वैश्विक समस्याओं का समाधान बनेगा एससीओ
-चन्द्रमोहन भगत
बीते सफ्ताह गोवा में दो दिवसीय शंघाई सहयोग संगठन ‘एससीओ, देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक आयोजित हुई थी । इसमें चीन रूस भारत पाकिस्तान सहित कई देशों के विदेश मंत्री शामिल हुए थे । बैठक में विभिन्न अंतरराष्ट्रीय क्षेत्रीय समस्या ग्लोबल वार्मिंग जैसे विषय पर चर्चा की गई थी। इस बैठक के संदर्भ में विदेश मामलों के जानकार दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सुधीर सिंह ने चर्चा में बताया कि प्राथमिकताओं को लेकर पर्यावरण तक में बदलाव समय अनुकूल आता रहा है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद राष्ट्रों के समूह बन शक्ति केंद्र बनने लगे पहले दो ध्रुवीय व्यवस्था स्थापित होने लगी फिर बहु ध्रुवीय व्यवस्था ने आकार ले लिया ।बावजूद इसके अभी भी विश्व में अमेरिका प्रभावशाली बना हुआ है और इसका मुकाबला करने के लिए विकासशील देशों को एक होकर अपनी क्षमताओं को बढ़ाकर चुनौती देने लायक बनना होगा ।
शंघाई सहयोग संगठन इस मामले में एक बड़ा मंच साबित होगा जो भारत चीन रूस व अन्य विकासशील देशों को एक मंच पर खड़ा करने में सफल हुआ है । एससीओ को और अधिक ताकतवर बनाने के लिए आपस में व्यापार बढ़ाना होगा साथ ही सांस्कृतिक शैक्षणिक आदान-प्रदान को लगातार बढ़ावा देना होगा। यही एससीओ विश्व के जलवायु परिवर्तन की विकराल होती समस्या से भी लड़ने का एक प्रगतिशील मंच साबित होगा। क्योंकि पूरा विश्व जानता है कि बीते दशक में जलवायु परिवर्तन के कारण मानव जीवन की समस्याएं लगातार बढ़ती जा रही है इसी कारण बड़ी संख्या में मनुष्य जीवन प्रभावित हो रहा है। ऐसे हालातों में भी भारत और चीन औद्योगिक स्तर पर तेजी से प्रगति कर रहे हैं तब मानव जीवन के प्रति इनकी जिम्मेदारियां भी अधिक होती जाएगी ।ऐसे ही वैश्विक मुद्दों के लिए एससीओ एक महत्वपूर्ण संगठन बना हुआ है ।
जहां तक भारत चीन के संबंधों का सवाल है दोनों देशों को आपस में एक दूसरे का सहयोग करना चाहिए कुछ कड़वे प्रसंग भुलाकर ,आपसी सहयोग एक दूसरे का सम्मान करते हुए आगे बढ़ना चाहिए । प्रोफेसर सुधीर सिंह आगे कहते हैं कि दक्षिणी देशों को अमेरिकी प्रभुत्व से टकराना है तो आपसी एकता का सार्वजनिक इजहार जरूरी है । हालांकि एससीओ पिछले दो दशकों में अपनी एकता और प्रभुत्व को स्थापित करने में प्रगति कर रहा है और भविष्य में वैश्विक चुनौतियों से मानव संरक्षण के लिए मजबूती से सुरक्षा देने वाला संगठन कहलाएगा ।ऐसे में सदस्य राष्ट्रों के नागरिकों को मिलने वाली राहत सभी मानव जगत को भी उपलब्ध रहेगी ।ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्या से जल्द और प्रभावी निजात पाने के लिए दुनिया भर के राष्ट्र नायकों को अपने देशवासियों के साथ युद्धस्तर पर जागरूकता अभियान चलाना होगा तभी प्रकृति के प्रति जिम्मेदार होने की अनुभूति मिलेगी ।