Raag Ratlami Loud Speaker : सूबे के मुखिया ने दिया भोंगले हटाने का फरमान,अफसरों के डर ने फरमान पर पानी फेरा/वर्दी वालो को सता रहा सजा का डर
-तुषार कोठारी
रतलाम। सूबे के नए मुखिया ने सूबे की कमान सम्हालते ही जो पहला फरमान जारी किया,उससे सूबे के करोडों लोग खुश हो गए। फरमान इबादतगाहों के भोंगले हटाने का था। इस फरमान के जारी होते ही लोगों को लगा कि सुबह सुबह पांच बजे कानों में पडने वाली कानफोडू आवाजों से अब मुक्ति मिल जाएगी। लेकिन जिला इंतजामिया ने लोगों की इस खुशी पर लगता है कि पानी फेर दिया है।
राजधानी से जारी हुए फरमान में दो बातें कही गई थी। पहली ये थी कि बिना इजाजत लगे तमाम भोंगलों को तुरंत हटा दिया जाए। दूसरी ये थी कि तमाम धर्मगुरुओं से बात करके उन्हे भोंगलों की आवाज कम करने की हिदायत दी जाए। असल में ये सारे फरमान तो देश की सबसे बडी अदलिया ने 18 साल पहले 2005 में ही जारी कर दिए थे। लेकिन अफसरों के नाकारापन और सरकारों के निकम्मेपन के चलते सबसे बडी अदालत के फैसले पर कभी अमल ही नहीं हुआ था। सरकार और अफसर दोनो को सबसे बडी अदालत के आदेश का पालन करवाने में एक अनजाना सा डर लगा करता था।
सूबे के नए मुखिया को ऐसा कोई डर नहीं था,इसलिए उन्होने सीधे सीधे भोंगले हटाने का फरमान जारी कर लोगों का दिल जीत लिया। लेकिन अफसरों का डर अभी भी गया नहीं है। अफसरों ने बिना इजाजत वाले भोंगलों को हटाने वाली बात तो भुला दी,दूसरी वाली धर्मगुरुओं से बात करने वाली बात याद रखी। जिला इंतजामिया के बडे साहब ने अपने तमाम मातहतों को उनके इलाकों के धर्मगुरुओं से बात करने का आदेश दे दिया और सभी जगह धर्मगुरुओं की बैठके हो गई। कई जगहों के भोंगले हटा भी दिए गए।
लेकिन सबसे बडी समस्या शहर की थी,जहां जालीदार गोल टोपी वालों की इबादतगाहों में सुबह पांच सवा पांच से ही भोंगले चीखने लगते है और फिर हर दिन,दिन में पांच बार में ये शोरगुल चलता रहता है। इन सभी इबादतगाहों पर लगे भोंगले बिना किसी इजाजत के मनमर्जी से लगे हुए है। अब तक अफसरों को लगने वाले डर की वजह से इन भोंगलों को हटाने के बारे में सोचा तक नहीं जाता था। सूबे के मुखिया के फरमान के हिसाब ने बिना इजाजत लगे इन तमाम भोंगलों को तुरंत हटा दिया जाना था,लेकिन अफसरों ने इजाजत वाली बात गोल कर दी और धर्मगुरुओं की मीटींग लेकर उन्हे आवाज कम करने की सलाह दे डाली। बैठक में आए दाढी वाले धर्मगुरुओं ने इस पर अपनी रजामन्दी भी जता दी। जिला इंतजामिया के अफसर खुश हो गए कि चलो सूबे के मुखिया द्वारा जारी फरमान पर अमल हो गया है।
लेकिन शहर के लोगों की समस्या जस की तस है। सुबह पांच सवा पांच बजे से भोंगले बदस्तूर चीख रहे है। फरमान जारी हुए को चार दिन गुजर गए है,लेकिन भोंगलों की चीख लगातार जारी है। दिखाने के लिए आवाज थोडी सी कम की जाती है,फिर बढा दी जाती है। जबकि सबसे बडी अदालत के आदेश के मुताबिक रात दस बजे से सुबह 6 बजे के बीच में तो किसी भी हालत में भोंगले बजाए ही नहीं जा सकते। अगर रात 10 से सुबह 6 बजे के बीच में भोंगले बजाए जाते है,तो उन्हे फौरन जब्त कर लिया जाना चाहिए। शहर में ना तो एक भी भोंगला जब्त हुआ है और ना ही सुबह 6 बजे से पहले बजने वाले भोंगले चुप हुए हैैं। आवाज कम किए जाने का दावा भी दमदार साबित नहीं हो रहा है।
ये हाल तब है जब जिला इंतजामिया के तमाम अफसरों के बंगलों में भोंगलों की आवाज सबसे तेज आती है। इसके बावजूद अफसर नियमो का पालन करवाने में कमजोर साबित हो रहे है। लगता है सूबे के मुखिया को ही डरे हुए अफसरों का डर दूर करवाना पडेगा। शायद तभी सुबह सुबह होने वाली परेशानी से लोगों को निजात मिल सकेगी।
वर्दी वालों को सता रहा सजा का डर..
