June 19, 2024

विपक्ष का न होना ठीक वैसा ही है, जैसा कि बिना नमक का खाना’

राजनीतिक परिदृश्य पर श्रवण गर्ग का व्याख्यान

रतलाम 3 सितम्बर  (इ खबरटुडे)। राजनीतिक रूप से विपक्ष का होना जरूरी है। विपक्ष का न होना ठीक वैसा ही है, जैसा कि बिना नमक का खाना। वर्तमान कभी भविष्य नहीं रहता। देश की जनता केे मन में क्या चल रहा है, यह पता नहीं लगाया जा सकता। हमारी प्रवृत्ति इंस्टेंट की होने लगी है। हम इंतजार नहीं करना चाहते। यह व्यवहार ही राजनीति में रिफ्लेक्ट हो रहा है।

ये विचार महाराष्ट्र समाज के तत्वावधान में 85वें सार्वजनिक गणेशोत्सव में स्टेशन रोड स्थित समाज भवन में आयोजित व्याख्यान में ‘नईदुनिया” के प्रधान संपादक श्रवण गर्ग ने व्यक्त किए। वे ‘भारत का वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य : संभावनाएं व चुनौतियां” विषय पर संबोधन दे रहे थे।

उन्होंने कहा कि आमजन देश में भावनात्मक, मानसिक, आर्थिक रूप से सुरक्षित रहना चाहता है। जनता की राजनीतिक स्मरण शक्ति कमजोर है। हम पड़ोसी का कहा याद रखते हैं, लेकिन राजनीतिक आपदा भूल जाते हैं। देश में जनता ने आपातकाल और इंदिरा गांधी की हत्या के बाद पैदा हुई सहानुभूति दोनों को भुला दिया। खुश रहने पर आदमी बोलना बंद कर देता है, यह खतरनाक है। इससे व्यवस्था प्रजातंत्र के नाम पर तानाशाही में बदल जाती है। इसे लोकतांत्रिक तानाशाही भी कहा जा सकता है।

दृष्टि बदलने की जरूरत

श्री गर्ग ने कहा कि सामाजिक संस्थाएंं मोतियाबिंद के निशुल्क ऑपरेशन करवाती हैं। स्पष्ट दिखाई देने के लिए चश्मा भी दिया जाता है। लोगों को सही दृष्टि देने की आवश्यकता है। हमें देखना होगा कि कहीं कुछ गलत तो नहीं हो रहा।

आज भी महिलाओं के लिए जींस नहीं पहनने, देर रात बाहर नहीं घूमने, मोबाइल नहीं रखने के फतवे जारी हो रहे हैं। यह दृष्टि का दोष है। अन्याय, गलत और मानव अधिकार उल्लंघन पर आवाज उठाना होगी। गुजरात में रात में भी महिलाएं सोना पहनकर सुरक्षित महसूस करती हैं। एक ऐसी व्यवस्था होना चाहिए, जिसमें बोलने-करने की आजादी हो।

हम इंतजार नहीं करते

श्री गर्ग ने कहा कि हम इंतजार नहीं कर सकते। किसी को मौका नहीं देना चाहते। सब कुछ इंस्टेंट चाहते हैं। कोई मोबाइल नहीं उठाए, बच्चे, महिला सदस्य या वृद्धजन के घर में आने में पांच मिनट की देरी भी चिंता में डाल देती है। कई तरह के विचार आ जाते हैं। जल्दी विड्रा करने की प्रवृत्ति भी खतरनाक है। बिहार, उत्तराखंड, कर्नाटक में उपचुनाव में आए परिणामों में इसी प्रवृत्ति की झलक दिखाई देती है। कार्यक्रम अध्यक्ष एरोकेम इंडस्ट्रीज के डायरेक्टर राजेश पटेल ने कहा कि चक्षु नहीं, ज्ञान चक्षु खुले होना आवश्यक है। इससे व्यवस्था को दिशा भी मिलेगी।

