुआ संसदीय सीट में तीन जिलों के कुल आठ विधानसभा क्षेत्र आते है। रतलाम जिले की रतलाम सिटी,रतलाम ग्रामीण और सैलाना,झाबुआ जिले की झाबुआ,थांदला और पेटलावद तथा अलीराजपुर जिले की अलीराजपुर और जोबट कुल आठ सीटे संसदीय क्षेत्र में शामिल है। संसदीय क्षेत्र में कुल 18 लाख 36 हजार 833 मतदाता है।
संसदीय क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास बडा रोचक है। रतलाम शहर और ग्रामीण सीट हमेशा से भाजपा की बढत वाली सीटें रही है,जबकि शेष छ: विधानसभा सीटों पर भाजपा और कांग्रेस में कडा मुकाबला रहता है। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने इस सीट पर 108447 वोटों से जीत हासिल की थी,लेकिन महज एक साल के बाद भाजपा सांसद दिलीपसिंह भूरिया के निधन के बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया ने 88832 वोटों से जीत हासिल की थी। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने आठ में से तीन सीटों पर दर्ज कराई थी,जबकि पांच सीटे कांग्रेस के खाते में गई थी। विधानसभा चुनाव के परिणामो के हिसाब से देखें तो पांच सीटे जीतने के बावजूद पूरे संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस को महज 29166 वोटों की बढत मिली थी। इसी आंकडे से भाजपा उत्साहित है। भाजपा के रणनीति कारों का मानना है कि यदि रतलाम जिले की तीन सीटों पर अच्छी मेहनत की जाए,तो भाजपा आसानी से जीत हासिल कर सकती है। विधानसभा चुनाव में भाजपा को रतलाम जिले की तीन सीटों से कुल 20566 वोटों की लीड मिली थी। इनमें भी भाजपा सैलाना सीट पर पराजित हुई थी। इन्ही आंकडों को देखते हुए प्रधानमंत्री की सभा रतलाम में रखी गई ताकि यहां की लीड ज्यादा से ज्यादा बढाई जा सके। भाजपा द्वारा अलीराजपुर में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की सभा भी आयोजित की जा रही है,जबकि कांग्रेस की ओर से दिग्विजय सिंह कुछ ग्रामीण इलाकों में सभा ले चुके है।
रतलाम-झाबुआ संसदीय सीट आजादी के बाद से ही कांग्रेस की परंपरागत सीट मानी जाती रही है। कांग्रेस सांसद कांतिलाल भूरिया लंबे समय से यहां का प्रतिनिधित्व कर रहे है। अब तक हुए तमाम लोकसभा चुनावों में से केवल दो बार यहां गैर कांग्रेसी प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है। रतलाम झाबुआ सीट को लेकर अब तक ऐसा माना जाता रहा है कि इस सीट को जो पार्टी जीतेगी,सरकार भी उसी पार्टी की बनेगी। कांग्रेस यहां सिर्फ दो बार पराजित हुई है। पहली बार 1977 में जनता लहर के दौरान यहां संयुक्त विपक्ष के प्रत्याशी को जीत मिली थी। उस समय केन्द्र में जनता सरकार आई थी। दूसरी बार गत लोकसभा चुनाव 2014 में भाजपा ने यहां जीत दर्ज की थी और केन्द्र में भाजपा की बहुमत वाली सरकार बनी थी।