November 6, 2024

आरोपों को अपने पक्ष में मोडने की कला

-तुषार कोठारी

नरेन्द्र मोदी को गुजरात का मुख्यमंत्री बने एक दशक से अधिक समय गुजर चुका है,लेकिन इस लोकसभा चुनाव से पहले तक कोई नहीं जानता था कि वे अगडे है या पिछडे। अपने उपर लगने वाले आरोपों को बडी खुबसूरती से अपने ही पक्ष में उपयोग करने की जो कला नरेन्द्र मोदी जानते है,वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में मौजूद कोई भी नेता इस कला में वैसा पारंगत नहीं है। उन पर इस चुनाव में जो भी आरोप लगाया गया,मोदी का ही चमत्कार था कि वह आरोप मोदी के लिए फायदे का सौदा बन गया। चाय बेचने वाले से लगाकर नीच राजनीति तक उनके खिलाफ बोला गया हर शब्द उन्हे फायदा दे गया जबकि आरोप लगाने वाले के लिए बगले झांकने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा।
लम्बे समय तक भारतीय जनता पार्टी बनिया ब्राम्हणों की पार्टी कहलाती थी। हांलाकि भाजपा के लोग स्वयं को जातिवाद से दूर रहने वाले कहते है,लेकिन अन्य पार्टियों का दबाव आखिरकार भाजपा पर असर कर ही जाता है। याद कीजिए,जब बंगारु लक्ष्मण को बिना किसी योग्यता के भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया था। भाजपा पर अगडों की पार्टी होने का आरोप था और पूरी पार्टी इस दबाव में थी कि जैसे भी हो इस आरोप से मुक्ति मिले। यही कारण था कि बंगारु लक्ष्मण जैसे अयोग्य व्यक्ति को केवल जातिगत आधार पर राष्ट्रीय अध्यक्ष जैसा महत्वपूर्ण पद मिल गया। इसका खामियाजा भी भाजपा ने जल्दी ही भुगता। देश भर के लोगों ने पार्टी विद डिफरेन्स के राष्ट्रीय अध्यक्ष को खुले आम रिश्वत लेते हुए देखा। हरिजन और आदिवासियों की उपेक्षा के आरोप भाजपा पर अक्सर लगते रहे है। आजकल इसी तरह के आरोप अल्पसंख्यकों को लेकर भी भाजपा पर लगाए जाते है।
वैसे देखा जाए तो भाजपा का वैचारिक धरातल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का है। रा.स्व.संघ को जानने समझने वाले जानते है कि संघ में जाति को कतई कोई महत्व नहीं दिया जाता। संघ के पदों की नियुक्तियों का एकमात्र आधार संगठन सम्बन्धी योग्यता है। संघ पर कभी इस तरह के कोई दबाव भी नहीं होते कि फलां जाति के व्यक्ति को फलां पद दिया जाए। संघ की इसी पृष्ठभूमि और वैचारिकता के असर में भारतीय जनता पार्टी भी स्वयं को जात पात की राजनीति से उपर बताती है। लेकिन राजनीति में सक्रीय अन्य पार्टियों की बयानबाजी अक्सर भाजपा पर दबाव का काम करने लगती है। इसी का नतीजा बंगारु लक्ष्मण जैसी नियुक्तियों में देखने को मिलता है।
लेकिन इन दिनों सबकुछ बदला बदला है। संघ के प्रचारक रहे गुजरात के सफलतम मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को सिर्फ और सिर्फ उनकी लोकप्रियता और सफलता,जिसे योग्यता भी कहा जा सकता है,के आधार पर प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित किया गया है। लोकसभा चुनाव का प्रचार अभियान शुरु होने के बाद नरेन्द्र मोदी ने जिस तरह का अभियान चलाया उससे यह निर्विवाद रुप से सिध्द हो गया है कि योग्यता के आधार पर किया गया नरेन्द्र मोदी का चयन एकदम ठीक था। प्रचार अभियान के शुरुआती दिनों में जहां भाजपा को १८० से २०० सीटों पर फायदा दिखाई दे रहा था,नरेन्द्र मोदी के धुंआधार प्रचार के बाद अब भाजपा को स्पष्ट बहुमत के पास पंहुचने के अनुमान मिलने लगे है।
