Raag Ratlami Election : जिले की चार सीटों पर बागी बिगाड सकते है पंजा पार्टी का गणित, फूल छाप वाले हुए “फूल कर कूप्पा”
-तुषार कोठारी
रतलाम। सूबे की सरकार बनाने की प्रक्रिया अब जोर पकड चुकी है। जिले की पांचोा सीटों के चुनावी अखाडे की तस्वीरें साफ हो गई है। दोनो पार्टियों के योद्धाओं के नाम सामने आने के बाद और चार सीटों पर पंजा पार्टी के बागियों के मैदान में उतरने के बाद पलडा फूल छाप की तरफ झुकता हुआ दिखाई देने लगा है।
शहर में कोई कन्फ्यूजन नहीं
जैसा कि पहले से तय था कि रतलाम शहर की चुनावी तस्वीर सबसे ज्यादा साफ है। फूल छाप ने तो पहले से “भैयाजी” को मैदान में उतार दिया था। सारी अटकलें पंजा पार्टी के लिए लग रही थी। जैसे ही पंजा पार्टी की तरफ से “दादा” का नाम सामने आया,सारी तस्वीर पूरी तरह साफ हो गई। पहले तो लगा था कि शहर में चुनाव होते हुए भी नहीं दिखेगा,लेकिन भला हो पंजा पार्टी के युवा पहलवान का,जिसकी बदौलत पंजा पार्टी मैदान में नजर आ रही है। हांलाकि नतीजों को लेकर शहर में किसी को भी कोई कन्फ्यूजन नहीं है। फूल छाप वाले अभी से जश्न की तैयारियां करने को बेताब हो रहे है।
रतलाम शहर के अलावा जिले की बाकी की चारों सीटों का सीन पिछले दिनों में बडी तेजी से बदलता हुआ नजर आया है। छह आठ महीनों पहले ज्यादातर लोगों को लग रहा था कि इन चारों सीटों पर फूल छाप को करारी टक्कर मिलेगी जो शिकस्त तक पंहुच जाएगी,लेकिन जैसे ही दोनो पार्टियों के लडाकों के नाम सामने आए,सीन बदलने लगे। अब ये माना जा रहा है कि इन चारों सीटों पर फूल छाप को बडी आसानी होने वाली है। कमोबेश चारों सीटों पर मजबूत बागी अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहे है और ये पंजा पार्टी के लिए समस्या बन रहे है। इतना ही नहीं नवाबी नगरी जावरा में एन वक्त पर टिकट बदल कर पंजा पार्टी ने अपनी और किरकिरी करवा ली है।
टिकट बदलने से बढी दिक्कतें…
जावरा में फूल छाप ने तो पहले वाले डाक्टर सा. को ही मैदान में उतारा है। दूसरी तरफ पंजा पार्टी ने पहले जनपदी नेता रहे एक वकील सा को टिकट दिया था,लेकिन जब पार्टी में बवाल मचा तो जिला पंचायती नेता रहे आलोट के वकील सा.को टिकट थमा दिया। पंजा पार्टी में हुए इस उलटफेर ने पंजा पार्टी के लिए कई सारी दिक्कतें खडी करना शुरु कर दी है। जनपदी नेता रहे वकील सा. का टिकट काटने से उनकी नाराजगी का नुकसान तो है ही,आलोट वाले वकील सा. के आने से करणी माता के नाम पर नेतागिरी करने वाले “दरबार” की नाराजगी भी खतरनाक हो चुकी है। करणी माता वाले “दरबार” ने तो निर्दलीय मैदान में उतरने की ताल भी ठोंक दी है। इस तरह पंजा पार्टी को दो तरफा नुकसान झेलना पड सकता है। यही सब देखकर फूल छाप वाले खुश दिखाई देने लगे है।
आलोट में इन्दौरी भैया का झटका…