अतिथियों का स्वागत समाज उपाध्यक्ष राजेंद्र वाघ, किशोर जोशी, दिलीप कुलकर्णी, महेश कस्तूरे, गणेशोत्सव समिति अध्यक्ष मिलिंद करंदीकर ने किया। कार्यक्रम में श्री गर्ग का शॉल, श्रीफल व प्रतीक चि- भेंटकर सम्मान किया गया। स्वागत भाषण मिलिंद करंदीकर ने और अतिथि परिचय तुषार कोठारी ने दिया। संचालन श्री वाघ ने किया।

‘जनता को नेताओं से प्रश्न करने की आदत डालना होगी”

श्रोताओं के प्रश्नों के दिए जवाब

व्याख्यानमाला के दूसरे सत्र में ‘नईदुनिया” के प्रधान संपादक श्रवण गर्ग से श्रोताओं ने देश-विदेश के गंभीर मुद्दों सहित मीडिया, स्थानीय, राजनीतिक समस्याओं को लेकर सवाल किए। श्री गर्ग ने सभी सवालों का जवाब देकर श्रोताओं की जिज्ञासाओं को शांत किया।

सवाल : गुजरात में रात में भी महिलाएं सुरक्षित महसूस करती हैं, लेकिन मध्यप्रदेश में दिन में भी लूट हो जाती है। ऐसा क्यों? –                            सुनील पारिख, एडवोकेट

जवाब : हमें जनप्रतिनिधियों से प्रश्न करने की आदत डालना होगी। प्रदेश के मंत्री जब भी रतलाम आएं तो जनता को पूछना चाहिए कि क्यों यह सब हो रहा है। व्यापमं घोटाला राष्ट्रीय स्तर पर शर्म का विषय बन गया। मंदिर में दर्शन करने जाते हैं तो भगदड़ मच जाती है। चौकीदार, ड्रायवर, पटवारी करोड़पति हो गए लेकिन कोई सवाल नहीं करना चाहता। इसके लिए दृढ़ता से बात रखना होगी।

सवाल : सोशल मीडिया का उपयोग कम, दुरुपयोग ज्यादा हो रहा है।

सुरेश यादव, शिक्षक

जवाब : इंटरनेट पर तमाम जानकारियां घरों में पहुंच रही हैं। यह हम पर निर्भर करता है कि हम उसका कैसा उपयोग करते हैं। ठीक वैसे ही जैसे कि शाकाहारी व्यक्ति मांसाहार दुकान से दूरी बनाए रखता है। क्रांति भी सोशल मीडिया से होती है। सांप्रदायिक घटनाओं में भी सोशल मीडिया कारण बना। इस पर प्रतिबंध लगाना तानाशाही होगी। गलत उपयोग पर कार्रवाई के प्रावधान करना होंगे।

सवाल : विपक्ष तो 1984 में व इससे पहले भी नहीं था तो भी देश का विकास हुआ। वर्तमान में भी देश के कई राज्यों में कांग्रेस का शासन है। –                                  डॉ. रत्नदीप निगम

जवाब : देश की नीतियों के फैसले संसद में बनते हैं। संसद में संगठित विपक्ष का होना स्वस्थ लोकतंत्र के लिए आवश्यक है। एफडीआई जैसे मुद्दों सहित कई मामलों में विपक्ष की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है।

सवाल : समाचार-पत्रों में दुष्कर्म व अन्य नकारात्मक खबरों को ही प्रमुखता से स्थान मिलता है। महिलाएं देश में कई क्षेत्रों में परचम लहरा रही हैं, लेकिन उनका जिक्र नहीं होता।                                                                                                         – नीलू चंडालिया

जवाब : सकारात्मक खबरों को भी स्थान मिलता है। मुरैना में दलित महिला को झंडावंदन करने से रोकने की खबर को समाचार-पत्रों ने ही उठाया। यह पाठक पर निर्भर करता है कि वो अखबार में क्या चाहता है।

सवाल : अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने की बात बार-बार कही गई, क्यों?

                                                                                  -अब्दुल सलाम खोकर

जवाब : सरकार की मालिक जनता है। जनता को जिम्मेदारों से पूछना चाहिए कि वे क्या कर रहे हैं। अगर ठीक काम नहीं होगा तो वे उसे हटा देंगे। विपक्ष के लिए विपक्ष होने के तमगे की जरूरत नहीं, उन्हें सड़कों पर उतरना होगा।

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