राग-रतलामी/ पंजा पार्टी के लिए चार दिनों की चांदनी के बाद अब आने वाली है अंधेरी रात,अफसरों के लिए बिगडेंगे हालात
-तुषार कोठारी
रतलाम। बेचारे पंजा पार्टी के नेता,अभी तो ठीक से सत्ता का सुख भोगना शुरु भी नहीं कर पाए थे,कि महाराज ने सारा खेल बिगाड दिया। सत्ता के सवा साल में पंजा पार्टी के लोकल नेताओं की उम्मीदें पूरी हो नहीं पाई थी। फिर भी वे उम्मीद लगाए बैठे थे कि अभी कुछ नहीं मिला तो आगे मिल जाएगा। लेकिन महाराज के एक कदम ने उनकी भविष्य की भी तमाम उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
पंजा पार्टी वालों को बडे जोर का झटका लगा है। इसी झटके का असर था कि कल तक श्रीमंत महाराज की रट लगाने वाले पंजा पार्टी वाले श्रीमंत का पुतला जलानेक्के लिए इके हो गए। कोर्ट तिराहे पर जमा हुए मुी भर पंजा पार्टी वालों को तब तक भी उम्मीद थी कि शायद खतरा टल जाएगा। पुतला जलाए जाने की जानकारी मिलने पर प्रशासन ने फायर ब्रिगेड का भी इंतजाम करके रखा था। लेकिन फायर ब्रिगेड वालों को तब निराशा हाथ लगी,जब पंजा पार्टी वालों ने पुतलें की जगह खाली फोटो जलाकर काम पूरा कर लिया। फिर थोडी बहुत नारेबाजी की गई और दुखियारे पंजा पार्टी वाले वहां से रवाना हुए। जाते जाते भी पंजा पार्टी के एक स्थापित नेता ने यही कहा कि पंगत सजी हुई थी,लेकिन उस पंगत में हमारे बैठने का समय आने से पहले ही पंगत उठ गई। हमें तो खाना खाने का मौका ही नहीं मिल पाया। हांलाकि पंजा पार्टी में कुछ ऐसे भोले लोग भी है,जो अब भी आस लगाए बैठे हैं कि शायद कोई चमत्कार हो जाए और पन्द्रह साल बाद उनके हाथ आई सत्ता बच जाए। उन्हे दिग्गी राजा और कमल नाथ के बयानों पर अब भी भरोसा है। हांलाकि अब समय बदलने में चौबीस घण्टों से भी कम वक्त बचा है। महामहिम ने सोमवार का दिन अग्रिपरीक्षा के लिए तय कर दिया है।
दूसरी तरफ फूल छाप वालों के मन में अब लड्डू फूट रहे हैं। पिछला सवा साल उनके लिए बेहद बुरा साबित हुआ था। कल तक जो अफसर उनके आगे पीछे घूमा करते थे,इन दिनों में वे नजरें बचाने लगे थे। फूल छाप वालों को भाव मिलना ही बन्द हो गया था। लेकिन पिछले हफ्ते भर से चली उठापटक के बाद अब फूल छाप वालों के चेहरों की चमक साफ नजर आने लगी है। अब तो फूल छाप वाले ये अंदाजा लगाने लगे है कि लाल बत्ती किसे मिलेगी? किसी को उम्मीद है कि भैयाजी को मौका मिल जाएगा,तो किसी को जावरा वाले भैया को लाल बत्ती मिलती दिख रही है। बहरहाल,चौबीस घण्टों बाद सबकुछ साफ हो जाएगा कि महाराज और शिवराज की चलेगी या राजा और नाथ की।
दल बदला तो दिल बदला,अब क्या होगा?
पंजा पार्टी के दुख और फूल छाप वालों के उत्साह के बीच अफसरों की परेशानी अलग है। सवा साल पहले तक जो खुद को फूल छाप वालों का खास बताते थे,जैसे ही सरकार बदली उनके दिल भी बदल गए थे। अफसरों में होड मची गई थी कि खुद को पंजा पार्टी का नजदीकी दिखाने की। नीचे से उपर तक सबका यही हाल था। यहां तक कि व्हाट्स एप ग्रुप में रहने छोडने को भी पार्टी की नजदीकी से जोडा जा रहा था। फूल छाप वाली एक महिला नेत्री के व्हाट्सएप ग्रुप में पहले तमाम अफसर जुडे होते थे। सरकार बदली तो इस ग्रुप से बाहर होने की होड मच गई। बडी मैडम जी भी इस ग्रुप में हुआ करती थी। सबसे पहले उन्होने ग्र्ुप छोडा। एडमिन ने उन्हे दोबारा जोड लिया,तो वे दोबारा से बाहर हो गई।
फूल छाप वाले ही बताते है कि पहले तो फूल छाप के छोटे नेताओं को भी दफ्तरों में सीधे एन्ट्री मिलती थी,लेकिन दल क्या बदला निर्वाचित माननीयों को भी दफ्तरों में एन्ट्री मिलना कठिन हो गई थी। दूसरी तरफ पंजा पार्टी वाली आपा हर ओर छाई हुई थी। बडी मैडम से लगाकर हर कोई आपा की नजरों में आने को बेताब हुआ जा रहा था।
ऐसे कई सारे लोग फूल छाप वालों की नजरों में चढ गए है। इसका एहसास उन्हे भी है। सवा साल पहले बदला हुआ दिल अब दोबारा से कैसे बदलें? यही अब बडा सवाल है। फूल छाप वाले तो अब एक एक मिनट की गिनती लगा रहे है कि कब उन्हे पावर मिले और कब वे पावर का इस्तेमाल करे?