जावरा से आगे आलोट का किस्सा भी इसी तरह का है। यहां पंजा पार्टी ने पहले वाले माननीय को ही दोबारा मैदान में उतारा है। यहां सबकी नजरें फूल छाप पर थी कि फूल छाप किसे मैदान में उतारेगी? ज्यादा चर्चा महामहिम के सुपुत्र को लेकर थी। महामहिम के सुपुत्र को लेकर फूल छाप में अंदरुनी नाराजगी भी काफी थी,ऐसे में माना जा रहा था कि अगर उन्हे टिकट मिल जाता तो फूल छाप की दिक्कतें काफी बढ सकती थी। लेकिन फूल छाप ने उज्जैन वाले प्रोफेसर सा. को मैदान में उतारकर ऐसा मास्टर स्ट्रोक मारा कि आलोट फूल छाप के लिए आसान हो गया।
इतना ही काफी नहीं था,तो किसी जमाने में इन्दौर से यहां आकर पंजा पार्टी के टिकट पर चुनाव लड चुके इन्दौरी “गुड्डू भैया” दोबारा से मैदान में उतर गए। “गुड्डू भैया” ने पंजा पार्टी से टिकट मांगा था,लेकिन जब उनकी मांग पूरी नहीं हुई तो उन्होने भी मैदान में निर्दलीय बनकर ताल ठोक दी है। इस तरह आलोट भी पंजा पार्टी के लिए बेहद कठिन हो गया है।
सैलाना-“जय जोहार” ने बढाई मुसीबत
जिले की आदिवासी अचल वाली सैलाना सीट पर पंजा पार्टी के गुड्डू भैया और फूल छाप वाली मैडम फिर से आमने सामने आ गए है। लेकिन यहां “जय जोहार” वालों का दबदबा बढता जा रहा है। जिल के पिछले पंचायती चुनाव में जय जोहार वाली पार्टी जबर्दस्त कमाल दिखा चुकी है। उस चुनाव में पंजा पार्टी और फूल छाप दोनो को करारी हार का सामना करना पडा था। इस चुनाव में भी “जय जोहार” वालों ने अपने युवा नेता को मैदान में उतार दिया है। ज्यादातर लोगों का मानना है कि “जय जोहार” वालों की मौजूदगी सीधे सीधे पंजा पार्टी को नुकसान पंहुचाती दिख रही है।
देहाती सीट पर डाक्साब का डर…
लगभग यही हाल रतलाम की देहाती सीट का भी हो रखा है। यहां तो पंजा पार्टी वालों ने जनपद की अफसरी छोडकर आए नेताजी को उतारा है जबकि फूल छाप ने पुराने वक्त में “माननीय” रह चुके “बासाब” को दोबारा से मैदान में उतार दिया । यहां पर भी पंजा पार्टी के लोग अपने लडाके की खिलाफत यह कहकर कर रहे थे कि वो बाहरी आदमी है। पुतले भी जलाए गए।
पंजा पार्टी की रही सही कसर “जय जोहार” वालों के डाक्साब ने पूरी कर दी। सरकारी अस्पताल के ये डाक्साब पिछले लम्बे वक्त से नेताजी बनने में लगे हुए थे। उन्होने दोस्ती तो जय जोहार वालों से की,लेकिन टिकट की दावेदारी फूल छाप और पंजा पार्टी दोनो से की। जब दोनो ही पार्टियों ने टिकट देने से इंकार कर दिया तो अब वो जय जोहार कहते हुए मैदान मेंं उतर गए है। इसके बाद देहात वाली सीट पर भी फूल छाप वाले “फूल कर कूप्पा “हो रहे है।
कुल मिलाकर पंजा पार्टी के लडाकों के मैदान में आने के बाद पूरे जिले में फूल छाप वाले खुश नजर आ रहे है जबकि पंजा पार्टी वालों के चेहरों पर चिन्ता की लकीरें दिखाई देने लगी है।