भाजपा के इतिहास में भी भाजपा को ऐसा कोई नेता नहीं मिला था,जो आरोपों को अपने फायदे में इतनी सफलता से बदल सकने की क्षमता रखता था। लेकिन नरेन्द्र मोदी ने तो जैसे इस में पूरी विशेषज्ञता हासिल कर ली है। इसकी शुरुआत गुजरात से हुई थी। याद कीजिए जब श्रीमती सोनिया गांधी ने गुजरात के विधानसभा चुनाव में मोदी पर मौत का सौदागर होने का आरोप लगाया था। ये मोदी का ही जादू था कि इसी आरोप को उन्होने इस खुबसूरती से मोडा कि चुनाव पूरी तरह उनके पक्ष में हो गए।
वर्तमान लोकसभा चुनाव के प्रचार अभियान को देखिए। शुरुआती दौर में एक विरोधी नेता ने उन्हे चाय बेचनेवाला बोल कर उनकी हंसी उडाने की कोशिश की। बस मोदी को मौका मिल गया। पूरे देश भर में मोदी की चाय पर चर्चा शुरु हो गई। आरोप लगाने वाला समझ ही नहीं पाया,कि यह क्या हो गया। इसके बाद लगातार मोदी पर आरोप लगाए गए और मोदी फायदा लेते गए। प्रचार अभियान में वह दौर भी आया,जब मोदी द्वारा प्रियंका को बेटी समान कहे जाने के आरोप लगाए गए। बात यहीं खत्म नहीं हुई,प्रियंका ने इस पर अपनी टिप्पणी भी कर दी। लेकिन यह राज बाद में उजागर हुआ कि मोदी ने ऐसी कोई बात कही ही नहीं थी। दूरदर्शन द्वारा नरेन्द्र मोदी के इंटरव्यू में जो कांट छांट की गई,उसका भी अप्रत्यक्ष लाभ आखिरकार मोदी को ही मिला। बाद में हर चैनल ने इंटरव्यू के वे अंश दिखाए जो काट दिए गए थे।
सबसे ताजा और मजेदार मुद्दा तो नीच राजनीति का है। अब हर अखबार में खबरें है कि मोदी ने जाति का दांव खेला है। लेकिन ये मौका आखिर मोदी को दिया किसने? प्रियंका जी नीच राजनीति के बजाय ओछी राजनीति भी कह सकती थी। पहली बार मोदी देश को बता रहे है कि वे पिछडी और अति पिछडी जाति के है। कांग्रेस तो परेशान है ही, पिछडी जातियों की एकमात्र खैरख्वाह होने का दावा करने वाली बहन जी की घबराहट भी बढ गई है। अब सभी को खतरा महसूस हो रहा है कि अगडों का पार्टी कहलाने वाली भाजपा यदि पिछडों की पार्टी भी बन गई,तो उन सब का क्या होगा?
बहरहाल अब भाजपा को संतुष्ट हो जाने का पर्याप्त कारण है कि नरेन्द्र मोदी उनके प्रधानमंत्री पद के दावेदार है,जो अन्य पार्टियों को उन्ही के दांव पेंच से पटखनी देने में सक्षम है। वरना इससे पहले के तमाम नेता राजनीति के इन तौर तरीकों से न तो वाकिफ थे और ना ही इन तौर तरीकों का उपयोग कर पाते थे। शायद यही वजह रहा करती थी कि तमाम योग्यताओं के बावजूद पार्टी सफलता से दूर रह जाया करती थी। नरेन्द्र मोदी जाति नहीं योग्यता के दम पर प्रधानमंत्री बन रहे है,लेकिन विरोधियों को उन्ही के तौर तरीकों से पटखनी देने में भी सक्षम है।

You may have missed

Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds

Patel Motors

Demo Description


Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds