May 7, 2024

बच्ची की वजह से टली मां अनामिका की दीक्षा, पिता सुमित की हुई

नीमच,सूरत,23 सितम्बर (इ खबरटुडे)। नीमच के दंपती सुमित राठौर और उनकी पत्नी अनामिका शनिवार सुबह सूरत में दीक्षा लेने वाले थे। लेकिन देर रात मानव अधिकार आयोग की टीम वहां पहुंची और अनामिका से उनकी ढाई साल की बेटी इभ्या को लेकर बात की।

इस पर उन्होंने टीम अपने भाई द्वारा इभ्या को गोद लेने वाले दस्तावेज टीम को दिखाए, लेकिन वो नहीं माने। इस वजह से अनामिका की दीक्षा रोक दी गई और सुबह सुमित को दीक्षा दी गई।

सुमित राठौर बेहद सामान्य तरीके से दीक्षा ली, इस दौरान 13 जैन मुनि और 41 सतियां वहां मौजूद रहे। राठौर परिवार के सदस्य और रिश्तेदार भी वहां मौजूद थे। नीमच सिटी उप नगर के वरिष्ठ नागरिक व करोड़ों की संपत्ति के मालिक नाहरसिंह राठौर के पौत्र सुमित और उनकी पत्नी अनामिका की दीक्षा विरोध हो रहा था। करोड़ों की संपत्ति के साथ 2 साल 10 माह की बेटी इभ्या के त्याग के कारण उनकी दीक्षा को लेकर देशभर में चर्चा हो रही थी। कई लोग दीक्षा का प्रतिकार कर रहे थे।

बेटी की परवरिश का हवाला देकर सोशल मीडिया और कानूनी तौर पर विरोध हो रहा था। शनिवार सुबह करीब 7.15 बजे दीक्षा की शुरुआत हुई। बेहद सामान्य और गरीमापूर्ण तरीके से सुबह करीब 8.30 बजे जैन भगवती दीक्षा पूर्ण हुई।

16 राज्यों के सदस्य पहुंचे
सूरत श्रीसंघ के अनुसार दीक्षा के साक्षी बनने के लिए शुक्रवार तक करीब 16 राज्यों के करीब 4 हजार से ज्यादा लोग पहुंचे। वहीं राठौर परिवार के सदस्यों के अतिरिक्त नीमच से भी 200 से ज्यादा लोग सूरत पहुंचे।

इभ्या की कानूनी जिम्मेदारी ली
सुमित व अनामिका की दीक्षा के पूर्व ननिहाल पक्ष ने बेटी इभ्या की जिम्मेदारी कानूनी तौर पर संभाल ली। अनामिका के पिता अशोक कुमार चंडालिया और पत्नी लाड़ देवी सहित अन्य परिजनों ने वैधानिक रूप से गोद लेने की प्रक्रिया पूर्ण की है।

करोड़ों के वैभव में दादा के सहयोगी रहे हैं सुमित
100 करोड़ से ज्यादा के वैभव में राजदार सुमित रहे हैं। यह खुलासा खुद सूरत श्रीसंघ से चर्चा में उनके दादा नाहरसिंह राठौर ने किया। श्रीसंघ के सदस्यों की मानें तो नीमच के करोड़ों के कारोबार की देखरेख दादा करते हैं। उनके अतिरिक्त तिजोरी की चाबियां सहित अन्य जानकारी सिर्फ सुमित को थी। परिवार के शेष सदस्य दादा के साथ इस तरह कभी राजदार नहीं रहे। यहां तक कि पिता और चाचा को भी इतना अधिकार व स्नेह नहीं मिला। दादा के चहेते होने के कारण सुमित को सभी अधिकार प्राप्त थे।

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