वर्दी वालों के नए कप्तान,जब से जिले में आए है,तमाम वर्दी वाले हर हफ्ते मिलने वाली सजाओं से डरे हुए है। कप्तान ने सारे वर्दी वालों को डेली डायरी लिखने का फरमान दिया है और इस डायरी में रोजाना की जाने वाली कार्यवाही को दर्ज करने का आदेश दिया है। वर्दी वालों को रोजाना किसी ना किसी को पकडने का हुक्म है। चाहे कोई गडबड हुई हो या ना हुई हो।
हुक्म ये है कि खुले स्थान पर मैकशी करने वालों के खिलाफ खासतौर से कार्रवाई की जाए। इसका असर ये है कि हर दिन जिले के थानों में दर्ज होने वाले सारे मामलों में से दो तिहाई मामले सार्वजनिक स्थान पर मदिरापान करने या अवैध मदिरा का विक्रय करने के ही दर्ज हो रहे है। इनमें भी सार्वजनिक स्थान पर मदिरापान करने वाले मामलों की तादाद ही ज्यादा है। कई थानों पर तो वर्दी वाले बुला बुलाकर मामले दर्ज करने लगे है ताकि सजा से बच सके।
सजा देने में कप्तान का कोई सानी नहीं है। कोई हफ्ता ऐसा नहीं गुजरता जब कप्तान पचास मातहतों को निन्दा की सजा ना देते हो। वे जब से आए है,उनका सजा देने का आंकडा हजार को भी पार कर गया होगा। वर्दी वाले दबी जुबान में बोलने लगे है कि वसूली भी केन्द्रीकृत हो गई है। पहले वसूली के काम थानों के माध्यम से होते थे,लेकिन अब इस व्यवस्था को भी बदल दिया गया है। मदिरा दुकानों के नजराने सीधे उपर जाने लगे है।
कप्तान ने एक और जबर्दस्त बदलाव किया है। अपराधों पर अंकुश नहीं लग पाया तो उन्होने सूचनाओं पर अंकुश लगा दिया,ताकि अपराध भले ही काबू में ना आए,उनकी संख्या जरुर कम नजर आए। इसके लिए उन्होने नायाब तरीका इजाद किया है। पहले थानों पर दर्ज होने वाले तमाम मामलों की जानकारी खबरचियों तक भेजी जाती थी। आजकर खबरचियों को जो जानकारी भेजी जाती है उसमें बडे मामले हटा दिए जाते है।
चोरी,लूट,बलात्कार जैसे अपराधों की जानकारी हटा कर साधारण विवाद,सार्वजनिक स्थान पर मदिरा पान और जुए सïट्टे के मामले ही खबरचियों तक भेजे जाते है,ताकि चोरी लूट जैसी वारदातों की खबर सामने ही ना आ पाए। कुल मिलाकर चोरी चकारी और गंभीर अपराधों के ममालों में कोई कमी नहीं है। वर्दी वाले मदिरापान करने वालों के पीछे पडे है ताकि सजा से बच सके। उनकी सारी उर्जा सजा से बचने में खर्च हो रही है,तो अपराधियों की मौज है।
सरकारी जमीन हडपने की नई साजिश
खुद को राजाओं का इन्द्र समझने वाला जमीन का जादूगर फिर से एक नई सरकारी जमीन हडपने के खेल में लग गया है। जमीन के जादूगर ने स्ट्रा बोर्ड की सरकारी जमीन हडपने के लिए पैैंतीस साल पुराने एक एग्र्रीमेन्ट के नाम पर अखबारों में नोटिस छपवाया है कि सरकारी जमीन को खरीदने का एग्र्रीमेन्ट उसके पास है। सवाल ये है कि 35 साल पुराने एग्र्रीमेन्ट को अब सामने लाने के पीछे क्या राज है? जिसने एग्र्रीमेन्ट किया था,उसकी मौत भी सालों पहले हो गई है। जमीन का जादूगर अब कौन सी जादूगरी दिखाने के चक्कर में है,इस पर सभी की निगाहें लगी हुई है।