Raag Ratlami Transport Dept : वाहनों वाला महकमा और खतरे में पडती मासूम बच्चों की जिन्दगियां
-तुषार कोठारी
रतलाम। मुद्दा वाहनों वाले महकमे का है। वाहनों वाला महकमा सड़कों पर दौडने वाले तमाम वाहनों के रजिस्ट्रेशन से लगाकर,ड्राइविंग लाइसेंस,वाहनों के परमिट,फिटनेस जैसे कामों के लिए बनाया गया है। वैसे तो ये महकमा शुरुआत से ही जबर्दस्त मलाईदार महकमा माना जाता है,लेकिन जब से इस महकमे में अभी वाले साहब आए है,इस महकमे की मलाई और ज्यादा बढ गई है। साहब मलाई बढाने और उसे खपाने में व्यस्त है। लेकिन साहब की मलाई खाने की आदत कभी भी मासूम बच्चों की जिन्दगियों को दांव पर लगा सकती हैै।
ये सवाल पूछा जा सकता है कि वाहनों वाले महकमे के साहब का मासूम बच्चों की जिन्दगियों से क्या वास्ता हो सकता है? इस सवाल का जवाब जानने के लिए महकमे के कामों पर नजर डालना पडेगी। वाहनों वाले महकमे का एक बेहद अहम काम ये है कि सड़कों पर दौडने वाले व्यावसायिक वाहनों की हालत पर नजर रखना। यानी वाहनों की फिटनेस चैक करना और उनके फिट होने का परवाना जारी करना।
व्यावसायिक वाहनों मेंं सड़कों पर दौडने वाले ट्रक,मिनी ट्रक दूसरी तरह के लोडिंग वाहनों के साथ साथ यात्री वाहन भी आते है। यात्री वाहनों में एक शहर से दूसरे शहर जाने वाली बसें,टेम्पो,मैजिक,जीपें वगैरह तो शामिल है ही,स्कूल में पढने वाले बच्चों को घरों से स्कूल तक ले जाने वाली बसें भी इसमें शामिल है।
महकमे के अभी वाले साहब नाम से तो रोशनी फैलाने वाले और कश्ती को पार कराने वाले है,लेकिन महकमे की जानकारी रखने वालों का कहना है कि उनके रहते महकमे की कश्ती पार होने की बजाय डूबने जैसी होने लगी है। महकमे से जिस किसी को काम पडता है उसे रोशनी की बजाय अंधेरा ही अंधेरा नजर आता है और ये अंधेरा दूर करने के लिए हर किसी को भारी कीमत चुकानी पडती है।
वाहनों वाले महकमे की जानकारी रखने वाले तमाम लोगों को पता है कि वाहनों की फिटनेस जारी करना,इस महकमे का सबसे ज्यादा मलाईदार काम है। जिले में हजारों वाहन है,जिन्हे हर साल फिटनेस लेना पडती है। वाहन वाले महकमें के साहब ने रतलाम में आते ही फिटनेस की फीस दुगुनी कर दी। जिले के तमाम वाहन मालिक हैरान तो हुए लेकिन उनके सामने और कोई चारा नहीं था। नतीजा ये हुआ कि तमाम वाहन मालिक अब दुगुनी फीस देकर फिटनेस ले रहे है।
अब सवाल आता है मासूम बच्चों की जिन्दगियों का। चूंकि महकमे के साहब फिटनेस के लिए दुगुनी फीस वसूल रहे है,इसलिए फिटनेस जारी करते वक्त वो फिटनेस तो देखते ही नहीं। उनकी नजर सिर्फ फीस पर लगी रहती है। यही वजह है कि तमाम गाडियों को फीस देते ही फिटनेस मिल जाती है।
शहर के तमाम भारी भरकम फीस वसूलने वाले स्कूलों के पास खुद की बसें है। हांलाकि ज्यादातर स्कूल वाले सेकण्डहेण्ड बसें खरीद लाते है,ताकि कम खर्चे में काम निकल सके। यानी कि ज्यादातर स्कूलों में लगी बसें बरसों पुरानी हो चुकी है। स्कूल वालों को भी अपनी बसों की फिटनेस के लिए दुगुनी फीस देना पडती है। लेकिन उन्हे पता है कि दुगुनी फीस चुका देने के बाद बस की हालत पर कोई सवाल खडा नहीं होगा और फिटनेस आसानी से मिल जाएगा।
कुल मिलाकर शहर में नन्हे बच्चों को स्कूलों तक पंहुचाने वाली ज्यादातर बसें कण्डम हालत में पंहुची हुई है,लेकिन वाहन वाले महकमे ने उन्हे फिटनेस देकर चाक चौबन्द करार दे रखा है।
एक डेढ महीने बाद स्कूल चालू होने वाले है। स्कूली बच्चों को ढोने वाली कण्डम बसें फिर से सडकों पर दौडने लगेगी। इन बसों की जर्जर हालत कभी भी मासूम बच्चों की जिन्दगियों को खतरे में डाल सकती है। लेकिन वाहन वाले महकमे के साहब मलाई चाटने में व्यस्त रहने वाले है। पिछले सालों में इस महकमे ने किसी भी स्कूली बस को अनफिट करार नहीं दिया है। ऐसे में बच्चों की जिन्दगियों पर खतरा मण्डराना तय है।
शहर सरकार ने रखे कायदे कानून ताक पर….
जमीनों की हेराफेरी में वल्र्ड रेकार्ड हासिल करने तक की करामातें दिखा चुके जमीन के जादूगर ने फिर नया कारनामा करके दिखा दिया। खुद को राजाओं का इन्द्र बताने वाले जमीन के जादूगर का पहला कमाल तो ये था कि उसने डोंगरे नगर में एक बडी सी जमीन कौडियों के दाम पर एक नकली संस्था के नाम पर शहर सरकार से हासिल कर ली।जिस नकली संस्था के नाम पर जमीन दी गई,उस नाम की कोई संस्था शहर तो क्या पूरे सूबे में ही नहीं थी। इस मामले की चर्चाएं सामने आई,तो उस नकली संस्था ने ये जमीन एक दूसरी संस्था को किराये पर दे दी और नई संस्था ने बोधि नाम का स्कूल चालू कर दिया। सारे मामले की शिकायत सूबे की राजधानी तक पंहुची और आखिरकर जांच के बाद जमीन के जादूगर और शहर सरकार के अफसरो के खिलाफभ्रष्टाचार और धोखाधडी के फौजदारी मामले भी दर्ज हो गए।जादूगर को अपनी जादूगरी पर इतना भरोसा है कि फौजदारी मामला दर्ज होने के बाद भी उसके माथे पर शिकन तक नहीं आई। वैसे भी शहर सरकार के अफसर पूरी तरह उसके काबू में है इसलिए फौजदारी मामला दर्ज होने के बावजूद शहर सरकार ने स्कूल वाली जमीन की लीज तक खारिज नही की। जमीन के जादूगर का नया कमाल ये है कि फर्जीवाडे वाली इस जमीन पर अब नई ईमारतें तानी जा रही है। शहर सरकार के अफसरों ने बाकायदा इसकी इजाजत भी दे दी है। सवाल ये पूछा जा रहा है कि जिस मामले में जादूगर को जेल भेजा जाना है,उस जमीन पर इमारत बनाने की इजाजत अफसरों ने कैसे दे दी? शहर सरकार के अफसरों को इससे कोई फर्क नहीं पडता कि कायदे कानून का क्या होगा। उन्हे तो केवल अपनी कमाई से वास्ता होता है। यही वजह है कि कायदे कानून को ताक पर रख कर उन्होने इजाजत दे दी।