पंथपिपलई में घोडे का नया मेला वजूद में आया, मेले में 12 लाख का घोड़ा बिकने आया
लक्जरी गाडी छोड़ ग्रमीणों का घोड़े खरीदने में रूझान बढ़ा
उज्जैन 04दिसम्बर(इ खबरटुडे)। शहरी क्षेत्र में लक्जरी गाडी खरीदने के शौक के उलट ग्रामीण क्षेत्र में पुरातन घोडे रखने का शौक वापस से वजूद में आने लगा है, यही कारण है कि इंदौर रोड़ पर पंथपिपलई में निजी जमीन पर पहली बार आकस्मिक रूप से आयोजित घोड़ो का मेला सफलता पूर्वक चल रहा है। यही कारण है कि इसमें पांच प्रांतो के व्यापारी करीब एक सौ से अधिक घोडे बेचने आए हैं, पिछले पांच दिनों में 25 से 30 घोडे की खरीद फरोख्त यहां हो चुकी है।
इंदौर रोड़ फोरलेन मार्ग पर पंथ पिपलाई के नजदीक आकस्मिक रूप से क्रषक सोनू शर्मा की जमीन पर आयोजित घोडों के इस मेले में पंजाब ,हरियाणा ,उत्तरप्रदेश ,राजस्थान ,आदि से करीब 20 से अधिक व्यवसायी घोडे बेचने आए हैं। इनका प्रतिनिधित्व मथुरा यूपी के याकुब चौधरी कर रहे हैं। वे अपने साथ 10 घोडे बेचने के लिए लाए हैं। मेला करीब एक हेक्टेयर जमीन पर लगाया गया है। मेले में घोडों के श्र्रंगार की सामग्री विक्रेता की दुकान भी लगी है । राजू कानपुर के व्यवसायी की दुकान के फिरोज के मुताबिक घोडा लेते ही सबसे पहले खरीदार उसकी साज सज्जा करता है उनके यहां काठ ,मोरा ,लगाम ,श्रंगार ,ब्लेंकेट ,मोरा आदि सभी सामग्री है।
देशी घोडों में सबसे अच्छी नस्ल मारवाडी घोडे की मानी जाती है-घोडो के व्यापारी श्री चौधरी
घोडो के व्यापारी श्री चौधरी बताते हैं कि उनके पास से अब तक बिके 20 से 25 घोडों में 2 लाख से 12 हजार रूपए तक के घोडे शौक रखने वाले ग्रामीणो ने खरीदे हैं। देशी घोडों में सबसे अच्छी नस्ल मारवाडी घोडे की मानी जाती है। घोडे को दांत के साथ उम्र देखी जाती है। ज्यादातर खरीददार उज्जैन एवं इंदौर जिले से संबंधित हैं । उनके मुताबिक पुराने एक हजार और पांच सौ के नोट लेकर भी अब तक उन्होने बेचवाली की है। पुष्कर मेले से लौटते हुए वे उज्जैन में शराफत भाई के यहां पहुंचे थे , क्रषक सोनू शर्मा पिछले एक साल से उनसे क्षेत्र में घोडो का मेला आयोजित करने का कह रहे थे उन्होने जमीन देखी और मेला शुरू कर दिया गया। मेले में वे मारवाडी नस्ल की एक घोडी लाएं हैं जिसकी किमत 12 लाख है अब तक कई ग्राहक उसे देखने आए और सांवेर के पास के गांव से आए ग्राहक ने उसके 8 लाख रूपए तक लगा दिए हैं उन्हे उम्मीद है अगले एक दो दिन में इस घोड़ी का खरीददार भी उन्हे मिल जाएगा।
-महिदपुर मेले में नहीं आएंगे-
व्यवसायी याकुब चौधरी के अनुसार उज्जैन जिले के महिदपुर में मकर संक्रांत पर घोडे का मेला आयोजित होता है, इस बार उसमें शामिल नहीं होंगे वहां 3 फीसदी टेक्स देने के बाद भी सुविधाएं नहीं मिलती और समस्याओं से दो चार होना पड़ता है। वे पैत्रक रूप से इस धंधे में लगे हुए हैं पंथपिपलई के मेले में 6 सदस्यों के साथ आए हैं। इस मेले में वे 7 दिसंबर तक रहेंगे इसके बाद महाराष्ट के नंदुरबार सहारनखेड़ा मेले में भागीदारी करने जाएंगे। संक्रांत पर फिर से यहीं पर घोड़ों का मेला आयोजित करने की उनकी योजना है।
-विदेशी घोड़े रेस के काम के देशी पावर के काम के
व्यवसायी श्री चौधरी के अनुसार वे भारत के कई प्रदेशों के मेले में शामिल हो चुके हैं पुष्कर का मेला घोडों ओर उंट के लिए पहचान रखता है देशी मेले में देशी नस्ल के ही घोडो की मांग होती है विदेशी नस्ल के घोडे खाते बहुत हैं और रेस के काम के होते हैं देशी घोडे पावर के काम के होते हैं विदेशी घोड़ों की खुराक मुर्रा भैंस से भी ज्यादा होती है। यही कारण है कि देशी नस्ल के घोडे पसंद किए जाते हैं।
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शौक के लिए घोड़ा खरीदने आए
मेले में पहुंचे ग्रामीण शेखर पटेल ने बताया वे घोडे का शौक रखते हैं मेले की जानकारी लगने पर वे सांवेर तहसील से यहां घोडे देखने और खरीदी की इच्छा लेकर आए हैं। इसी प्रकार इंदौर जिले से आए शरीफ पहलवान भी अच्छी घोडी खरीदने का मन लेकर मेले में पहुंचे थे। निनौरा के क्रष्क कुंवर सौदानसिंह तंवर के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्र मे घर में घोड़ा रखना रूतबे के रूप में देखा जाता है।