November 14, 2024

विद्यार्थी की आकस्मिक मृत्यु के बाद परिवार को शिक्षा ऋण लौटाने से राहत

भोपाल 18 अगस्त(इ खबरटुडे) राज्य मंत्रि-परिषद ने शिक्षा ऋण लेने वाले ऐसे परिवारों के लिए राहत का महत्वपूर्ण फैसला लिया है जिनकी संतान किसी दुर्घटना या अन्य वजह से असामयिक मृत्यु का शिकार हो जाती है। राज्य शासन और बैंक ऐसे विद्यार्थी के नाम से लिए गए ऋण की राशि अदा करेंगे और शिक्षा ऋण लौटाने का जिम्मा उस परिवार पर नहीं होगा। इस तरह राज्य के कई ऐसे परिवार जो संतान के निधन की पीड़ा उठा चुके हैं, कम से कम आर्थिक बोझ से बच जायेंगे। स्थायी अपंगता के मामलों में भी योजना लागू होगी।

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में आज हुई मंत्रि-परिषद की बैठक में निर्णय लिया गया कि भारत सरकार की सामाजिक सुरक्षा की दृष्टि से शुरू की गई दो नवीन बीमा योजना में ऋण लेने वाले विद्यार्थी को जोड़ा जायेगा। प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना और प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना का सालाना प्रीमियम क्रमश: 12 और 330 रुपये है। सामान्य शिक्षा ऋण की अवधि 7 से 12 साल तक होती है। औसतन 10 साल के लिए किसी भी विद्यार्थी पर कुल 3,420 रुपये का भार ही आयेगा। दोनों बीमा पॉलिसी से कुल 4 लाख रुपये का बीमा कवर मिल जायेगा।

वर्तमान में प्रचलित शिक्षा ऋण खातों तथा भविष्य में स्वीकृत होने वाले शिक्षा ऋण के प्रकरणों में बैंकों द्वारा ऐसे विद्यार्थी का उक्त दोनों योजना में बीमा सुनिश्चित किया जायेगा। यदि किसी विद्यार्थी की आकस्मिक मृत्यु होती है तो बीमा योजनाओं में दावा प्राप्त होने के बाद एनपीए की दिनांक पर शेष बची राशि की 50 प्रतिशत राशि राज्य सरकार बैंक को अनुदान के रूप में उपलब्ध करवायेगी। शेष 50 प्रतिशत राशि बैंक माफ करेगा। योजना में प्रावधान किया गया है कि बैंक द्वारा ऐसा प्रकरण राज्य शासन के संज्ञान में लाने के लिये 60 दिवस के भीतर राशि बैंक को उपलब्ध करवाने के प्रयास किये जायेंगे। यह सुविधा सिर्फ ऐसे प्रकरणों में ही लागू होगी जहाँ विद्यार्थी का जीवन बीमा नहीं हुआ है। यदि शिक्षा ऋण के विरुद्ध बैंक द्वारा विद्यार्थी का जीवन बीमा करवाया गया है, तो ऐसे ऋण का सेटलमेंट बैंक द्वारा जीवन बीमा के दावे से प्राप्त होने वाली राशि से किया जायेगा। प्रावधानों में स्पष्ट किया गया है कि योजना सिर्फ विद्यार्थी की असामयिक मृत्यु एवं स्थायी अपंगता के प्रकरणों में ही लागू होगी।

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